- असम्मानजनक मानदेय की शासन को शिकायत
देहरादून : उत्तराखंड के उपभोक्ता राज्य आयोग तथा 13 जिलों के जिला उपभोक्ता फोरमों में उपभोक्ता वादों का फैसला करने वाले जजों को उन्हीं आयोग व फोरम में कार्य करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से भी कम परिश्रमिक दिया जा रहा है। उपभोक्ता हित में इसकी शिकायत उपभोक्ता संस्था माकाक्स द्वारा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, मुख्यसचिव तथा खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव से की है।
प्रतिष्ठित समाज सेवी व उपभोक्ता संस्था मौलाना अबुल कलाम आजाद अल्पसंख्यक कल्याण समिति (माकाक्स) के अध्यक्ष नदीम उद्दीन एडवोकेट द्वारा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, मुख्यसचिव एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी गयी शिकायत में कहा गया है कि उत्तराखंड में राज्य उपभोक्ता आयोग तथा जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्यों को सम्मान जनक परिश्रमिक/मानदेय नहीं दिया जा रहा है। यह परिश्रमिक जहां इन आयोग व फोरमों में कार्यरत पूर्णकालिक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का मिलने वाले परिश्रमिक से आधे से भी कम है वहीं अन्य राज्यों की तुलना में भी अत्यन्त कम है और पिछले 7 वर्षों से इसमें कोई वृद्धि भी नहीं की गयी है। संस्था ने उपभोक्ता हित में इन्हें सम्मानजनक परिश्रमिक व सुविधायें देने की मांग की गयी है ताकि उनकी रूचि और निष्पक्षता प्रभावित होने की संभावना न रहे तथा वह सम्मान जनक रूप से कार्य कर सके।
श्री नदीम ने बताया कि राज्य उपभोक्ता आयोग को 20 लाख से लेकर एक करोड़ तक के उपभोक्ता परिवाद व राज्य के सभी 13 जिला फोरमों के फैसलों की अपीले सुनने का अधिकार है और फैसला करने वाली पीठ में अध्यक्ष के अतिरिक्त दो सदस्य शामिल होते है और बिना एक सदस्य की सहमति के कोई फैसला नहीं हो सकता जबकि दो सदस्य सहमत होकर अध्यक्ष की बिना सहमति के भी फैसला कर सकते है। इसी प्रकार जिला उपभोक्ता फोरमों की पीठ भी अध्यक्ष व दो सदस्यों की होती है जिसे 20 लाख तक के उपभोक्ता वादों को सुनने का अधिकार है। इसका फैसला भी बिना सदस्य की मर्जी के नहीं हो सकता है। यह सभी सदस्य जजों का कार्य करते है और इनके बिना किसी उपभोक्ता मामले का फैसला संभव नहीं हैं।
उत्तराखंड उपभोक्ता संरक्षण नियमावली में भी इनका स्तर राज्य सरकार के प्रथम श्रेणी के अधिकारी का माना गया है। लेकिन वर्तमान में 2011 से लागू नियमावली के अनुसार जिला फोरम में पूर्व कालिक सदस्यों को मात्र 10176 रू. प्रति माह तथा अंशकालिक सदस्यों को रू. 300 प्रति बैठक मानदेय दिया जाता है जबकि इन्हीं फोरमों के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को इनसे अधिक वेतन दिया जाता है।
श्री नदीम ने बताया कि उधमसिंह नगर जिला फोरम में वहां तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को रू. 29 हजार 895 मासिक मिलता है जबकि वहां कार्यरत जजों में शामिल सदस्यों के सभी भत्ते जोड़कर भी इससे आधे से भी कम मात्र 13 हजार 806 रूपये मासिक मिलते है। श्री नदीम ने बताया कि हरियाणा में 40 हजार रूपये प्रतिमाह जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य को मानदेय मिलता है व उ0प्र0 सहित अन्य पड़ोसी राज्यों में भी उत्तराखंड की अपेक्षा अधिक मानदेय दिया जा रहा है।
माकाक्स ने जनहित व उपभोक्ता हित में उत्तराखंड उपभोक्ता संरक्षण नियमावली 2011में संशोधन करके शीघ्र जिला फोरम व आयोग के सदस्यों को सम्मानजनक मानदेय दिलवाने का शासन व मुख्यमंत्री से निवेदन किया है।