नेहरू ने चीन के प्रति लचीला नहीं अपितु लापरवाही पूर्ण नीति अपनाई
राजीव गाँधी ने अपने चीन दौरे के समय तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया
हरीश सती
देहरादून : चीन के मामले में मोदीजी के द्वारा केवल जवाहरलाल नेहरू की गलती नहीं बल्कि राजीव गांधी की भी एक गलती को सुधारने की कोशिश की जा रही है।
नेहरू के कार्य तो सबके पता है, लेकिन राजीव गांधी से भी एक बहुत बड़ी रणनीतिक चूक हुई थी, 1988 के चीन के दौरे पर सरकार ने स्वीकार कर लिया था कि तिब्बत चीन का अंग है।
नेहरू ने चीन के प्रति लचीला नहीं अपितु लापरवाही पूर्ण नीति अपनाई हुई थी। नेहरू के प्रति अतिशयोक्ति पूर्ण उदारता देते हुए यह तर्क भी दिया जा सकता है , कि पाकिस्तान से शुरू से ही विवाद बना हुआ था इसलिए दूसरे सीमा पर भी विवाद नहीं बढ़ाना चाहते थे और एक छद्म आदर्शवाद का नशा जिसकी तो कोई सीमा ही नहीं थी। नेहरू की तो खैर,,
लेकिन राजीव गांधी को कौन सी इतनी जल्दी थी संबंध सुधारने की यह जानते हुए भी गलती चीन की थी उसने मारा था पीठ में खंजर इन्होंने अपने चीन दौरे के समय तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया?
यह सब जानते हुए भी कि कम्युनिस्ट चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग ने कहा था कि तिब्बत चीन की हथेली है और लद्दाख नेपाल सिक्किम भूटान अरुणाचल उसकी उंगलियां हैं।
राजीव गांधी की तुलना में तो अटल बिहारी वाजपेई ठीक थे, जिन्होंने पूर्ण बहुमत की सरकार कभी बनाई नहीं लेकिन फिर भी 2003 में चीन से स्वीकार करवा लिया, कि सिक्किम भारत का अंग है और अब सिक्किम बॉर्डर पर कोई विवाद नहीं होता।
चीन 19वीं शताब्दी के ब्रिटेन की तरह व्यवहार कर रहा है।उग्र साम्राज्यवादी आकांक्षा उसकी छुपाए नहीं छुप रही है केवल भारत के सीमा के इर्द-गिर्द नहीं बल्कि दक्षिणी चीन सागर, वियतनाम, म्यानमार, अफगानिस्तान, रूस, जापान के कुछ द्वीप और अब तो वह स्वतंत्र देशों किर्गिस्तान, कजाकिस्तान तक तो वह अपना हिस्सा बताने लगा है। नेपाल को तिब्बत का अंग बता कर कब्जा करने के मूड में है ही। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल को प्लेट में सजाकर चीन को देने में लगी है वह अलग बात है, जहां तक पाकिस्तान को अपना पालतू बनाने के पहले भी उसने पाकिस्तान से 5000वर्ग किलोमीटर जमीन लिया था 1963 मे।
पूर्वांचल में एक कहावत मशहूर है , बंदर घुड़की से डरना नहीं चाहिए इसका मतलब है, कि कई बार बंदर जब देखता है और कई बार आपको डराने की कोशिश करता है लेकिन अगर आप अपने स्थान पर खड़े हैं तो वह पलट कर चल जाएगा लेकिन अगर एक कदम भी आप पीछे हटते हैं तो आपको दौड़ा देगा वही हाल चीन की नीतियों का है।
भारत को लेकर डोकलाम में उसकी काफी किरकिरी हुई थी क्योंकि जाहिर सी बात है वह इस समय विश्व बड़ी सैन्य शक्ति है लेकिन डोकलाम में भारत ने उसको तीसरे देश भूटान के क्षेत्र में से बाहर निकालने पर मजबूर कर दिया था।
कुछ सामरिक विशेषज्ञों का मानना है, कि चीन इसलिए भी यहां पर तनाव बढ़ा रहा था कि बदले में भारत हांगकांग और ताइवान के विषय में चीनी हितों के खिलाफ कुछ ना बोले।
मतलब जैसे अमेरिका ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड जैसे तैसे गुट बना रहे हैं चीन को घेरने के लिए भारत उनसे दूर रहे। कुछ लोगों का यह भी देखना है कि स्थितियों को भाप रहा है कि भारत किस स्तर तक जवाब देने की मुद्रा में जाता है जैसे भारत ने भी सीमा पर तुरंत जमावड़ा बढ़ा दिया चीन भी धीरे-धीरे पीछे हटने लगा यह उसी बंदर घुड़की का एक हिस्सा है।
हालांकि सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत के सड़क चीन इस क्षेत्र में काफी आगे चल गया लेकिन हाल में मोदी सरकार के समय चीन की सीमा के लिए बहुत तेज़ी से सड़कों का निर्माण हो रहा है।
खैर अब तो तय है कि तृतीय विश्व युद्ध का ग्राउंड यूरोप नहीं है। एशिया होगा बस यह देखना बाकी है कि वह मिडिल ईस्ट में इजराइल फिलिस्तीन बॉर्डर बनता है, कि उत्तर कोरिया दक्षिण कोरिया बॉर्डर या फिर साउथ एशिया ..
वास्तव में में चीन अपनी आर्थिक उन्नति को पचा नहीं पा रहा है उसने कई फ्रंट पर विवाद खोले रखे हैं।जिस तरह 1989- 90 में ग्लास्तनोस्त कालीन सोवियत यूनियन का ऐतिहासिक विघटन हुआ था वैसे ही चीन कहीं सोवियत विघटन पार्ट-2 ना हो जाए और उसका नक्शा कुछ ऐसा ना दिखने लगे जैसा इस पोस्ट के साथ भेजे गए चित्र में है। मोदी, सुब्रह्मण्यम स्वामी और अजित डोभाल जितने बड़े शिकारी दिखते हैं उससे बहुत बड़े हैं।
भारत देश की दिन-प्रतिदिन बढ़ती ताकत और समृद्धि से विस्तारवादी चीन को जलन हो रही हैं। और भारत देश के विरुद्ध अनेक राजनीतिक, आर्थिक और सीमा विवाद के मोर्चे पड़ोसी देशों को अपने झांसे में लेकर खोल रहा है।
चीन वामपंथी नेपाल सरकार और भिखारी देश पाकिस्तान को दाने डालता है। पाकिस्तान की तो खस्ता माली हालत है। वामपंथी नेपाल सरकार का इलाज हमें को करना होगा। जिस तरह मालदीव, श्री लंका और वर्मा में कुछ सीमाओं में चीनी प्रभाव रोका गया है वैसे नेपाल में भी करने की आवश्यकता है।
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