देश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से छुटकारा पाने के लिए जन सहभागिता जरूरी
आम जनमानस के द्वारा अपेक्षित सावधानी नहीं बरती सरकारों की कोशिशों पर फिरेगा पानी
कमल किशोर डुकलान
पिछले छः महीनों बाद भी देश में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमितों की आंकड़ों से तो यही लगता है,कि हाल-फिलहाल उससे छुटकारा मिलने वाला नहीं है। बीते 24 घंटों में जिस तरह 90 हजार से अधिक कोरोना के नए संक्रमित मिले और अबतक देश में कुल मामलों की संख्या 41 लाख के पार हो चुकी है, इन आंकड़ों से भारत कोरोना वायरस में ब्राजील से आगे निकलता दिख रहा है, जो कोरोना संक्रमितों के लिहाज से भारत अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर था। यद्यपि भारत की आबादी अमेरिका से कहीं अधिक है और कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या जनसंख्या के अनुपात में ही देखी जानी चाहिए,लेकिन भारत के लिए यह चिंताजनक है ही कि करीब छह माह व्यतीत होने के बाद भी भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या में गिरावट की अपेक्षा बढ़ोतरी ही दिख रही है। जब तक यह सिलसिला कायम नहीं होता, तब तक यह कहना कठिन है कि भारत ने कोरोना वायरस पर काबू पा लिया है।
फिलहाल कोरोना पर रोकथाम की ऐसी कोई स्थिति नहीं बनती दिख रही है। क्योंकि पहले जिन शहरों में कोरोना मरीजों की संख्या में गिरावट देखी जा रही थी,वहां उनकी संख्या फिर से बढ़ रही है। कोरोना को हारना के साथ कोशिश यह भी होनी चाहिए कि उस पर जल्द काबू पाया जाए। यह कोशिश केवल केंद्र और राज्यों को ही नहीं करनी बल्कि आम जनता को भी करनी है।
सब जान रहे हैं कि कोरोना से बचाव का उपाय अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता, एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखना और मास्क का प्रयोग करना है, लेकिन इसके बावजूद भी लापरवाही देखने को मिल रही है। सबसे हैरानी की बात यह है कि मास्क का प्रयोग करने से या तो बचा जा रहा या फिर उसका सही ढंग से प्रयोग नहीं हो रहा है। कुछ ऐसी ही स्थितियां सार्वजनिक स्थलों पर एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखने के मामले में भी देखने को मिल रही है। इस तरह की लापरवाहियां जानबूझकर स्वयं खतरे की चपेट में आने वाला काम है। नि:संदेह कोरोना से डरने की जरूरत नहीं, लेकिन इसका यह भी मतलब नहीं कि आवश्यक सावधानी का परिचय देने से इन्कार किया जाए। छः माह बाद भी संक्रमण से संक्रमितों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी से यही लगता है कि फिलहाल कोरोना काबू में आता नहीं दिखता है।
यह समझना कठिन है कि आम जनमानस को मास्क का सही प्रयोग करने में क्या परेशानी है? एक प्रकार से यह संतोष की बात भी है कि कोरोना मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं और मृत्यु दर में गिरावट जारी है, लेकिन आखिर इसकी अनदेखी क्यों की जा रही है कि अबतक कोरोना संक्रमण के नाम पर पिछले छः माह में करीब 70 हजार लोग काल के गाल में समा गए हैं और इनमें वे भी हैं जिन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं थी? अभी भी अच्छा होगा कि आम जनमानस यह समझें कि यदि उनकी ओर से अपेक्षित सावधानी नहीं बरती गई तो कोरोना पर लगाम लगाने की कोशिशों पर पानी ही फिरेगा और जो इस कोरोना वायरस के कारण हमारा अर्थतंत्र जाम है उस पर आगे भी दूर तक सामान्य स्थिति होती नहीं दिखती है ।