छवि भारद्वाज अब ”नसबंदी” के आदेश को लेकर सुर्खियों में
रिश्वत देने की कोशिश में CMO पर करवा दी थी FIR
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देश में दबंग छवि की IAS अफसर अपनी शानदार कार्यशैली के कारण हमेशा सुर्खियों में रहीं, उनमें छवि भारद्वाज का भी नाम शुमार होता है। लगभग 40 वर्षीय छवि भारद्वाज का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। इनके पिता तिलक मोहन भारद्वाज UJVNL में महाप्रबंधक रहे हैं। इनकी एक छोटी बहन है, जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।
छवि भारद्वाज आजकल मध्यप्रदेश में सुर्खियों में हैं। वह भी नसबंदी अभियान को लेकर। मुख्यमंत्री कमल नाथ संजय गाँधी के करीबियों में रहे हैं और उन्होंने मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को हर महीने पांच से 10 लोगों की नसबंदी करने के कड़े आदेश दिए और इस आदेश का पालन करने पर कर्मचारियों को अनिवार्य सेवा निवृत्ति तक देने की बात कही थी। हालांकि विवाद बढ़ने पर कमलनाथ को यह आदेश वापस लेना पड़ा।
गौरतलब हो कि आदेश में: 25 जून, 1975 को देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था। इस दौरान उनके छोटे बेटे संजय गांधी ने जनसंख्या पर काबू करने 62 लाख पुरुषों की जबर्दस्ती नसबंदी करा दी थी। इस ऑपरेशन में करीब 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद के चुनावों में विपक्ष ने एक नारा दिया था ”जमीन गई चकबंदी में, मकान गया हदबंदी में, द्वार खड़ी औरत चिल्लाए, मेरा मरद गया नसबंदी में!”
लेकिन पुरुषों की नसबंदी से जुड़े एक विवादास्पद आदेश ने उनकी किरकिरी करा दी। बवाल होते ही सरकार बैकफुट पर आई और आदेश पर ‘इमरसेंजी ब्रेक’ मारने पड़े। इसके साथ ही छवि भारद्वाज को ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन’ के राज्य संचालक पद से हटा दिया गया। उन्हें राज्य मंत्रालय में विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी(OSD) बनाकर भेजा गया है। यानी उन्हें ‘लूप लाइन’ में डाला गया है। संभवत: इस दबंग महिला अधिकारी IAS की सेवा में ऐसा पहला मौका है जो उन्हें किनारे किया गया है।
देश में जो भी महिला IAS अफसर अपनी शानदार कार्यशैली के कारण सुर्खियों में रहीं, उनमें छवि भारद्वाज का नाम शुमार रहा है , इससे पहले वे भोपाल नगर निगम की कमिश्नर रह चुकी हैं,छवि भारद्वाज ने बीटेक करने के बाद 2007 में सिविल सेवा परीक्षा पास की थी। इनकी पहली पोस्टिंग ग्वालियर में सहायक कलेक्टर की मिली थी इसके बाद वे एसडीओ कटनी,सीइओ जिला पंचायत दमोह, कमिश्नर नगर निगम सिंगरोली और कलेक्टर डिंडोरी और जबलपुर भी रहीं हैं।
डिंडोरी कलेक्टर रहते हुए छवि ने आदिवासी बच्चों के लिए सरकारी खर्चे पर आईआईटी और मेडिकल परीक्षा की तैयारी करवाने वाली कोचिंग शुरू की थी। उनका यह प्रयास देशभर में आइडल बनकर सामने आया था। और वे सुर्ख़ियों में आ गयी। छवि भारद्वाज 2016 में भोपाल नगर निगम की कमिश्नर रही हैं। इस दौरान उन्होंने भोपाल को स्वच्छता अभियान में अग्रणी बनाने में पूरी ताकत झोंक दी थी। तब इस सर्वेक्षण में भोपाल को दूसरा नंबर मिला था।
बताते हैं कि छवि अक्टूबर 2013 में डिंडोरी की कलेक्टर बनी थीं। तब की एक घटना मीडिया में काफी वायरल हुई थी। डिंडौरी निगम परिषद के तत्कालीन सीएमओ ने किसी फाइल पर साइन करने के लिए उन्हें 50 हजार रुपए की रिश्वत देने की कोशिश की थी। छवि ने CMO के खिलाफ FIR दर्ज करा दी थी। तभी से उनकी छवि दबंग कलेक्टर के रूप में बन गई थी ।छवि भारद्वाज डिंडौरी जिले की सबसे ज्यादा समय तक रहने वालीं कलेक्टर रही हैं। उनके कार्यकाल से 17साल पहले तक यहां 15 कलेक्टर बदले जा चुके थे। दरअसल, ज्यादातर कलेक्टर यहां रहना नहीं चाहते थे। छवि भारद्वाज ने इस सोच को बदला था।
छवि भारद्वाज को लिखने का शौक है। 2008 बैच की IAS छवि भारद्वाज का 2 साल पहले ‘लाइक अ बर्ड ऑन द वायर’ नाम से एक उपन्यास प्रकाशित हुआ था। यह एक आईएएस अफसर की प्रेम कहानी पर आधारित है। छवि भारद्वाज ने यहउपन्यास कुछ साल पहले छुट्टियों के दौरान लिखा था। यह उपन्यास तब सामने आया था, जब वे जबलपुर की कलेक्टर थीं । छवि भारद्वाज के पति नंदकुमारम भी आईएएस अफसर हैं। वे भी अपनी पत्नी की तरह एक धाकड़ और सच्चे जनसेवक की तर्ज पर कार्य करने वाले माने जाते हैं।