वर्षों से उपनल के माध्यम से रोज़गार पा रहे कर्मचारियों के सामने खड़ा हुआ था संकट
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। सचिव (ऊर्जा) राधिका झा को नैनीताल हाई कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया है , यह अवमानना नोटिस उन्हें तीनों ऊर्जा निगमों में 764 पदों पर भर्ती जारी करने और उपनल कर्मियों की मांगों को नज़रअंदाज़ करने पर मिला है।
गौरतलब हो कि सचिव (ऊर्जा) राधिका झा द्वारा उत्तराखण्ड शासन के आदेश दिनांक 03.07.2020 के माध्यम से ऊर्जा के तीनों निगमों जिसमें उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि., यूजेविएन लि. व पिटकुल के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्ति हेतु आदेश जारी किये गये थे। उत्तराखण्ड शासन के आदेश दिनांक 03.07.2020 के माध्यम से ऊर्जा के तीनों निगमों यथा उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि., यूजेविएन लि. व पिटकुल के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्ति हेतु आदेश जारी किये गये हैं। जबकि इन पदों पर पहले से ही कई वर्षो से उपनल के माध्यम से कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं । सचिव ऊर्जा के इस आदेश ने कोरोना संकट के दौरान निगम को अपने सेवा दे रहे कर्मियों के सामने रोज़गार का संकट पैदा कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि सचिव ऊर्जा के उक्त निर्णय के विरूद्ध राज्य सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में भर्तियों के विरुद्ध स्थगन हेतु याचिका दाखिल की गई जिस पर न्यायालय द्वारा सुनवाई करते हुए अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी थी। मामले में उत्तराखंड विद्युत कर्मचारी संगठन की ओर से अधिवक्ता एम.सी पन्त की ओर से नैनीताल हाईकोर्ट में उर्जा सचिव राधिका झा के उक्त आदेश के ख़िलाफ़ अवमानना याचिका दाखिल की गयी थी। जिसपर सुनवाई करते हुये उच्चन्यायालय की एकल पीठ के न्यायमूर्ती मनोज तिवारी ने याचिका स्वीकर करते हुये सचिव उर्जा राधिका झा को अवमानना नोटिस जारी करते हुये जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये हैं ।