LAW & ORDERs

हाई कोर्ट ने 10 हेक्टेयर से कम वनों को वन न मानने के सरकार के आदेश पर लगाई रोक

वनों को वन की परिभाषा से बाहर करने का मामला

पर्यावरणविद अजय रावत ने दायर की थी जनहित याचिका

सरकार से मांगा दो जनवरी तक जवाब

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के मामले में अहम आदेश पारित करते हुए सरकार के 10 हेक्टेयर से कम क्षेत्र में फैले या 60 प्रतिशत से कम घनत्व वाले वन क्षेत्र को वन के दायरे से बाहर करने के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को दो जनवरी तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में नैनीताल निवासी पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि 21 नवंबर 2019 को उत्तराखंड के वन एवं पर्यावरण अनुभाग द्वारा एक कार्यालय आदेश जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में जहां 10 हेक्टेयर से कम या 60 प्रतिशत से कम घनत्व वाले वन क्षेत्र हैं, उनको उनको वनों की श्रेणी से बाहर कर दिया है या उनको वन की परिभाषा के दायरे से ही बाहर कर दिया।

याचिकाकर्ता का कहना था कि यह एक कार्यालय आदेश है, इसे लागू नहीं किया जा सकता है। कहा कि यह न शासनादेश है, न ही कैबिनेट से पारित है। सरकार द्वारा अपने लोगों को फायदा पहुंचाने की मंशा से इस आदेश को जारी किया गया है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि वन संरक्षण अधिनियम-1980 के अनुसार प्रदेश में 71 प्रतिशत वन क्षेत्र घोषित है, जिसमें वनों की श्रेणी को भी विभाजित किया गया है। इसके अलावा ऐसे भी क्षेत्र हैं, जिनको किसी भी श्रेणी में नहीं रखा गया है।

याचिकाकर्ता के अनुसार इन क्षेत्रों को भी वन क्षेत्र की श्रेणी में भी शामिल करते हुए और इनके दोहन या कटान पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी है।

Related Articles

Back to top button
Translate »