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उच्च एवं मध्य हिमालय ग्रामों में विकास नहीं होता हुआ नहीं देखा तो समाज ने पलायन किया

yudhveer-jiचंडीगढ़  : उत्तरांचल उत्थान परिषद, द्वारा पलायन की समस्या पर करवाए गए प्रवासी पंचायत 2016  का उदघाटनशारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम जी महाराज द्वारा किया गया , उन्होने उत्तरांचल के प्रवासी लोगो को भगवान श्री राम जी के जीवन का एक उदाहरण देते हुए की ” लंका पर विजय प्राप्त करने के पश्चात श्री लक्ष्मण जी के मन में  एक भावना उत्पन्न हुई की अयोध्या में तो भरत जी राज कर रहे हैं,और  उन्होंने भगवान श्रीराम से विनती की, क्यों ना हम इस सोने की लंका में ही रहें ,तब श्री राम जी  ने अनुज लक्ष्मण कोसमझाते हुए कहा की हे लक्ष्मण यद्यपि यह लंका सोने की बनी हुई है फिर भी मुझे अच्छी नहीं लगती क्योंकि जननी व जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान होती है, मुझेअपनी अयोध्या ही प्यारी है।

”उत्तरांचल के लोगों को जन्म भूमि का महत्व समझाते हुए गुरु जी ने कहाउत्तराखंड के लोग जहां भी हैं अत्यंत विश्वास पात्र हैं एवं बहुत मेहनती हैं और बहुत ही इमानदार हैं किंतु उन्होंने देवभूमि से धीरे-धीरे अपना नाता तोड़ दिया है जिसकी गोद में खेल कर वह इस योग्य बने कि उन्होंने भिन्न भिन्न नगरों में रहते हुए बड़े-बड़े पदों में पहुंचे हैं और बड़े-बड़ेकार्य कर रहे हैं जो की एक चिंता का विषय हे

उत्तराखंड से बड़ी मात्रा में हो रहा पलायन इस सदी का विकास और सुविधाओं के लिए यहां की आवादी के द्वारा अपनाया गया एक ऐतिहासिक मौन सत्याग्रह है राज्य के अस्तित्व में आ जाने sudhir-jiके बाद भी जब जीवन निर्वाह का मौलिक ढांचा यहां के समाज ने विशेषकर उच्च एवं मध्य हिमालय ग्रामों में विकसित होता हुआ नहीं देखा तो समाज ने पलायन के माल को अपनाने में ही अपनी भलाई समझी।

असंतुलित विकास के कारण उत्तराखंड की आवादी का लगभग 7% भाग हरिद्वार देहरादून नैनीताल तथा उधमसिंहनगर जैसे जिलों में आकर बस गया यह विस्थापन सीमांत प्रांत की सुरक्षा को भी संवेदनशील बनाता है किसी भी क्षेत्र की सुरक्षा में वहां की जनसंख्या की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि कारगिल की घुसपैठ को वहां के चरवाहे पता लगाकर उचित समय पर सेना को अवगत कराते हैं तो शायद सुरक्षा और
अधिक संकटों से गिर जाती है किंतु समाज की सजगता से उस परिस्थिति का समुचित मुकाबला किया गया और पाकिस्तानी घुसपैठियों को भारत की सीमाओं से बाहर खदेड़ दिया गया सीमांत प्रदेश उत्तराखंड के कुछ एवं मध्य हिमालय ग्राम यदि इसी गति से जनशून्य होंगे तो कितनी भयावह परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा यह चिंता का विषय है उत्तराखंड देव भूमि है संपूर्ण भारत वासियों की हार्दिक इच्छा रहती है कि वह जीवन में एक बार चार धामों  सहित जागेश्वर धाम गंगा जी एवं यमुना जी के दर्शन करें उत्तराखंड के प्रति भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व के श्रद्धालु आदर भाव रखते हैं इसलिए यहां की आर्थिकी के उन्नयन का ढांचा तो यहां पहले से ही विद्यमान है आवश्यकता मात्र उन अवसरों को खोजने की है जिससे यहाँ का पलायन रुके।navdeep-ji

प्रवासी पंचायतों के आयोजनों का प्रमुख उद्देश्य प्रवासी उत्तराखंडी समाज को पुनः अपने मूल गांव से भावनात्मक रूप से जोड़ना है पलायन की इस भयावह तस्वीर को मात्र सरकारों के भरोसे नहीं बदला जा सकता इस कार्य को समाज और सरकार मिलकर काम करेंगे तो परिणाम अधिक प्रभावी होंगे समाज की तटस्थता से इस समस्या से नहीं पढ़ा जा सकता है. प्रवासी उत्तराखंडियों से अपेक्षा है कि वह न्यूनतम 1 सप्ताह के लिए जून माह में एक निश्चित तिथि पर अपने गांव ग्राम उत्सव मनाने हेतु जाएं और ग्राम वासियों के साथ मिलकर अपनी सामर्थ्य के अनुसार ग्राम के विकास में अपना योगदान दें.

स्वरोजगार के अनेक अवसर हमारे नौजवानों की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिनमें टेलरिंग कारपेंटरी गाड़ी मरम्मत के कार्य tv मोबाइल का कारोबार गोपालन दुग्ध उत्पादन  भेड़ बकरी पालन पेइंग गेस्ट हाउस होटल ढाबे उद्यान की बागवानी जड़ी बूटी फल सब्जी का उत्पादन एवं बिक्री साहसिक यात्राओं में मार्गदर्शक जैसे लघु व्यवसाय यहां की आर्थिकी के उन्नयन में सहायक सिद्ध हो सकते हैं आवश्यकता है कि इन व्यवसाइयों को वहां का युवा अपनाने  तैयार तो हहों क्योंकि इन व्यवसायों के  ऊपर बिहार उत्तर प्रदेश तथा नेपाल की श्रम शक्ति ने लगभग एकाधिकार कर लिया है वह 20 रुपये से 25 हज़ार  रुपये प्रति मास की आय कर रहे हैं जबकि हमारा युवा छोटी छोटी नौकरियों में दिल्ली मुंबई जैसे महानगरों में मात्र 8 और 10हज़ार रुपये  मासिक आय में अपना समय जाया कर रहा है.

uup7प्रवासी पंचायतों के आयोजनों के सुखद परिणाम आने आरंभ हो गए हैं अभी तक हरिद्वार दिल्ली मुंबई में यह पंचायतें आयोजित की जा चुकी है गुड़गांव हरियाणा से 32 लोगों ने परिषद के आवाहन से प्रभावित होकर अपने बरोल गांव पोखड़ा पौड़ी गढ़वाल में लौटना स्वीकार किया है और अपने गांव में स्वरोजगार के अवसरों को अपना चुके हैं विगत वर्ष लगभग सौ ग्रामों में ग्राम उत्सव आयोजित हुए हैं हजारों की संख्या में प्रवासियों ने अपने गांव लौट कर अपने पुश्तैनी घरों की मरम्मत करनी शुरू कर दी है इसी गति से यदि प्रवासी उत्तराखंडी अपने गांव के विकास में रुचि लेगा तो पुणे उत्तराखंड अपनी पारंपरिक आत्मनिर्भरता को प्राप्त कर सकेगा,

इस अभियान के केंद्र में मेरा गांव मेरा तीर्थ चलो गांव की ओर ग्राम के विकास से देश का विकास है जैसे संकल्प समाहित हैं उत्तरांचल उत्थान परिषद के प्रयासों से ग्रामविकास काया अभियान लोकप्रिय हो रहा है अनेक धार्मिक सामाजिक एवं राजनीतिक संस्थाओं ने हमारे अभियान को अपनी गतिविधियों का हिस्सा बनाया है परिषद की अपेक्षा है प्रतिवर्ष यदि एक  दो लाख लोग भी एक निश्चित सीमा पर अपने गांव आएंगे तो निश्चित है यहां के तीर्थाटन पर्यटन सहित यात्रा तंत्र से जुड़े लोगों को लाभ होगा यहां के उत्पादों की बिक्री होगी फलस्वरूप आर्थिकी स्वतह ही सफल होकर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे,

चंडीगढ़ में आयोजित प्रवासी पंचायत में सैकड़ों उत्तराखंडियों ने प्रतिभाग किया 3 सत्रों में विभाजित इस आयोजन के प्रथम सत्र में शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम जी महाराज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय ग्राम विकास प्रमुख डॉक्टर दिनेश जी हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री माननीय अनिल बिजी प्रोफ़ेसर टंकेश्वर जी सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे इस सम्मेलन में केदारनाथ आपदा के प्रथम  साक्षी एवं सर्वप्रथम राहत एवं बचाव करने वाले एवं जिनके प्रयास से इस आपदा की प्रथम जानकारी सरकार एवं समाज को हुई ऐसे कैप्टेन भूपेंद्र सिंह जी महान विदेशी लेखिका डॉक्टर इंदु तिवारी एवं फिल्म निर्माता श्री भगवान सिंह को उत्तराखंड गौरव के सम्मान से नवाजा गया,

केंद्रीय महा मंत्री श्री राम प्रकाश पैन्यूली  जी ने कहा की प्रवासी पंचायतों के आयोजनों के सुखद परिणाम आने आरंभ हो गए हैं अभी तक हरिद्वार दिल्ली मुंबई में यह पंचायतें आयोजित की जा चुकी है गुड़गांव हरियाणा से 32 लोगों ने परिषद के आवाहन से प्रभावित होकर अपने बरोल गांव पोखड़ा पौड़ी गढ़वाल में लौटना स्वीकार किया है और अपने गांव में स्वरोजगार के अवसरों को अपना चुके हैं विगत वर्ष लगभग सौ ग्रामों में ग्राम उत्सव आयोजित हुए हैं हजारों की संख्या में प्रवासियों ने अपने गांव लौट कर अपने पुश्तैनी घरों की मरम्मत करनी शुरू कर दी है इसी गति से यदि प्रवासी उत्तराखंडी अपने गांव के विकास में रुचि लेगा तो पुणे उत्तराखंड अपनी पारंपरिक आत्मनिर्भरता को प्राप्त कर सकेगा,

पंचायत में हरियाणा प्रांत के प्रांत प्रचारक सुधीर कुमार उत्तराखंड के प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह, उत्तरांचल उत्थान परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष श्री प्रेम बड़ाकोटी, संरक्षक श्री दयानंद चंदोला प्रवासी पंचायत के केंद्रीय समन्वयक योगाचार्य डॉक्टर नवदीप जोशी, उत्तराखंड प्रवासी पंचायत के संयोजक श्री रमेश सेमवाल संगठन मंत्री श्री राजेश थपलियाल मंच संचा
लिका डॉक्टर मनीषा तिवारी ,ग्रामोत्थान प्रकल्प उनके प्रमुख श्री विष्णु प्रसाद सेमवाल जी श्री प्रवीण भाई जी संयोजक प्रवासी पंचायत चंडीगढ़ से लक्ष्मीकांत तिवारी सह संयोजक श्री केंद्रीय मंत्री श्री राम प्रकाश सहित एक राज्य से पधारे प्रतिनिधियों ने भाग लिया।uup6

प्रवासी पंचायत चंडीगढ़ की संस्तुतियां :-

  • 1- उच्च एवं मध्य हिमालयी ग्रामों के पलायन को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाय।
    2- उच्च एवं मध्य हिमालय ग्रामों के विकास हेतु अलग से विकास प्राधिकरण गठित हो ।
  • 3 –   यहां के पर्यावरण के अनुकूल छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग स्थापित किए जाएं।
    4- राज्य में हिमाचल प्रदेश जैसा ही भू कानून अमल में लाया जाय।
    5- उत्तराखंड के पर्वतीय भागों में पुख्ता ढांचागत विकास विकसित किया जाय ।
    6- उत्तराखंड में विधानसभा एवं लोकसभा की सीटों के निर्धारण का आधार जनसंख्या के स्थान पर क्षेत्रफल को स्वीकार किया जाय।
    7- उत्तराखंड की विधानसभा में प्रवासी मंत्रालय का गठन किया जाए जो उत्तराखंड के देश में विदेशों में बसे प्रवासियों को गांव के विकास से जुडने हेतु विशेष प्रयास करे । यह मंत्रालय विदेशों में रह            रहे प्रवासियों की सुरक्षा    आदि विषयों सहित उन्हें यहाँ आर्थिक निवेश हेतु प्रेरित करे ।
    8-उत्तराखंड की सरकारी सेवाओं के लिए मूल निवास प्रमाणपत्र मात्र को आधार बनाया जाय ।

 

 

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