Uttarakhand

किसानों के लिये जड़ी-बूटी खेती को बनाना होगा लाभकारी : सीएम

  • सहयोग कार्यक्रम की सीएम ने प्रगति की समीक्षा
  • पतंजलि के साथ प्रस्तावित ’सहयोग’ कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा

देहरादून । मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक बैठक में पतंजलि संस्था के साथ प्रस्तावित ’सहयोग’ कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा की। इस अवसर पर वन मंत्री डाॅ.हरक सिंह रावत तथा पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण भी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने विभागों को निर्देश दिये कि जिन बिन्दुओं पर सहमति बनी है उनके क्रियान्वयन हेतु सभी पक्षों पर विचार कर विस्तृत एम.ओ.यू. तैयार कर अग्रिम कार्यवाही की जाए। उन्होंने जड़ी-बूटी उत्पादन विपणन को प्रोत्साहित करने के लिये सिंगल विण्डो सिस्टम की आवश्यकता बताई।  जड़ी-बूटी खेती को किसानों के लिये लाभकारी बनाना होगा। जड़ी बूटियों के लिये बीज और नर्सरी उपलब्ध कराना जरूरी है। गांवों में पर्यटन और आयुष गतिविधियों पर आधारित रोजगार के अवसर उत्पन्न करने जरूरी है। पशुपालन और औद्यानिकी को क्लस्टर्स में योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाना होगा।

उन्होंने पतंजलि द्वारा इस दिशा में सकारात्मक सहयोग पर संतोष व्यक्त करते हुए बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण को धन्यवाद भी दिया। बैठक में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के शोधार्थियों हेतु पतंजलि द्वारा लैब सुविधाएं उपलब्ध कराने पर सहमति बनी। पतंजलि संस्था लैब कार्यों के लिये शीघ्र ही ’आइटमाइज्ड’ दरें उपलब्ध करायेगी, जो बाजार दरो से कम होगी। उत्तराखण्ड के किसानों से मोटे अनाज के क्रय हेतु पतंजलि को क्लस्टरवार विपणन हेतु उपलब्ध अनाज उत्पादन का विवरण उपलब्ध कराया जायेगा। इसके साथ ही पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में पतंजलि किसी एक ग्राम या क्लस्टर में कान्ट्रैक्ट फार्मिंग भी शुरू करेगी। पतंजलि को राज्य सरकार उपलब्ध जड़ी बूटियों की सूची तथा उनके बीज की उपलब्धता का विवरण देगी। पतंजलि द्वारा जडी बूटियों के लिये शीघ्र ही न्यूनतम क्रय मूल्य घोषित किया जायेगा। 

पतंजलि मुनिकीरेती में वन विभाग के डाॅ. सुशीला तिवारी हर्बल गार्डेन को माॅडल हर्बल गार्डेन एवं नर्सरी में विकसित करेगा। इस हर्बल गार्डेन को पर्यटक आकर्षण का केन्द्र भी बनाया जायेगा। पशुपालन विभाग के पास गो-मूत्र  उपलब्ध है जबकि पतंजलि के पास साइलेज (पशुचारा) की उपलब्धता है। दोनो परस्पर विनियम की शर्तें निर्धारित करते हुए गो-मूत्र एवं साइलेज का आदान प्रदान करेंगे। अगले तीन माह के लिये पशुपालन विभाग द्वारा 1073 मीट्रिक टन साइलेज की मांग की गई। पशुपालन विभाग द्वारा टेस्टिंग प्रक्रिया के रूप में पतंजलि को दूध आपूर्ति भी की जा रही है। शीघ्र ही 12000 लीटर दूध की आपूर्ति प्रारम्भ की जायेगी। इसके साथ ही चंपावत में नरियाल गांव में बद्री गाय संवर्द्धन योजना को भी पतंजलि द्वारा संचालित किया जायेगा।

पर्यटन विभाग द्वारा प्रस्ताव दिया गया कि राज्य में ऐसे 12 गांवों में जहां ए.डी.बी. द्वारा अवस्थापना सुविधाएं विकसित की जा रही है वहां स्थानीय लोगों को पतंजलि के माध्यम से पंचकर्म, योग आदि में प्रशिक्षित कर पर्यटक केन्द्र विकसित किया जा सकता है। इसी प्रकार बंद पडे टूरिस्ट सेंटरों में से कुछ सेंटर पतंजलि पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में ले सकता है। पतंजलि संस्था द्वारा हरिद्वार जनपद के सभी आंगनबाडी केन्द्रों पर हाईजीन सुविधाएं विकसित करने हेतु सहमति दी गई। बैठक में सहकारिता, एरोमैटिक प्लांट, मधुमक्खी पालन, जड़ी बूटी पादप डाक्यूमेंटेशन आदि विषयों पर भी चर्चा हुई। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव श्रीमती राधा रतूडी सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं विभागाध्यक्ष भी उपस्थित थे। 

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »