उत्तर प्रदेश के समय का चंद्रकोट का यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्यकर्मियों के न रुकने से हो गया बीरान
सरकार ने तैनात तो किये स्वास्थ्य कर्मी लेकिन दोनों अमूमन रहते हैं गायब
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नैनीताल : प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव और अन्य आला अधिकारी भले ही सूबे के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पूरा होने के दावे करते हैं लेकिन हकीकत इसके उलट है, उत्तर प्रदेश के समय का यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जो नैनीताल जिले के बेतालघाट तहसील के ग्राम चन्द्रकोट का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग के हुक्मरानों को मुंह चिढ़ा रहा है, अस्पताल में डॉक्टर और फार्मासिस्ट की कागजों में तैनाती तो है लेकिन अस्पताल में पिछले दो महीने से दोनों नदारद हैं। इससे पहले कभी कभी एक या दो महीनों में इसके दर्शन गांव वालों को हो जाया करते थे।
गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश के समय का यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गम गाँव चंद्रकोट, चंद्रकोट धुरा, सौनली, तूनिया, हमकोट, लेधरा, सिरानी आदि को स्वास्थ्य सेवाए देने के लिए स्थापित किया गया था। हालाँकि उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस अस्पताल में कर्मचारी नियुक्त हैं, लेकिन दोनो में से कोई भी वहाँ स्थायी तौर पर नहीं जाता।
इस बाबत जब MOIC डाक्टर पंत से सामाजिक कार्यकर्ता सुरेन्द्र सिंह हलसी की बात हुई तो वे कम मरीज़ों का हवाला देकर टाल-मटोल करते दिखे। लेकिन एक बात गौर करने वाली है कि क्या बीमारी कोई बता कर आती है जो चौबीसों घंटे अस्पताल के बिस्तर रोगियों से भरे रहें, स्वास्थ्य विभाग के इन जिम्मेदार अधिकारियों को शुक्र मनाना चाहिए कि इस इलाके में काम ही लोग बीमार पड़ते हैं लेकिन आपातकालीन स्थिति में यदि किसी के साथ कोई परेशानी आ गयी तो क्या अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने चाहिए। यह मानसिकता बहुत खराब है कि रोगियों की संख्या कम है। लेकिन अस्पतालों में तैनात कर्मचारियों को अस्पतालों में रहना चाहिए ताकि आपातकालीन परिस्थितियोंमें रोगियों का वे इलाज कर सके।
लेकिन यहाँ तो मामला ही कुछ अजीब है चर्चा है कि डाक्टर पंत ने पूर्व प्रधान चंद्रकोट को बहला-फुसला कर कर्मचारी को PHC खेरना में बिठाने की अनुमति ले ली थी। लेकिन अब ग्राम सभा सौनलि और ग्राम सभा चंद्रकोट के ग्राम प्रधानो ने संयुक्त रूप से मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिख उक्त कर्मचारी को स्थायी तौर पर नियुक्त करने को लिखा है।
सामाजिक करकर्ता सुरेंद्र हालसी , ग्राम प्रधान संगठन बेतालघाट के अध्यक्ष भुवन महरा भी इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री और मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कर चुके हैं। सोचने वाली बात ये हैं कि लाँकडावन की इस विषम परिस्थिति मे जहाँ दुर्गम ग्रामीण स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र मे चिकित्सा कर्मी नहीं होने से परेशान हैं लेकिन वहीं इस पद पर नियुक्त किया गया कर्मचारी MOIC की सह पर PHC ख़ैरना में मौज कर रहा है।
चर्चा यह भी है कि पिछले कुछ माह पूर्व भी यह मामला सोशल मीडिया पर कुछस्थानीय सामाजिक लोगों के द्वारा उठाया गया था लेकिन डॉक्टरों और स्थानीय लोगों की साठ-गाँठ के चलते यह मामला दबा दिया गया।