एसडीसी फाउंडेशन की वेबिनार सीरीज एसडीसी डायलाॅग के प्रथम संस्थकरण में शामिल हुए विशेषज्ञ
जरूरी है कि सरकारी अस्पतालों में ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : राज्य के कई जाने-माने डाॅक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों में उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के दौर में जो स्थितियां सामने आई हैं, उससे यह साफ हो गया है जन स्वास्थ्य सेवाओं के मुद्दे पर सरकार को नये सिरे से रणनीति तैयार करनी होगी और इस तरफ ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना होगा।
एसडीसी फाउंडेशन द्वारा एसडीसी डायलाॅग वेबिनार सीरीज के पहले संस्करण में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जन स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति पर विचार विमर्श किया गया। इस वेबिनार में सीएमआई हाॅस्पिटल के सीएमएस और नेशनल हेल्थ मिशन उत्तराखंड के पूर्व डायरेक्टर डाॅ. अजीत गौरोला, उप जिला अस्पताल मसूरी की सीनियर मेडिकल ऑफिसर डाॅ. गरिमा पंत और कलाप ट्रस्ट के आनन्द शंकर ने हिस्सा लिया।
डाॅ. अजीत गैरोला ने कहा कि एनएचएम के तहत उत्तराखंड में बेहतर काम हुए हैं, लेकिन मेंन पावर की कमी के कारण बाधाएं आती है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण को गलत बताया और कहा कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए जरूरी है कि सरकारी अस्पतालों में ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं। उन्होंने कहा कि जब प्रवासी लोग अपने घरों को लौट रहे थे, उस समय टेस्टिंग और क्वारंटाइन ठीक से होता तो आज राज्य में इतनी बड़ी संख्या में पाॅजिटिव केस न होते। उन्होंने अब कंटेनमेंट और कम्युनिकेशन सिस्टम पर ध्यान देने की जरूरत बताई।
डाॅ. गरिमा पंत ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि नये डाॅक्टरों की सैलरी बढ़ाकर या उन्हें अन्य आर्थिक लाभ देकर ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 पर सरकार ने बेहतर काम किया है। समय-समय में आने वाली गाइडलाइंस से हेल्थ वर्कर्स को काफी मदद मिली। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में पिछले कुछ सालों में सुधार हुआ है।
आनन्द शंकर ने कहा कि जिला स्तर पर बेशक स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हुआ हो, लेकिन ग्रामीण स्तर पर स्थिति खराब है और प्राथमिक सुविधाएं तक उपलब्ध न होने के कारण डाॅक्टर्स और अन्य हेल्थ वर्कर्स भी वहां रहने के लिए तैयार नहीं हैं। मोरी का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि वहां ठीक से इंटरनेट कनेक्टिविटी तक नहीं है, ऐसे में कोई डाॅक्टर स्थाई रूप से वहां नहीं रहना चाहता। उन्होंने आम लोगों को जन स्वास्थ्य सेवाओं में भागीदार बनाने की जरूरत बताई।
इस वेबिनार का संचालन एसडीसी फाउंडेशन के लीड पब्लिक पालिसी एंड कम्युनिकेशन ऋषभ श्रीवास्तव ने किया। वेबिनार आयोजित करने में गौतम कुमार, आदर्श आनन्द और विदुष पांडेय ने भी सहयोग किया। आने वाले दिनों में वेबिनार के अन्य संस्करण भी आयोजित किये जाएंगे, जो अलग-अलग मुद्दों पर आधारित होंगे।