UTTARAKHAND

हरकी पैड़ी पर बहती है गंगा की अविरल धारा

कैबिनेट मंत्री कौशिक के समक्ष बैठक में अफसरों ने हरकी पैड़ी पर गंगा की अविरलधारा की पुष्टि करते हुए कहा, इस सम्बन्ध में अभिलेखीय साक्ष्य हैं 

1940 में प्रकाशित कोटले की पुस्तक में उक्त स्थल पर अविरल गंगा की धारा का वर्णन है, 1916 में गंगासभा के साथ मालवीय जी के समझौते में जिक्र है

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। प्रदेश के शहरी विकास, आवास मंत्री मदन कौशिक ने विधानसभा में हरिद्वार गंगा नदी स्थित स्कैप चैनल के सम्बन्ध में विचार के लिए बैठक बुलाई। बैठक में अधिकारियों ने उक्त स्थल पर गंगा की अविरलधारा की पुष्टि करते हुए कहा कि इस सम्बन्ध में अभिलेखीय साक्ष्य मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि 1940 में प्रकाशित कोटले की पुस्तक में उक्त स्थल पर अविरल गंगा की धारा का वर्णन है तथा 1916 में श्री गंगासभा के साथ पंडित मदन मोहन मालवीय के समझौते में भी इसका वर्णन है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि गंगा के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था एवं जनसुविधा के महत्व को देखते हुए आगामी कार्यवाही की जाएगी। विचार-विमर्श के बाद नगर विकास मंत्री ने कहा कि उक्त स्थल पर सदैव से गंगा की अविरलधारा बहती रही है, बह रही है और बहती रहेगी।
उन्होंने कहा कि कानूनी समस्या का समाधान करने के लिए जरूरत के अनुसार अधिनियम में संशोधन किया जाएगा अथवा अध्यादेश लाया जाएगा या उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाएगी। 
इस सम्बन्ध में ऐतिहासिक साक्ष्य और कानूनी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। इस प्रक्रिया के साथ ही शीघ्र ही स्कैप चैनल को बदलते हुए गंगा,अविरलधारा बहने की भी कार्यवाही अमल में लायी जाएगी। इस अवसर पर सचिव सिंचाई, सचिव आवास नितेश झा, सचिव विधायी एवं संसदीय कार्य प्रेम सिंह खिमाल, सचिव हरिद्वार विकास प्राधिकरण हरवीर सिंह एवं टाउन प्लानर के अधिकारी उपस्थित रहे। 
मालूम हो कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कुछ दिन पहले संतों को पत्र लिखकर कहा था कि वो अपनी सरकार के उस निर्णय को अपनी गलती मानते हैं, जिसमें हरकी पैड़ी पर गंगा की अविरल धारा को गंगनहर नाम दिया गया था। उस समय उनको गंगा के किनारे स्थित भवनों को ध्वस्तीकरण के आदेश से बचाना था। रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनकी सरकार के आदेश को बदलने की मांग की थी।  
पूर्व मुख्यमंत्री रावत के इस पत्र ने उत्तराखंड सरकार के सामने चुनौती खड़ी कर दी थी, क्योंकि यदि त्रिवेंद्र सरकार पूर्व सरकार के आदेश को बदलती है तो हरिद्वार में बड़ी संख्या में भवन ध्वस्तीकरण की जद में आ जाएंगे। यदि सरकार आदेश को नहीं बदलती तो उसको संतों और पुरोहितों की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि 2021 में हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन होना है।  
उत्तराखंड सरकार पूर्व सीएम रावत के इस सियासत का जवाब देने पर विचार कर रही है। इसके तहत ही कैबिनेट मंत्री और हरिद्वार क्षेत्र से विधायक कौशिक ने अधिकारियों की बैठक बुलाकर तकनीकी और कानूनी पक्षों पर चर्चा की। 

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