बजट में कटौती पर ग्राम प्रधानों ने दिया सामूहिक इस्तीफा
देहरादून । प्रदेश सरकार द्वारा पंचायत हित में किसी भी प्रकार की सुविधायें न दिये जाने व राज्य वित्त बजट में कटौती किये जाने के विरोध में आज जिला पंचायत राज अधिकारी व जिला विकास अधिकारी के कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए ग्राम प्रधानों ने अपने-अपने सामूहिक इस्तीफे सौंपें और कहा कि जल्द ही बजट में की गई कटौती को वापस नहीं लिया गया तो सड़कों पर उतरकर आन्दोलन किया जायेगा।
ग्राम प्रधान संगठन से जुड़े ग्राम प्रधान जिला पंचायत राज अधिकारी एवं जिला विकास अधिकारी के कार्यालय पर इकटठा हुए और वहां पर उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा पंचायत हित में किसी भी प्रकार की सुविधायें न दिये जाने व राज्य वित्त बजट में कटौती किये जाने के विरोध में प्रदर्शन करते हुए अपने अपने सामूहिक इस्तीफे सौंपें, उन्होंने कहा कि जल्द ही बजट में की गई कटौती को वापस नहीं लिया गया तो सड़कों पर उतरकर जनांदोलन किया जायेगा। आरोप लगाया कि सरकार लगातार ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा कर रही है जिसे किसी भी दशा में सहन नहीं किया जायेगा।
उनका कहना है कि राज्य वित की कटौती को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाये और उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम 2016 को पूर्ण रूप से सुनिश्चित किया जाये। 73 वें संविधान हेतु अधिकार दिये जाये। इसके अलावा पंचायत में ग्राम प्रधानों का मानदेय सुनिश्चित किया जाये। मनरेगा का दो वर्ष से रूका हुआ भुगतान तत्काल प्रभाव से अविलंब किया जाये। राज्य वित्त के बजट में कटौती किये जाने से इसका असर विकास कार्यों पर पडेगा और विकास कार्य पूर्ण रूप से अवरूद्ध हो जायेंगे।
उनका कहना है कि राज्य वित्त का बजट पूर्व की भांति रखा जाये, जिससे विकास कार्य बाधित न हो सके। राज्य सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ ग्राम प्रधान सामूहिक इस्तीफा दे रहे है जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी। प्रदेश स्तर पर सामूहिक इस्तीफे जिला पंचायत राज अधिकारी को सौंपे जा रहे है। इस अवसर पर सभी ग्राम प्रधानों ने जिला पंचायत राज अधिकारी को सामूहिक इस्तीफे सौंप कर अपना विरोध दर्ज किया।
इस अवसर पर संगठन के महामंत्री रितेश जोशी, दुर्गेश गौतम, कृपाल बवाडी, अशोक नेगी, देवेन्द्र दत्त पुजारा, कलम सिंह नेगी, विजेन्द्र पंवार, ममता जोशी, आरती पंवार, मीनू क्षेत्री, गुडडी पयाल, आलम खान, अनिता थापा सहित अनेक ग्राम प्रधान मौजूद रहे।