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जल्लीकट्टू खेल पर प्रतिबंध लगाना सरकारों के बस में नहीं !

जल्लीकट्टू खेल पर प्रतिबंध लगाना है सौ चूहे खाकर हज को जाने वाली बात

देव सिंह रावत 

नयी दिल्ली  : गौ वंश सहित लाखों पशुओं को निर्ममता से हर दिन कत्ल कराने वाली व कुर्वानी पर मूक रहने वाली देश की व्यवस्था द्वारा तमिलनाडू के प्राचीन सांडों की लडाई के खेल को पशुओं पर क्रूरता मान कर बंद कराना अपने आप में हास्यास्पद ही नहीं सौ चुहे खा कर हज को जाने जैसा कृत्य है।

तमिलनाडू में आम जनता का सांडों की लडाई के नाम से जाने जाना वाला लोकप्रिय खेल ‘जल्लीकट्टू’ पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंध लगाने के विरोध में पूरा तमिलनाडू सड़को पर आंदोलित हो कर ‘जल्लीकट्टू’ पर प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहा है। मुख्यमंत्री ने सभी प्रदर्शनकारियों से अपना आंदोलन रोकने की अपील करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर लोगों के साथ है.। दूसरी तरफ जल्लीकट्टू के लिए इजाजत मांगने वालों में आईटी क्षेत्र के कर्मचारी तथा कई और फिल्मी कलाकार भी शामिल हो गए हैं। कलाकारों के संगठन साउथ इंडियन आर्टिस्टेज एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर 20 जनवरी को भूख हडताल करने की घोषणा की है. मरीना बीच पर प्रदर्शनकारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री मौके पर आएं और इस खेल को इजाजत देने का आश्वासन दें. चेन्नई, कांचीपुरम, तिरुवल्लूर, मदुरै, कोयंबटूर, तिरुचिरापल्ली, शिवगंगा, सलेम, इरोड, धर्मपुरी और कन्याकुमारी सहित कई जिलों में रैलियां निकाली गई. रैलियों में और छात्रों एवं आईटी कर्मचारियों के प्रदर्शन में ये नारे लगाए गए कि, ‘हम जल्लीकट्टू चाहते हैं’ और ‘तमिल विरोधी पेटा को प्रतिबंधित किया जाए।

शिवगंगा के कांदीपट्टी गांव में तनाव मौजूद है जहां 100 सांडों का पीछा करने का खेल (मंजू विरात्तू) आयोजित किया गया था. पुलिस ने भीड को तितर बितर करने के लिए लाठी चार्ज किया. हालांकि, पुलिस पर प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया। मदुरै जिले के पासुकरनपत्ती में आयोजकों ने पुरस्कार राशि के साथ कई सांडों को छोडा. यह रकम उनकी सींगों में बंधी थी. इसी तरह का कार्यक्रम पट्टुकोट्टई में भी हुआ जहां 30 सांडों को शामिल किया गया. प्रदर्शन तेज होने के मद्देनजर, मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव गिरिजा वैद्यनाथन, डीजीपी टीके राजेंद्रन और चेन्नई पुलिस आयुक्त एस जार्ज सहित शीर्ष अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की. अभिनेता विशाल, कॉमेडियन विवेक और शिवकार्तिकेयन ने जल्लीकट्टू के लिए समर्थन जाहिर किया।

इस प्रकरण पर केन्द्र सरकार की उदासीनता के कारण भी यह मामला जनता के आक्रोश का कारण बना। पूर्ववर्ती सरकारों की तरह ही वर्तमान केन्द्र की मोदी सरकार का न्यायिक तंत्र इस मुद्दे पर जनभावनाओं व न्याय का सही आंकलन करके अपने दायित्वों को निर्वहन करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सही ढंग से पक्ष नहीं रख सका। पशु क्रुरता नहीं होनी चाहिए परन्तु प्रश्न तब उठता है जब व्यवस्था इस क्रुरता के लाख गुना अधिक पशुओं के निर्मम कत्लखानों व परंपरा के नाम पर कुर्वानी पर शर्मनाक मौन रखे और केवल सांडो के साथ खेल को क्रूर मानते हुए उस पर प्रतिबंध लगाये।

अगर व्यवस्था वास्तव में पशुओं के हितों के प्रति रत्तीभर भी जागरूक रहती तो सबसे पहले वह देश में हजारों हजार कत्लखानों को बंद करती जहां हर दिन लाखों पशुओं की निर्मम हत्या की जाती है। यह सब सरकार की इजाजत व सर्वोच्च न्यायालय की आंखों के सामने आज से नहीं अपितु दशकों से हो रहा है। इसके साथ सरकार व न्यायालय ने भले ही बलि प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए आधे अधूरे कानून बना कर इसे रोकने का काम किया परन्तु वहीं कुर्वानी के नाम पर लाखों बकरी, ऊंट व गौ वंश की निर्मम हत्या पर न्यायालय सहित व्यवस्था का मौन रखना एक प्रकार से न्याय का गला घोंटने के समान है। इससे व्यवस्था का पक्षपाती व अन्यायपूर्ण चेहरा ही बेनकाब होता है।

जल्लीकट्टू खेल पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंध लगाये जाने के बाद समूचे तमिलनाडु में इस खेल से प्रतिबंध हटाने की मांग जोर पकड़ने के बीच 18 जनवरी को मरीना बीच पर हजारों छात्र जमा हुए. जल्लीकट्टू पर विरोध प्रदर्शन के तीव्र होने की आशंका के मद्देनजर तमिलनाडु के कई कॉलेजों में छुट्टी कर दी गयी है। वहीं, सड़कों पर रोष बढने के मद्देनजर मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेलवम ने फौरन एक अध्यादेश लाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले। वहीं सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला ने आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए कहा कि इस पर प्रतिबंध हटाने के लिए विधानसभा के अगले सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया जायेगा. मुख्यमंत्री के साथ अन्नाद्रमुक के 49 सांसद भी होंगे. प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मिलेगें। अन्नाद्रमुक संगठन सचिव सी पोन्नीयन ने इस स्थिति के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि केंद्र अध्यादेश लाने में बहुत देर कर रही है।

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