- स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी नहीं कर पाएंगे छह माह तक हड़ताल
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । निजी अस्पतालों और डॉक्टरों द्वारा क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में कल (25 दिसम्बर) से प्रस्तावित हड़ताल को देखते हुए सरकार सतर्क हो गयी है । सरकार ने हड़ताल को देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र में अति आवश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) के तहत छह माह के लिए प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों और सभी चिकित्सा कर्मियों की हड़ताल पर पाबन्दी लगा दी है।वहीं शासन की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी करते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक को निर्देश दिए हैं कि अग्रिम आदेशों तक सरकारी डॉक्टरों व कार्मिकों की छुट्टियां रद कर दें।
प्रदेश के निजी अस्पताल और चिकित्सक राज्य में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का विरोध कर रहे हैं। उनकी ओर से 25 दिसंबर से हड़ताल पर जाने की घोषणा की गई है। यदि निजी डॉक्टर हड़ताल पर जाते हैं तो इससे रोगियों की दिक्कत बढ़ सकती है। इस बीच प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने भी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 25 दिसंबर को सांकेतिक कार्यबहिष्कार और अगले दिन बैठक कर आगे की रणनीति का एलान करने की चेतावनी दी थी।
इधर 25 दिसंबर को पूर्व प्रधान मंत्री अटल विहारी बाजपेयी के जन्म दिवस पर आयुष्मान भारत योजना की लांचिंग भी होनी है। इस बीच प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के पदाधिकारियों की शासन से हुई वार्ता के बाद संघ को मना लिया गया है। उसने आंदोलन स्थगित करने का निर्णय लिया है। लेकिन निजी चिकित्सक अपने एलान पर डटे हुए हैं।
इसे देखते हुए शासन ने स्वास्थ्य विभाग में एस्मा के तहत सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों व राज्य के समस्त चिकित्सा कर्मियों की सेवाओं को आवश्यक घोषित कर उनकी हड़ताल को छह माह के लिए निषिद्ध कर दिया है। स्वास्थ्य सचिव नितेश कुमार झा की ओर से इस संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार लोकहित में ऐसा करना आवश्यक है।
उधर, निजी अस्पतालों की हड़ताल के दृष्टिगत स्वास्थ्य महानिदेशक ने सभी सरकारी अस्पतालों के सीएमएस, एमएस व प्रभारी चिकित्साधिकारियों को पत्र प्रेशित किया है। इसमें अग्रिम आदेशों तक अपने अधीन कार्यरत किसी भी चिकित्साधिकारी, पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य कर्मचारियों का अवकाश, आकस्मिक स्थिति को छोड़कर किसी भी दशा में स्वीकृत न करने के निर्देश दिए गए हैं।