PERSONALITY
गंगोत्री गर्ब्याल : ‘प्यारी दीदी, अपने गांव फिर आना‘

‘गाना’ की पढ़ने की दृडइच्छा-शक्ति के आगे निरुत्तर थे उनके माता पिता
डाॅ. अरुण कुकसाल
‘‘प्रसिद्ध इतिहासविद् डाॅ. शिव प्रसाद डबराल ने ‘उत्तराखंड के भोटांतिक’ पुस्तक में लिखा है कि यदि प्रत्येक शौका अपने संघर्षशील, व्यापारिक और घुमक्कड़ी जीवन की मात्र एक महत्वपूर्ण घटना भी अपने गमग्या (पशु) की पीठ पर लिख कर छोड़ देता तो इससे जो साहित्य विकसित होता वह साहस, संयम, संघर्ष और सफलता की दृष्टि से पूरे विश्व में अद्धितीय होता’’
(‘यादें’ किताब की भूमिका में-डाॅ. आर.एस.टोलिया)