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लॉकडाउन से निर्मल हुआ गंगा का जल



सीपीसीबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वायरस के लिए लागू यातायात संबंधी प्रतिबंधों और औद्योगिक इकाइयों में कामकाज बंद किए जाने से देश में प्रदूषण के स्तर में खासी कमी आई है। रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग में गंगा नदी का पानी 36 मॉनिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। उत्तराखंड, उप्र समेत विभिन्न जगहों पर गंगा के पानी में काफी सुधार देखा गया। मॉनीटरिंग स्टेशनों के ऑनलाइन पैमानों पर पानी में ऑक्सीजन घुलने की मात्र प्रति लीटर 6 एमजी से अधिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 एमजी प्रति लीटर और कुल कोलीफार्म का स्तर 5000 प्रति 100 एमएल हो गया है। इसके अलावा पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है जो गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत को दर्शाता है। सीपीसीबी के रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग डाटा के अनुसार उसकी 36 मॉनिटरिंग यूनिटों में से 27 के आसपास पानी की गुणवत्ता वन्यजीवों और मछलियों के लिए उपयुक्त पाई गई है।
पर्यावरणविद् और साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम, रिवर, पीपुल (एसएएनडीआरपी) के एसोसिएट कोआर्डिनेटर भीम सिंह रावत ने बताया कि आर्गेनिक प्रदूषण अभी भी नदीं के पानी में घुल कर खत्म हो जाता है। लेकिन औद्योगिक इकाइयों से होने वाला रासायनिक कचरा घातक किस्म का प्रदूषण है जो नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता को खत्म कर देता है। लॉकडाउन के दौरान नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता में सुधार के कारण ही जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
दिल्ली-एनसीआर की हवा में भी सुधार: दिल्ली में भी हवा में खासा सुधार आया है। यहां लॉकडाउन के दौरान पीएम10 और नाइट्रोजन आक्साइड में भारी कमी हुई है। दिल्ली में 22-23 मार्च को पीएम10 में 44} की कमी थी। हालांकि एनसीआर (नेशनल कैपिटन रेंज) में दिल्ली जितना फर्क नहीं पड़ा है। गुरुग्राम को छोड़कर एनसीआर में 22 मार्च को पीएम10 में कमी आई। पीएम2.5 का स्तर अथिक रहा। नोएडा में 6} और गाजियाबाद में 9} था।Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.