मुनस्यारी(पिथौरागढ़) : शीतकाल में ऊंचाई वाले स्थानों पर प्रवास करने वाले दुर्लभ वन्य जीव निचले इलाकों और घाटियों की तरफ आते हैं। ऐसे ही समय का वन्य जीव तस्कर इनका शिकार करते रहे हैं एक जानकारी के अनुसार इस पर्वत शृंखलाओं पर बर्फवारी होते ही आजकल शिकारी बुग्यालों तक पहुंच गए हैं। इन शिकारियों द्वारा बुग्यालों में आग लगाकर वन्य जीवों के शिकार का जाल बिछा दिया है। पंचाचूली ग्लेशियर की तलहटी में स्थित बुग्याल एक बार फिर सुलगने लगे हैं। वहीँ वन्य जीव विभाग का दवा है कि उसने दुर्लभ वन्य जीवों को शिकारियों से बचाने के लिए किए काफी इंतजाम किये हैं।
गौरतलब हो कि आजकल उच्च हिमालय में भारी हिमपात के चलते मानवों के बाद वन्य जीवों का नीचे की तरफ माइग्रेशन प्रारंभ हो चुका है। माइग्रेशन करने वाले वन्य जीवों में कस्तूरा मृग, भरल, भालू, घुरड़ सहित अन्य दुर्लभ जीव होते हैं। जिनमें कस्तूरा पर शिकारियों की सबसे अधिक नजर रहती है। राज्य पशु कस्तूरा और राज्य पक्षी मोनाल हिमरेखा के पास रहता है। ये दोनों सबसे बाद में माइग्रेशन करते हैं।
कस्तूरा मृगों का प्रजनन बीते कार्तिक माह में हुआ होता है जिसके चलते उनके साथ नवजात मेमने भी होते हैं। कस्तूरा मृग अपने स्वभाव के चलते झुंडों में बुग्यालों में प्रवास करता है। कस्तूरा मृग को घास बुग्यालों में ही मिलती है। माइग्रेशन के दौरान इनकी सुरक्षा के लिए वन विभाग दावे तो लंबे चौड़े करता है परंतु शिकार होने के बाद मौके पर पहुंचता है।
इनकी सुरक्षा के लिए वन विभाग की टीम सोई रही दूसरी तरफ अवैध शिकारियों का दल बुग्यालों तक पहुंच चुका है। कस्तूरा मृग के शिकार के लिए बुग्यालों में आग लगा दी गई है। गोल घेरे में लगाई आग की चपेट में आने से कस्तूरा मृग मर जाते हैं। शिकारी बाद में जाकर इन्हें लाते हैं।
आजकल इनके द्वारा लगायी गयी आग के कारण पंचाचूली ग्लेशियर की तलहटी से धुंए के गुबार उठते नजर आ रहे हैं । वहीँ इस सूचना के बाद वन विभाग की टीम को क्षेत्र को रवाना कर दिया गया है। वन क्षेत्राधिकारी पूरन सिंह रौतेला के अनुसार वन्य जीवों का अवैध शिकार रोकने के लिए वन विभाग की टीम वन दरोगा पीएस राणा के नेतृत्व में मौके को रवाना हो चुकी है।