वन अनुसंधान संस्थान (डीम्ड) यूनिवर्सिटी ने मनाया चौथा दीक्षान्त समारोह

- वानिकी क्षेत्र में चुनौतियों पर गंभीर चिंता : अजय नारायण
देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान (डीम्ड) यूनिवर्सिटी के चौथे दीक्षान्त समारोह का आयोजन एफआरआई देहरादून के दीक्षान्त सभागार में किया गया। समारोह का शुभारम्भ पारम्परिक रूप से दीप प्रज्वलन, ईश वन्दना एवं विश्वविद्यालय गीत से हुआ। इसके उपरांत डा. एस.सी. गैरोला, कुलाधिपति, वन अनुसंधान संस्थान (डीम्ड) यूनिवर्सिटी और महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् देहरादून ने दीक्षान्त समारोह के औपचारिक शुभारम्भ की घोषणा की।
डा. सविता, कुलपति, वन अनुसंधान संस्थान (डीम्ड) यूनिवर्सिटी तथा निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून ने गणमान्य व्यक्तियों, विशेष आमंत्रितों, छात्रों और उनके माता पिता और सभी उपस्थितजनों का स्वागत किया और विश्वविद््यालय की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और भविष्य की आकांक्षाओं का उल्लेख किया गया। उन्होने बताया कि वन अनुसंधान संस्थान (डीम्ड) यूनिवर्सिटी विश्व की प्रथम स्तर का विश्वविद्यालय बनने की दिशा में अग्रसर है और छात्रों के सर्वांगीण विकास तथा वानिकी ज्ञान के विस्तार हेतु प्रतिबद्व है।
दीक्षान्त समारोह में वानिकी के विभिन्न विषयों में कुल 1622 उपाधियां (पी.एच.डी.-489: परास्नातक-1039: परास्नातक डिप्लोमा-52 तथा पोस्टमास्टर्स डिप्लोमा-42) प्रदान की गई। एम.एस.सी. सेल्यूलोज तथा पेपर टेक्नोलॉजी, एन्वायरमेंट मैनेजमेंट, फॉरेस्ट्री, वुड साईन्स एण्ड टेक्नोलॉजी, परास्नातक डिप्लोमा-एरोमा टेक्नोलॉजी, एफ.जी.टी.आई. एण्ड बायोटेक्नोलॉजी तथा पल्प एण्ड पेपर टेक्नोलॉजी, और पोस्टमास्टर्स डिप्लोमा- नैचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट तथा नॉन वुड फॉरेस्ट प्रोडक्टस के अंतर्गत अव्वल रहे 29 छात्र और छात्राओं को गोल्ड मेडल भी प्रदान किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि अजय नारायण झा, सचिव, भारत सरकार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वानिकी क्षेत्र की चुनौतियों पर गंभीर चिंता जताई तथा डिग्री धारकों से आह्वान किया कि वे अपनी इस विश्वविद्यालय में विकसित की गई प्रतिभा तथा अर्जित ज्ञान का उपयोग इन चुनौतियों का सामना करने में करें। उन्होने मंत्रालय की तरफ से यह प्रतिबद्वता भी व्यक्त की कि छात्रों की तरफ से आने वाले प्रत्येक सुझावों पर मंत्रालय द्वारा सकारात्मक रूप से विचार किया जाएगा तथा राष्ट्रीय स्तर पर उनके अनुपालन को सुनिश्चित किया जाएगा।
विशेष अतिथि के रूप में अपने उदबोधन में सिद्वांत दास, महानिदेशक, वन तथा विशेष सचिव, भारत सरकार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वनोत्पादकता वृद्वि, आजीविका सुरक्षा, उद्योगों को कच्चे माल की सतत् आपूर्ति, प्रदूषण प्रबंधन तथा जलवायु परिवर्तन आदि जैसे ज्वलंत मुद्दों पर मंत्रालय द्वारा संचालित कार्यक्रमों और योजनाओं की जानकारी दी गई। उन्होने वानिकी शिक्षा के सशक्तिकरण तथा इसको अंर्तराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए आवश्यक योजनाओं एवं क्रियान्वयन के तरीकों में सतत् सुधार पर बल दिया। उन्होने विद्यार्थियों के माध्यम से विश्वविद्यालय की पहुंच को विश्व स्तर पर ले जाने का आह्वान भी किया।
समारोह को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. एस.सी. गैरोला ने भारत में वानिकी शिक्षा के उन्नयन हेतु भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् देहरादून द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया। उन्होने वानिकी के क्षेत्र में विज्ञान तथा तकनीकि शिक्षा तथा अत्याधुनिक अनुसंधान की दिशा में वन अनुसंधान संस्थान (डीम्ड) विश्वविद्यालय की अंर्तराष्ट्रीय पहचान की सराहना की। उन्होने देश में वानिकी शिक्षा के सशक्तिकरण हेतु परिषद् के प्रयासों का भी जिक्र किया। कुलाधिपति द्वारा दीक्षान्त समारोह के औपचारिक समापन की घोषणा की गई तथा डा. एच.एस. गिनवाल, डीन, वन अनुसंधान संस्थान (डीम्ड) विश्वविद्यालय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।