भारत-नेपाल सीमा विवाद सुलझाने के लिए पांच दिवसीय अहम् बैठक शुरू

नेपाल-भारत सीमावर्ती वर्किंग ग्रुप (बीडब्ल्यूजी) की पांच दिवसीय बैठक शुरू
देहरादून : भारत-नेपाल सीमा विवाद निपटाने के उद्देश्य और सीमा सर्वेक्षण को लेकर नेपाल-भारत सीमावर्ती वर्किंग ग्रुप (बीडब्ल्यूजी) की अहम पांच दिवसीय बैठक राजधानी देहरादून में शुरू हो गयी है । सोमवार से शुरू हुई दोनों देशों के उच्चस्तरीय अधिकारियों की यह बैठक शुक्रवार तक चलेगी। इस बैठक को भारत- चीन से विवाद के मद्देनजर काफी अहम माना जा रहा है। भारत का मानना है कि पडोसी देशों के साथ अब सीमा विवाद धीरे-धीरे द्विपक्षीय समझौते के आधार पर हल किये जाने चाहिए ताकि पडोसी देशों के बीच मटमुटाव न हो और विकास को लेकर देश एक दूसरे का सहयोग लें।
गौरतलब हो कि नेपाल के सर्वे अफसरों का प्रतिनिधिमंडल बीते दिन शाम को देहरादून पहुंच गया था। इस पांच दिवसीय ये बैठक जीएमएस रोड स्थित होटल में चल रही है। उल्लेखनीय है कि अब तक भारत-नेपाल सीमा सर्वेक्षण को लेकर दोनों देशों के अफसर सात बैठकें कर चुके हैं। इसमें सीमा पर लगे स्तंभों की देखरेख, पुर्नस्थापना को लेकर बात की गई। कई सीमा स्तंभ या तो प्राकृतिक आपदाओं के दौरान टूट चुके हैं या मानवजनित गतिविधियों के कारण गायब हैं। इसके कारण लगातार बैठकें कर सीमा निर्धारण की जरुरतों की समीक्षा की जाती रही है। दोनों देशों में 1751 किमी लंबी सीमा को व्यवस्थित करने के तमाम उपायों पर चर्चा बैठक के एजेंडे में शामिल है । भारत के महासर्वेक्षक जनरल मेजर जनरल वीपी श्रीवास्तव के अनुसार बैठक में किसी नए बिंदु पर भी चर्चा और सहमति की उम्मीद है।
गौरतलब हो कि सीमा सर्वेक्षण के लिए 2014 में नेपाल-भारत सीमावर्ती वर्किंग ग्रुप (बीडब्ल्यूजी) का गठन किया गया था। अब तक इसकी तीन बैठकें हो चुकी हैं। इसमें दोनों देशों के महासर्वेक्षक जनरल व अन्य अधिकारी हिस्सा लेते हैं। इससे पहले बीडब्ल्यूजी की तीसरी बैठक काठमांडू में 23 से 25 जून 2016 तक आयोजित की गई थी। इसमें नेपाल सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक कृष्णा राज बीसी और भारत के तत्कालीन महासर्वेक्षक डा. स्वर्ण सुब्बा राव ने अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व किया था। इसी बैठक में यहाँ सोमवार से शुरू हुई बैठक प्रस्तावित की गई थी। इसके अलावा सर्वेक्षण अधिकारियों की समिति (एसओसी) की अब तक चार बैठकें हो चुकी हैं। अंतिम बैठक 20 से 22 जून 2016 तक काठमांडू में हुई थी। बीडब्ल्यूजी की बैठक में एसओसी बैठकों और संयुक्त फील्ड सर्वेक्षण टीमों की रिपोर्ट पर समीक्षा और नेपाल-भारत सीमा पर चल रही सीमावर्ती कार्यों की प्रगति पर बातचीत होती है।
नेपाल और भारत के बीच आबादी विहीन क्षेत्र में कुल 8,553 सीमा पिलर खड़े किए गए हैं। इसमें से सिर्फ 4060 पिलर की जांच की गई। इसमें 1470 की मरम्मत की गई। 603 पिलर पूरी तरह गायब पाए गए। जबकि शेष 4493 पिलर की स्थिति का सर्वे होना बाकी है। सीमा पिलर का ये नुकसान प्राकृतिक व मानवजनित है। दोनों देशों के बीच पूर्व में हुए समझौतों के अनुसार सम संख्या के पिलर की देखरेख भारत व विषय संख्या वाले पिलर की देखरेख नेपाल को करनी होती है। भूटान सीमा पर भी सीमा पिलर को लेकर संशय बना हुआ है।
दोनों देश सीमा पर आठ हजार से अधिक पिलरों को उपग्रह ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम प्रणाली (एनआईबी जीएनएसएस) से जोड़ने पर पिछली बैठक में सहमत हो चुके हैं। दोनों देशों की 1751 किलोमीटर लंबी सीमा को पहली बार प्रभावी ढंग से व्यवस्थित और देखरेख करने के लिए ये कदम उठाया गया था। सेवानिवृत्त महासर्वेक्षक जनरल स्वर्णसुब्बा राव के अनुसार गत वर्ष नेपाल-भारत कार्यकारी समूह बीडब्ल्यूजी की तीसरी बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया था।
गौरतलब हो कि भारत और नेपाल की 1751 किमी सीमा में उत्तराखंड में 263 किलोमीटर, उत्तर प्रदेश में 560 किलोमीटर, बिहार में 729 किलोमीटर , पश्चिम बंगाल में 100 किलोमीटर और सिक्किम में 99 किमी है । जबकि सीमा चौकियां : उत्तराखंड में 53, उत्तर प्रदेश में 148, बिहार में 193, पश्चिम बंगाल में 43, सिक्किम में 18 कुल एसएसबी की कुल 455 सीमा चौकियां हैं।