किसान होंगे हिमाचल की हल्दी से मालामाल

रानीखेत। पर्वतीय अंचल में जंगली जानवरों से बेहाल किसान और खत्म होती खेती को बचाने की चुनौती। पलायन के साथ कृषि कार्य से घटती रुचि के बीच ताड़ीखेत के किसानों ने जो नया तरीका ढूंढ निकाला है, वह वाकई अन्य काश्तकारों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं।
हिमाचली हल्दी के जरिये उन्होंने खासतौर पर जंगली सुअरों से निबटने तथा बेहतर आमदनी की राह दिखाने का काम किया है। अबकी सीजन यहां के किसानों ने प्रयोग के तौर पर विषम हालात के बावजूद 80 क्विंटल बीज लगाया है। पहल रंग लाई तो ताड़ीखेत जनपद में सर्वाधिक हल्दी उत्पादक ब्लॉक बन जाएगा।
दरअसल, विषम भौगोलिक हालात तथा सूखा, अतिवृष्टि, सिंचाई संसाधनों के अभाव समेत चौतरफा चुनौतियों से घिरे पर्वतीय जिलों में जंगली जानवरों ने खेती बचाने की चुनौती को और कठिन बना दिया है। इससे मायूस किसान खेती से मुंह मोडऩे लगे या कृषि कार्य से ही तौबा कर रहे।
इन विपरीत परिस्थितियों में ताड़ीखेत ब्लॉक के किसानों ने खेती बचाने को फसल बदलने का बड़ा फैसला कर लिया है। हालांकि जनपद के अन्य ब्लॉक क्षेत्रों ने भी दिलचस्पी दिखाई है। मगर प्रयोग के तौर पर पहले ही चरण में यहां कि कृषकों ने जंगली सुअरों को मात देने के लिए 80 क्विंटल हल्दी का बीज लगाया है।