एक्स सर्विसमैन के फर्जी दस्तावेज बनाकर भेजा जा रहा है अफगानिस्तान व इराक
स्पेशल टास्क फोर्स ने नकली दस्तावेज और पासपोर्ट फर्जीवाड़ा मामले में जांच शुरू
राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ और सेना के फर्जी दस्तावेज बनाकर विदेश भेजने वाली प्लेसमेंट कंपनियों की शुरू हुई जांच
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । भारतीय सेना के नाम पर एक्स सर्विसमैन के फर्जी दस्तावेज बनाकर अफगानिस्तान व इराक जैसे खाड़ी देशों में नौकरी पर भेजने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स ने तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। मामले में अब तीन अभियुक्तों की जांच पड़ताल आर्मी इंटेलिजेंस की तरफ से भी तेज कर दी गई है। मेरठ कैंट से कर्नल रैंक के अधिकारी ने देहरादून एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह से मुलाकात की। उन्होंने इस पूरे प्रकरण से जुड़े साक्ष्य, दस्तावेज और पूरे फर्जीवाड़े की जानकारी ली।
उधर राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ और सेना के फर्जी दस्तावेज बनाकर विदेश भेजने वाली प्लेसमेंट कंपनियों की जांच पड़ताल में जुड़ी उत्तराखंड एसटीएफ ने 150 से अधिक लोगों का डाटा तैयार किया है। वहीं यह डाटा एसटीएफ ने सेना को जांच पड़ताल के लिए सौंप दिया है. एक्स सर्विसमैन के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोग अफगानिस्तान व इराक जैसे अन्य देशों में नौकरी कर रहे हैं। अब आर्मी इंटेलिजेंस इस तरह के सभी लोगों के डाटा की जांच कर आगे की कार्रवाई करेगी।
उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा भारतीय सेना के फर्जी दस्तावेज बनाकर विदेशों में नौकरी के लिए भेजने वाली पांच प्लेसमेंट कंपनियों का डाटा जुटाया जा चुका है। राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर इन जालसाज प्लेसमेंट कंपनियों द्वारा अब तक कितने लोगों को सेना के जाली दस्तावेजों के आधार पर विदेश भेजा गया है, इस मामले में तमाम तरह के रिकॉर्ड एसटीएफ परत दर परत जांच पड़ताल कर आगे की कार्रवाई में जुटी है।
वहीं, दूसरी ओर उत्तराखंड एसटीएफ अब फर्जी पासपोर्ट के आधार पर विदेश जाने वाले लोगों के खिलाफ भी सख्ती से जांच पड़ताल में जुट गई है। जानकारी के अनुसार आर्मी के जाली दस्तावेज बनाकर प्लेसमेंट कंपनियों द्वारा ऐसे लोगों को भी नौकरी के लिए भेजा जा रहा है, जो पड़ोसी देशों से भारत आकर धोखाधड़ी से पासपोर्ट बनाकर विदेश जा रहे हैं। उत्तराखंड एसटीएफ ने अफगानिस्तान, इराक, दुबई जैसे खाड़ी देशों के दूतावास से पत्राचार कर ऐसे लोगों का रिकॉर्ड मंगवाया है, जो उत्तराखंड से नौकरी के लिए विदेशों में गए हैं। संबंधित दूतावासों से रिकॉर्ड मिलने के बाद उत्तराखंड से विदेशों में जाने वाले पासपोर्ट की जांच पड़ताल की जाएगी कि वह असली है या फर्जी है।
वहीं उत्तराखंड एसटीएफ आर्मी इंटेलिजेंस के अधिकारियों के साथ सामंजस्य बनाकर ऐसा रिकॉर्ड तैयार कर रही है, जिससे यह पता चल सके कि फर्जी पासपोर्ट के आधार पर कितने लोग विदेश में नौकरी कर रहे हैं। मामले में संबंधित दूतावास से रिकॉर्ड मंगवाए गए हैं। जिसके आधार पर सुराग लगते ही आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। एसटीएफ प्रभारी को इनपुट मिला था कि देहरादून में कुछ लोग सेना से सम्बन्धित दस्तावेज फर्जी तरीके से तैयार कर लोगों को विदेश भेज रहे हैं. उन्हें फर्जी तरीके से नौकरियां दिलवा कर लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं।
निरीक्षक संदीप नेगी के नेतृत्व में उप निरीक्षक यादवेन्द्र बाजवा एवं आर्मी इंटेलिजेंस की एक संयुक्त टीम का गठन किया गया था। सूचना मिली कि विक्की थापा नाम का व्यक्ति जो दूधली रोड मोथरावाला में रहता है, सेना के फर्जी दस्तावेज बनवाकर विदेश जाने की तैयारी कर रहा है। इस सूचना के आधार पर 21 जनवरी देर रात एसटीएफ एवं आर्मी इंटेलिजेंस की संयुक्त टीम द्वारा दूधलीरोड, मोथरोवाला स्थित इन्द्रपुरी फार्म के पास से एक व्यक्ति को पकड़ कर उससे पूछताछ की गई। गिरफ्तार किये गये विक्की थापा की तालाशी ली गई तो उसके पास से सेना से सम्बन्धित कुछ दस्तावेज बरामद हुए।
विक्की थापा ने बताया कि जोहड़ी में रघुवीर सिंह नाम का एक व्यक्ति है। जो इसी प्रकार से सेना के फर्जी दस्तावेज बनाकर लोगों को विदेश भिजवाने का काम करता है। इसके एवज में लोगों से भारी धन वसूलता है। इस सूचना पर एसटीएफ द्वारा थाना राजपुर क्षेत्र के जोहड़ी गांव में रघुवीर सिंह से पूछताछ की गई। रघुवीर के घर से सेना से सम्बन्धित कुछ दस्तावेज, 20 मुहरें व 90 सेना की पुस्तिका, जिनमें से 44 पुस्तक भरी हुई थी, बरामद की गईं।
रघुवीर सिंह ने बताया कि यह दस्तावेज भैरवदत्त कोटनाला की बंजारावाला स्थित प्रिन्टिंग प्रेस से तैयार कराये जाते हैं। रघुवीर सिंह द्वारा बताई गई सूचना के आधार पर पुलिस द्वारा भैरवदत्त के घर पर जाकर उससे प्रिन्टिंग प्रेस के बारे में पूछताछ की गई। प्रिन्टिंग प्रेस के कम्पूयटर की जांच की गई। जांच में सेना के फर्जी दस्तावेज की प्रिंटिंग होने की पुष्टि हुई। वहां से सेना की कई की पुस्तकें भी बरामद हुईं। पूछताछ में पता चला कि अब तक सेना के फर्जी दस्तावेज तैयार कर 100 से अधिक लोगों को विदेश भेजा जा चुका है।