Uttarakhand

जब काली कमाई देख अधिकारियों की आंखें फटी की फटी रह गईं

देहरादून : उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) के महाप्रबंधक एसए शर्मा के ढकरानी स्थित करीब 100 बीघा पर फैले फार्म हाउस में घुसते ही अधिकारियों की आंखें फटी की फटी रह गईं। यहां पर करीब 15 कमरों का एक आलीशान घर बनाया गया है। सभी कमरे एयर कंडीशंड सुविधाओं से लैस हैं और सभी में करीब तीन-चार लाख रुपये की लागत के टीवी सेट भी लगाए गए हैं। इसके अलावा टीम को भवन में 15 लाख रुपये से अधिक की लागत का सोफा भी मिला।

इस फार्म हाउस में आयकर अधिकारियों ने छापा मारा। आयकर अधिकारियों के अनुसार फार्म हाउस में ऐशोआराम के सभी साधन जुटाए गए हैं। यहां पर एक गेस्ट हाउस व स्वीमिंग पूल का निर्माण भी किया गया है। फार्म हाउस की जमीन के दस्तावेज खंगालने पर टीम ने पाया कि यह जमीन अलग-अलग टुकड़ों में वर्ष 2012-13 के बाद खरीदी गई है।

इसके साथ ही यहां पर कुछ पॉली हाउस का निर्माण किया गया और 80 से अधिक गाय भी पाली जा रही हैं। वहीं, दस्तावेजों की छानबीन में एसए शर्मा के बेटे के नाम पर बीते फरवरी माह में एक करोड़ रुपये से अधिक राशि की मर्सिडीज बेंज खरीदने की बात भी सामने आई। यह कार शर्मा के बेटे शशांक के नाम पर है।

फार्म हाउस में फॉर्चयूनर समेत कई लग्जरी वाहनों के कागजात भी मिले। अधिकतर वाहनों के नंबर 2020 की सीरीज में हैं। इस आधार पर परिवहन विभाग से इस सीरीज के वाहनों की डिटेल खंगालने की तैयारी भी की जा रही है।

शशांक के नाम पर ही सेलाकुई में एल्युमीनियम के एंगल बनाने की फैक्ट्री भी है, हालांकि इस फैक्ट्री में एक ही मशीन लगी है और एक बड़ा जिम भी बनाया गया है। एसए शर्मा के ठिकानों से मिले कागजात में उनकी दो बेटियों के नाम पर विभिन्न बिजनेस भी दिखाया गया है और उसकी आइटीआर (इनकम टैक्स रिटर्न) भी भरा जा रहा है।

इस तथ्य के विपरीत आयकर विभाग ने यह भी पाया कि उनकी बेटियां अभी दिल्ली में पढ़ाई कर रही हैं। ऐसे में बिजनेस व उनकी आइटीआर को भी जांच के दायरे में लिया गया है।

अघोषित संपत्ति नहीं होगी सरेंडर 
एक सरकारी अधिकारी के पास अकूत संपत्ति देखकर आयकर विभाग ने उनसे अघोषित आय सरेंडर करने से इन्कार कर दिया। इसके साथ ही आयकर विभाग की जांच के आधार पर अब अधिकारी पर अकूत संपत्ति के मामले में अन्य एजेंसियों के लिए भी जांच की राह खुल जाएगी।

संयुक्त निदेशक प्रदीप कुमार के अनुसार महाप्रबंधक एसए शर्मा की संपत्ति के आकलन के लिए मेरठ से एक आकलन अधिकारी को बुलाने का निर्णय लिया है। ताकि आगामी जांचों के लिए ठोस आधार तैयार किया जा सके।

छापे के बाद ठेकेदार से जीएम तक पहुंची टीम
यूपी निर्माण निगम के महाप्रबंधक पर की गई आयकर कार्रवाई का आधार ठेकेदार अमित शर्मा बने। दरअसल, आयकर विभाग ने ऋषिकेश के ठेकेदार पर करीब दो साल पहले आयकर सर्वे किया था। उस दौरान ठेकेदार और निगम के महाप्रबंधक के बीच भुगतान के कुछ दस्तावेज मिले थे।

इसी आधार पर आयकर विभाग ने एसए शर्मा तक पहुंचने की जमीन तैयार की। छापे से पहले किए गए होमवर्क में विभाग ने यह भी पाया कि निगम के अधिकतर कार्य ठेकेदार अमित शर्मा को ही दिए जा रहे हैं।

निर्माण निगम की कार्यप्रणाली पर उठते रहे हैं सवाल
उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम यूं ही उत्तराखंड की सबसे चहेती कार्यदाई संस्था नहीं बन गया, बल्कि इसके पीछे की वजह निगम की विशेष कार्यशैली है। प्रदेश की जो भी अपनी निर्माण एजेंसी हैं, उन्हें कोई कार्य आवंटित करने के लिए टेंडर जारी करने होते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के निगम के साथ यह बाध्यता नहीं।

यह निगम जिसे चाहे उसे कार्य आवंटित कर सकता है। यही वजह है कि यूपी निगम को राज्य सरकारों ने उत्तराखंड की एजेंसियों से अधिक तवज्जो दी। वर्ष 2004-05 में यह बात भी उठी थी की उप्र निगम को भविष्य में उत्तराखंड की कार्यदाई संस्था के रूप में एक्सटेंशन नहीं दिया जाएगा, लेकिन शासन की यह कवायद सिर्फ फाइलों तक सीमित रह गई।

इसके बाद एक के बाद एक 10 से अधिक शासनादेश संशोधनों के माध्यम से निगम को एक्सटेंशन दिया जाता रहा। आयकर विभाग को भी इस कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी थी और इस वजह से भी विभाग मानकर चल रहा था कि निगम में बड़े स्तर पर अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।

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