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30 साल की मेहनत के बाद बने मलेरिया के पहले टीके पर प्रयोग शुरू

  • अफ्रीका के तीन देशों में पायलट प्रोग्राम के तहत किया जाएगा प्रयोग 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

जेनेवा  : 30 साल की अथक मेहनत के बाद तैयार किए गए मलेरिया के टीके का प्रयोग शुरू हो गया है। पायलट प्रोग्राम के तहत अफ्रीका के मालावी में टीका लॉन्च किया गया है। जल्द ही इसे कुछ अन्य अफ्रीकी देशों में लॉन्च किया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस पायलट प्रोग्राम के लिए मालावी सरकार की प्रशंसा की है। मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है, जिससे सालाना 4,35,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। मच्छर के काटने से फैलने वाली इस बीमारी के ज्यादातर शिकार बच्चे होते हैं।

मलेरिया के इस पहले टीके को आरटीएस,एस नाम दिया गया है। इसे तीन अफ्रीकी देशों में दो साल तक के बच्चों को दिया जाएगा। इनमें मालावी पहला देश बना है। इसे बाद आगामी हफ्तों में घाना और केन्या में इसे लॉन्च किया जाएगा। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेडरोस एदनम ने कहा, ‘मच्छरदानी और अन्य कई तरीकों से पिछले 15 साल में मलेरिया नियंत्रण में बड़ी कामयाबी मिली है। लेकिन अब सफलता की दर रुक गई है। कई जगहों पर हालात फिर बिगड़ने भी लगे हैं। हालात को फिर सुधारने के लिए हमें नए समाधान की जरूरत है।

यह टीका इस दिशा में अहम है। टीका हजारों बच्चों की जिंदगी बचा सकता है।’ वैज्ञानिक 30 साल से इस दिशा में प्रयासरत हैं और आरटीएस,एस अब तक का इकलौता टीका है, जिससे मलेरिया पर नियंत्रण की उम्मीद जगी है। अफ्रीका में डब्ल्यूएचओ की स्थानीय निदेशक मत्शीदिसो मोइती ने कहा, ‘अफ्रीकी समुदाय में मलेरिया बड़ा खतरा बना हुआ है। गरीबी में जी रहे बच्चों को इसका सबसे ज्यादा खतरा रहता है। जानलेवा बीमारियों से बचाव में हम विभिन्न टीकों की क्षमता से परिचित हैं। जहां डॉक्टर और दवा की पहुंच नहीं है, वहां भी यह टीका लोगों की जान बचाने में मददगार हो सकता है।’

पायलट प्रोग्राम के तहत टीके के नतीजे परखे जाएंगे। उसके बाद दुनिया के अन्य हिस्सों में इसका प्रसार किया जाएगा। इस टीके को मलेरिया के बचाव के लिए डब्ल्यूएचओ की ओर से प्रस्तावित कार्यक्रमों का ही हिस्सा बनाया जाएगा। इन कदमों में दवा वाली मच्छरदानी का प्रयोग, घरों में दवा का छिड़काव और समय पर बीमारी की जांच व इलाज शामिल हैं।

हर दो मिनट में हो जाती है एक बच्चे की मौत : मलेरिया को बच्चों के लिहाज से सर्वाधिक जानलेवा बीमारियों में शुमार किया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक, हर दो मिनट में मलेरिया के कारण एक बच्चे की मौत हो जाती है। मलेरिया के कारण सबसे ज्यादा मौत अफ्रीका में होती है। यहां सालाना 2,50,000 बच्चों की मौत मलेरिया के कारण हो जाती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दक्षिण-पूर्व एशिया में 89 फीसद मलेरिया के मामले भारत में पाए जाते हैं। नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के अनुसार, 2016 में भारत में मलेरिया के 10,90,724 मामले सामने आए थे, जबकि 331 लोगों की मौत मलेरिया के कारण हुई थी।

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