कौन लगा रहा है मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर पलीता
- खनन अधिकारी की पहुँच के चलते नहीं हो रही कोई कार्रवाई
- सरकार को लगाया जा रहा एक करोड़ रुपये का चूना !
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : खनन विभाग में काले कारनामों की कालिख सरकार के कॉलर तक पहुंच सकती है। मामला हरिद्वार जिले में 98 लाख 50 हज़ार 225 रुपए की धरोहर राशि को वापस करने का है, जिसे नवीनीकरण करवाकर वापस जिलाधिकारी कार्यालय में जमा कराया जाना था।
गौरतलब है कि हाल ही में हरिद्वार खनन अधिकारी पर ठेकेदार प्रणव रस्तोगी को अवैध तरीके से धरोहर राशि वापस करने का आरोप लगा था…मामला सामने आने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में करीब एक करोड़ की धरोहर राशि को वापस लेने की जद्दोजहद शुरू हो गयी। लेकिन पता चला कि ठेकेदार साहब विदेश चले गए…मामला पहले शासन और फिर मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंचा लेकिन जिला खनन अधिकारी की पैठ के आगे कोई मामले में कार्रवाई नही कर पाया।
बहरहाल मामले को सुलझाने के लिए प्रणव रस्तोगी पर ही दिनेश कुमार ने धोखाधड़ी का केस दर्ज करवा दिया। मामले के बाद निदेशक खनन विनय शंकर पांडेय की तो खनन विभाग की छुट्टी कर दी गयी है लेकिन जिला खनन अधिकारी हरिद्वार दिनेश कुमार को छेड़ा तक नही गया।
ये हाल तब है जब मुख्यमंत्री दरबार तक सीएम के सिपाहसालारों तक मामले की शिकायत पहुंचाई गई। सवाल ये है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में वो कौन है जो मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को पलीता लगाते हुए दिनेश कुमार के कारनामे को छुपा रहा है और कौन है जो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जीरो टॉलरेंस की नीति को झुठलाने की कोशिश कर रहा है।
जानकारी ये भी है कि तमाम गड़बड़ झाले करने के बावजूद अभी भी दिनेश कुमार पर मेहरबानियों का सिलसिला जारी है। ये हाल तब है जब मामला पानी की तरह साफ है और पूर्व निदेशक खनन के पैसा जप्तीकरण के आदेश के बाद दिनेश कुमार द्वारा पैसा वापस कर दिया गया। बताया जा रहा है कि दिनेश कुमार की खनन लॉबी समेत शासन के अधिकारियों और सत्ता के गलियारों के कुछ लोगों से अच्छी दोस्ती है..और शायद इसीलिए अब मामले में एफआईआर दर्ज करवाकर मामले को रफा दफा करने की कोशिश की जा रही है ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।