- एन एच-74 का जमीन घोटाला
- सीबीआई को 29 अक्टूबर को हाई कोर्ट में देना है हलफनामा कि वह जांच करेगी या नहीं !
- सीबीआई जांच को तैयार हुई तो ईडी भी करायेगी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर!
देहरादून। प्रवर्तन निदेशालय देहरादून कार्यालय ने पिछले हफ्ते उत्तराखंड पुलिस से एनएच 74 घोटाले की जानकारी लेकर प्राथमिकी दर्ज की है और एजेंसी अब अगले सुनवाई के लिए निर्धारित सीबीआई जांच के फैसले का इंतजार कर रही है । एक वरिष्ठ ईडी अधिकारी ने कहा, “सीबीआई द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के बाद, समयबद्ध अपराधों के नियमों के अनुसार, ईडी भी मनी लॉन्डरिंग एक्ट के प्रावधानों के तहत मामले के सभी संदिग्धों के वित्तीय पहलुओं की एक साथ जांच शुरू करेगा।” मामले की जांच में एसआईटी ने एक प्रमुख संदिग्ध पर सवाल उठाए है, जिसमें राज्य सरकार के अधिकारी डीपी सिंह सहित कई अधिकारी शामिल हैं।
हालाँकि एनएच-74 घोटाले को लेकर सरकार व विपक्ष के प्रदेश में भाजपा की सरकार के बनने से लेकर अब तक राजनीतिक नूरा-कुश्ती जारी है वहीँ राज्यवासियों की निगाहे इस बात पर टिकी हुई हैं कि सैकडों करोड़ के इस घोटाले की जांच सीबीआई अपने हाथों में लेगी या नहीं ? वहीँ एसआईटी टीम भी इस मामले की जांच सीबीआई तर्ज पर कर रही है और उस पर भी सीबीआई की एक टीम नज़र रखे हुए है। सभी की नज़रें नैनीताल उच्च न्यायालय के फरमान पर टिकी है क्योंकि 29 अक्टूबर को सीबीआई को इस घोटाले पर अपना कोर्ट के सम्मुख अपना पक्ष रखना है कि वह मामले की जांच अपने हाथ में ले रही अथवा नहीं?
अगर कोर्ट ने इस मामले ही जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिये तो सीबीआई को घोटाले में एफआईआर कराने के लिए आगे आना पडेगा जिसको देखते हुए ईडी भी एनएच-74 घोटाले में अदालत के आने वाले फैसले का इंतजार कर रही है और उसने एसआईटी से इस जांच की एफआईआर व दस्तावेज भी अपने हाथों में लिये हैं तथा तय माना जा रहा है कि अगर सीबीआई ने घोटाले में एफआईआर की तो उसके बाद ईडी भी मनीलांड्रिंग की एफआईआर दर्ज कराने के लिए आगे आयेगी।
हालांकि एफआईआर व मामले के दस्तावेज हाथ में आने के बाद ईडी ने घोटाले में दौलत कमाने वाले चेहरों को अपने रडार पर ले लिया है और बस अब इंतजार अदालत के फैसले का हो रहा है जिसको लेकर इस मामले से जुडे सफेदपोशों व कुछ अफसरों की नींद उड़ने लगी है।
गौरतलब है कि कुमांऊ में एनएच-74 घोटाला सामने आया जिसमें लगभग पांच सौ करोड़ का भ्रष्टाचार का अनुमान लगाया जा रहा है। इस मामले में पूर्व कुमांऊ कमीश्नर सैंथिल पांडियन ने राज्य सरकार के लगभग चार-पांच प्रशासनिक अफसरों को अपनी रडार पर लेकर उसकी आख्या शासन के पास भेजी थी जिसके बाद इन दागी अफसरों को निलम्बित कर दिया गया था।
वहीँ सरकार ने इस मामले की जांच शुरू में सीबीआई से कराने की बात कही थी और विधानसभा में भी सरकार के मुखिया ने घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का वायदा किया था लेकिन केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के एक पत्र के बाद से इस घोटाले में नया मोड़ आ गया था जब मंत्री ने मुख्यमंत्री को मामले की जांच सीबीआई से न कराने को पत्र लिखा था।
गडकरी के पत्र के बाद से भाजपा व कांग्रेस के अन्दर वाक युद्ध चल रहा है और यही कारण है कि यह मामला अब उच्च न्यायालय के सामने भी पहुंच चुका है तथा लम्बे समय तक इस मामले में सीबीआई की चुप्पी पर उच्च न्यायालय ने सीबीआई को 29 अक्टूबर को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया था। अदालत ने सीबीआई से सवाल किया था कि आखिरकार उसने अब तक इस मामले में क्या कार्यवाही की है उसकी आख्या न्यायालय में पेश करें।
सीबीआई को अब 29 अक्टूबर को अपना जवाब दाखिल करना है। वहीं सूत्रों से पता चला है कि एक सप्ताह पूर्व ईडी ने भी एसआईटी से इस मामले की एफआईआर और दस्तावेज तलब किये हैं और उसकी वह पूरी समीक्षा भी कर चुकी है। चर्चाओं का बाजार गर्म है कि ईडी ने एफआईआर व दस्तावेजों का पूरी तरह से अध्ययन कर लिया है और इस घोटाले में दौलत कमाने वाले भ्रष्टाचारियों के चेहरे भी ईडी की रडार पर आ चुके हैं इससे यह बात साफ हो रही है कि अगर उच्च न्यायालय ने सीबीआई को घोटाले की जांच करने के आदेश दिये तो सीबीआई एफआईआर कर जांच में जुट जायेगी वहीं ईडी भी मनी लांड्रिंग को लेकर अपनी एफआईआर दर्ज कर लेगी और उसके बाद घोटाले के गुनाहगारों को घेरने के लिए सीबीआई व ईडी अपने मिशन पर आगे बढ जायेगी।