- बिगड़े बोलों पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद चुनाव आयोग हुआ सख्त
- योगी, मेनका मायावती और आजम पर लगाया प्रतिबन्ध
- योगी, आजम के विवादित बोल पर तीन दिन की रोक
- माया, मेनका को दो दिन तक प्रचार से रोका गया
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद आखिरकार चुनाव आयोग ने आचार संहिता उल्लंघन के मामले में सख्त कदम उठाते हुए और विद्वेष फैलाने वाले भाषणों के चलते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा नेता आजम खां पर 72 घंटे तो बसपा प्रमुख मायावती व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी पर 48 घंटे तक चुनाव प्रचार करने पर देशव्यापी प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध (आज) 16 अप्रैल यानी मंगलवार सुबह छह बजे से शुरू हो जाएगा। इस दौरान इन नेताओं को किसी रैली में बोलने की इजाजत नहीं होगी और ये नेता निर्धारित समय सीमा तक किसी भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर नहीं कर पाएंगे। इतना ही नहीं किसी को साक्षात्कार देने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। उधर, आजम खां के खिलाफ जयाप्रदा पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में एफआइआर भी दर्ज हो गई है।
चुनाव आयोग का यह फैसला ऐसे वक्त आया जब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार सुबह ही पूछा था कि आयोग ने अभी तक इस मामले में क्या कार्रवाई की है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आयोग अभी तक सिर्फ नोटिस ही जारी कर रहा है। कोई सख्त एक्शन क्यों नहीं ले रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के देवबंद की रैली में दिए गए भाषण पर आपत्ति जताई थी। हालांकि, आयोग का कहना है कि इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही से जोड़ना गलत है। चुनाव आयोग के फैसले से साफ है कि अब योगी आदित्यनाथ और आजम खां 16, 17 और 18 अप्रैल को कोई प्रचार नहीं कर पाएंगे। जबकि मायावती और मेनका गांधी 16 और 17 अप्रैल को कोई चुनाव प्रचार नहीं कर सकेंगी। मायावती को 16 अप्रैल को आगरा में एक रैली को संबोधित करना था।
आयोग को जवाब में योगी ने कहा, आरोप मिथ्या: चुनाव आयोग के नोटिस के जवाब में योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है, ‘भारतीय संविधान हर नागरिक को धर्म और आस्था की स्वतंत्रता प्रदान करता है।’ जवाब में योगी ने साफ लिखा है, उन्हें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि बजरंगबली में उनकी अटूट आस्था है। किसी को बुरा लगने या किसी के भी अज्ञानतावश असुरक्षित महसूस करने के डर से वह अपनी आस्था नहीं छोड़ सकते। भगवान बजरंगबली उनके आराध्य देव हैं और हर शुभ कार्य के अवसर पर वह बजरंगबली का स्मरण करते हैं।
- योगी-माया ने ये कहा था
सात अप्रैल को देवबंद, सहारनपुर में गठबंधन की संयुक्त रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा था कि मुसलमान अपने वोट बंटने न दें। एकमुश्त गठबंधन प्रत्याशी को वोट करें। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने 11 अप्रैल को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था। आयोग उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। योगी ने मेरठ में अपने बयान में कहा था कि अगर कांग्रेस, सपा और बसपा को अली पर विश्वास है तो हमें भी बजरंग बली पर विश्वास है। योगी ने देवबंद में मायावती के चुनावी भाषण की तरफ इशारा करते हुए यह टिप्पणी की थी। योगी की जनसभा के दौरान एक खास संदर्भ में ‘हरा वायरस’ और ‘बजरंग बली’ शब्द के प्रयोग को आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन माना है।
- आजम खान ये बोले थे
आजम ने रविवार को रामपुर के शाहबाद में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। आजम ने कहा था, ‘रामपुर वालों, उत्तर प्रदेश वालों, हंिदूुस्तान वालों, उसकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लगे। मैं 17 दिनों में पहचान गया कि इनके नीचे का जो .. है वो खाकी रंग का है।’
- मेनका ने ये कहा था
सुल्तानपुर से भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि जिस इलाके से उन्हें सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे, सबसे पहले वहीं का काम होगा। मुस्लिम वोटरों से कहा था कि लोकसभा चुनावों के बाद एक बार तो उन्हें उनकी (मेनका) जरूरत पड़ेगी।
- मायावती, बसपा सुप्रीमो ने ये कहा
कारण बताओ नोटिस में चुनाव आयोग ने नहीं लिखा है कि मैंने भड़काऊ भाषण दिया था। यह तो बिना पक्ष सुने मुझ पर प्रतिबंध और मोदी-शाह को खुली छूट दी है।