शौचालय निर्माण को लेकर भरदार क्षेत्र के ढौण्डा गांव में हुआ जमकर फर्जीवाड़ा
- शौचालय निर्माण के एवज में ग्राम प्रधान पर ग्रामीणों ने लगाये धनराशि लेने का आरोप
- स्वजल से अनुबंधन समाप्त होने के बाद भी पूरे नहीं बने गांव में शौचालय
- प्रधान के साथ ही अन्य दोषी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश
रुद्रप्रयाग । कागजों में भले ही रुद्रप्रयाग जिला ओडीएफ घोषित हो चुका है मगर जमीनी हकीकत कागजों में दर्शायी गयी हकीकत से अलग है, स्वजल परियोजना से जुडे अधिकारी कर्मचारियों और ग्राम प्रधानों ने मिली भगत कर शौचालयों को मिलने वाला पैसा ऐसा डकारा कि उन्हें शौच तक जाने की जरुरत नहीं पड़ी , मामले का खुलासा तब हुआ जब रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश धिल्डियाल ने ग्राम पंचायत ढोंडा में घर- घर पर पहुंचकर शौचालयों की बारीकी से तफ्तीश की। मामले में जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधान पर सक्षम न्यायालय में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश के साथ ही स्वजल के क्षेत्रीय समन्वयक को निलम्बित करने के आदेश दिए। जिलाधिकारी के इस सख्त कदम से स्वजल परियोजना के अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए हैं ।
जिलाधिकारी द्वारा स्थलीय जांच में साफ़ पता चला है कि शौचालय निर्माण के नाम पर ग्राम प्रधान व स्वजल के कर्मचारी व अधिकारी जमकर घोटाला कर रहे हैं। धनराशि मिलने के बावजूद भी शौचालयों का निर्माण नहीं किया जा रहा है और कागजों में पूरे शौचालयों का निर्माण होना दर्शाया जा रहा है। इतना ही नहीं ग्राम प्रधान ग्रामीणों से शौचालय निर्माण के नाम पर पैंसे भी ले रहे हैं। अभी तक इस प्रकार की शिकायत कई ग्राम प्रधानों के खिलाफ प्राप्त हो चुकी हैं।
दरअसल, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने विकासखण्ड जखोली के अंतर्गत भरदार क्षेत्र का भ्रमण किया गया। इस दौरान ग्राम पंचायत ढौण्डा पालीपुर में स्वजल परियोजना के तहत बनाये जा रहे शौचालयों के निर्माण में लेट-लतीफी और ग्रामीणों से ग्राम प्रधान द्वारा पैंसे लिये जाने की शिकायत पर जिलाधिकारी ने कड़ी नाराजगी जताते हुये संबंधित प्रधान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं। पूरे प्रकरण की जांच भी की जायेगी और इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
भ्रमण के दौरान जिलाधिकारी ने पाया कि ग्राम पंचायत ढौण्डा में स्वजल विभाग के साथ ग्राम प्रधान ने माह 2017 में अनुबन्ध हस्ताक्षरित किया था, जिसके अनुसार ग्राम प्रधान द्वारा 79 लाभार्थियों के शौचालयों का निर्माण कराया जाना था। इस कार्य के लिये ग्राम प्रधान के खाते में 4.74 लाख की धनराशि दी गई। जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधान से सभी 79 शौचालय दिखाने को कहा। जिलाधिकारी ने तीन घण्टे तक लगभग 8 किमी की दूरी तय कर गांव के प्रत्येक घर का भ्रमण किया।
भ्रमण के दौरान पता चला कि 79 शौचालयों में से मात्र 29 शौचालय ही बने हैं, बाकी 19 परिवार ऐसे दिखाये गये हैं, जिन्होंने अभी तक शौचालय नहीं बनाये हैं। शेष 31 परिवारों के संबंध में ग्राम प्रधान कुछ भी बताने में असमर्थ रहा, जिससे यह रोड़ा उत्पन्न होता है कि वे परिवार वास्तव में हैं भी या पलायन कर चुके हैं। ग्राम प्रधान द्वारा इस संबंध में घोषणा की जा चुकी है कि उनके द्वारा सभी 79 शौचालय बना दिये गये हैं।
स्थानीय ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को बताया कि पहली किश्त का उन्हें छह हजार रूपए का भुगतान होना था, लेकिन प्रधान ने मात्र पांच हजार रूपए ही उन्हें दिए, जिस पर जिलाधिकारी ने कहा कि प्रधान के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और सभी लाभार्थियों को उनका पूरा पैंसा मिलेगा। जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधान को सख्त निर्देश दिए कि एक माह के भीतर गांव में सभी शौंचालयों का निर्माण किया जाय तथा जितने भी परिवार शौचालयों का निर्माण कर रहे हैं, उन्हें मानकों के अनुरूप बारह हजार रूपए प्रति परिवार को भुगतान किया जाय।
इस अवसर पर ग्रामीणों ने स्वजल विभाग के प्रति भी नाराजगी व्यक्त की। कहा कि विभागीय अधिकारियों ने बिना सर्वे के ही ग्राम प्रधान को पैंसे का भुगतान कर दिया गया, जिसके चलते आज यह स्थिति बनी हुई है। जिलाधिकारी ने स्वजल विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि अनुबन्ध की शर्तों के उल्लंघन के लिए ग्राम प्रधान पर सक्षम न्यायालय में मुकदमा दर्ज करें एवं स्वजल के क्षेत्रीय समन्वयक को निलम्बित किया जाय तथा जिन अधिकारियों द्वारा इस ग्राम का सत्यापन किया गया है उनका वेतन तब तक आहरित न किया जाय जब तक कि गांव में सबके शौचालय न बना दिये जाएं।