सपनों की अनोखी उड़ान:एपीजे अब्दुल कलाम

मिसाइल मैन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए.पी जे अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व और उनकी पहचान न केवल एक राष्ट्रपति के रूप में बल्कि जब भी लोग अपने को कमजोर महसूस करते हैं तो उनका नाम ही लोगों के लिए एक प्रेरणा के रूप में सामने आता है।…आसमान की ऊंचाइयों को छूने के लिए हवाई जहाज और अन्य साधनों से भी अधिक जरूरी चीज है अपना हौसला। हौसला व्यक्ति की सोच को एक ऐसी उड़ान देता है,जिसका अन्तिम शिखर कामयाबी की चोटी है। कामयाबी के शिखर तक पहुंचने की ऐसी ही एक जीती जागती कहानी पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम है, जिन्हें भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मिसाइलमैन के नाम से जानती है।
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साफ छवि के ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश हित में लगाया है।उनकी कर्मठता व ईमानदारी युवाओं के लिए एक मिसाल बनी है।उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि आज भारतीय रक्षा विभाग मजबूती के साथ देश की सीमाओं पर दुश्मनों के मुकाबला करने के लिए खड़ा है। प्रारम्भिक दौर में व्यक्तिगत जीवन के संघर्षों से जूझने वाले भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की डिक्शनरी में असंभव जैसा शब्द नहीं रहा है।कलाम की बचपन की कहानियां लालटेन की रोशनी में पढ़ाई इन्हें परिवार में सबसे अधिक स्नेह प्राप्त हुआ क्योंकि यह परिवार में सबसे छोटे थे। तब घरों में विद्युत नहीं हुआ करती थी और केरोसीन तेल के दीपक जला करते थे,जिनका समय रात्रि 7 से 9 तक नियत था। लेकिन यह अपनी माता के अतिरिक्त स्नेह के कारण पढ़ाई करने हेतु रात के 11 बजे तक दीपक का उपयोग करते थे।अब्दुल कलाम मदरसे में पढ़ने के बाद सुबह रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे. अब्दुल कलाम अख़बार लेने के बाद रामेश्वरम शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर सबसे पहले उसका वितरण करते थे.
बचपन में ही आत्मनिर्भर बनने की तरफ उनका यह पहला कदम रहा.डॉ. कलाम की शिक्षा जब यह मात्र 19 वर्ष के थे,तब द्वितीय विश्व युद्ध की विभीषिका को भी महसूस किया। युद्ध की आग रामेश्वरम के द्वार तक पहुंच गई थी। इन परिस्थितियों में भोजन सहित सभी आवश्यक वस्तुओं का अभाव हो गया था। कलाम एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आए,तो इसके पीछे उनके पांचवीं कक्षा के अध्यापक सुब्रह्मण्यम अय्यर की प्रेरणा जरूर थी। अध्यापक की बातों ने उन्हें जीवन के लिए एक मंजिल और उद्देश्य भी प्रदान किया। अभियांत्रिकी की शिक्षा के लिए उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया। वहां उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अध्ययन किया।
मिसाइल क्रांति की तरफ कदम 1962 में वे ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ में आये. डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है. अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं. उन्होंने 20 साल तक भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन यानी इसरो में काम किया और करीब इतने ही साल तक रक्षा शोध और विकास संगठन यानी डीआरडीओ में भी. वे 10 साल तक डीआरडीओ के अध्यक्ष रहे साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार की भूमिका भी निभाई. इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।राष्ट्रपति का सफर कलाम भारत के बारहवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे. इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एनडीए घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया. 18 जुलाई, 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई, 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई. इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे. इनका कार्यकाल 25 जुलाई, 2007 को समाप्त हुआ।
डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है.जुलाई 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था.ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया. इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की।इसके अलावा डॉक्टर कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच भी प्रदान की।कलाम ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं जिन्हें भारत रत्न का सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है, अन्य दो राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉक्टर जाकिर हुसैन हैं.यह प्रथम वैज्ञानिक हैं जो राष्ट्रपति बने हैं और प्रथम राष्ट्रपति भी हैं जो अविवाहित हैं.इसके अतिरिक्त कलाम ही ऐसे एकमात्र व्यक्ति हैं जो राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद अभी जीवित हैं।
इनके पूर्व के सभी राष्ट्रपति अब इस संसार में नहीं हैं.एक राष्ट्रपति के अलावा वह एक आम इन्सान के तौर पर वह युवाओं की पहली पसंद और प्रेरक हैं। उनके बातें,उनका व्यक्तित्व, उनकी पहचान न केवल एक राष्ट्रपति के रूप में हैं बल्कि जब भी लोग खुद को कमजोर महसूस करते हैं कलाम का नाम ही उनके लिए प्रेरणा बन जाता है.ए.पी.जे अब्दुल कलाम को दिए गए सम्मान ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को विज्ञान के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत के नागरिक सम्मान के रूप में 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, 1997 में भारत रत्न प्रदान किए गए