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कोविड-19 के नमूनों के परीक्षण के लिए डीआरडीओ ने बनाई मोबाइल लैब

लैब में एक दिन में 1,000 से ज्यादा नमूनों का किया जा सकता है परीक्षण :  रक्षा मंत्री

 प्रयोगशाला को देश में कहीं भी तैनात किया जा सकता है आवश्यकता के अनुसार

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मोबाइल वायरोलॉजी रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक्स लेबोरेटरी (एमवीआरडीएल) का अनावरण किया, जिसे डीआरडीओ ने ईएसआईसी अस्पताल, हैदराबाद और निजी उद्योग के सहयोग से विकसित किया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा सही समय पर कई फैसले लिए गए हैं, जिसके कारण देश में कोविड-19 का प्रसार कई अन्य देशों की तुलना में बहुत कम हुआ है।
राजनाथ सिंह ने 15 दिन के रिकॉर्ड समय में जैव-सुरक्षा स्तर (बीएसएल) 2 और स्तर 3 प्रयोगशालाओं की स्थापना की सराहना की, जिसके लिए सामान्य रूप से लगभग छह महीने का समय लगता है। उन्होंने कहा कि इस परीक्षण सुविधा से एक दिन में 1,000 से ज्यादा नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है। इससे कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में देश की क्षमता बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में कई प्रकार से योगदान कर रहे हैं – जैसे क्वारान्टाइन केंद्र स्थापित करना, स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना, भारतीय नागरिकों को अन्य देशों से बाहर निकालना आदि – और ये प्रयास जारी रहेंगे।
यह ऐसी पहली मोबाइल वायरल अनुसंधान प्रयोगशाला (एमवीआरएल) है, जिससे कोविड-19 की स्क्रीनिंग और इससे संबंधित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में तेजी आएगी। इसे डीआरडीओ की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला रिसर्च सेंटर इमारात (आरटीआई) ने ईएसआईसी अस्पताल, हैदराबाद के साथ मिलकर तैयार किया है।
मोबाइल वायरल रिसर्च प्रयोगशाला, एक बीएसएल 3 प्रयोगशाला और एक बीएसएल 2 प्रयोगशाला का संयोजन है, जो क्रियाकलापों को पूरा करने के लिए आवश्यक है। इन प्रयोगशालाओं का निर्माण डब्लूएचओ और आईसीएमआर जैव-सुरक्षा मानकों के अनुसार किया जा रहा है ताकि अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों का पालन हो सके। इस प्रणाली में विद्युत नियंत्रण, एलएएन, टेलीफोन केबलिंग और सीसीटीवी शामिल हैं।
यह प्रयोगशाला कोविड-19 की डायग्नोसिस और दवा स्क्रीनिंग के लिए वायरस कल्चरिंग, स्वास्थ्य लाभ से संबंधित प्लाज्मा व्युत्पन्न चिकित्सा, टीका के विकास के लिए कोविड-19 रोगियों की व्यापक प्रतिरक्षा प्रोफाइलिंग और भारतीय जनसंख्या के लिए प्रारंभिक नैदानिक ​​परीक्षण में मददगार साबित होगी। प्रयोगशाला में प्रति दिन 1,000 से 2,000 नमूनों की जांच की जाती है। इस प्रयोगशाला को आवश्यकता के अनुसार देश में कहीं भी तैनात किया जा सकता है।
डीआरडीओ ने मैसर्स आईकॉम के योगदान को कंटेनरों के व्यवस्थापन के लिए, मैसर्स आईक्लीन के योगदान को बीएसएल 2 और बीएसएल 3 प्रयोगशालाओं का समयबद्ध तरीके से डिजाइन और निर्माण के लिए तथा मैसर्स हाई टेक हाइड्रॉलिक्स के योगदान को आधारभूत ढ़ाचा उपलब्ध कराने के लिए स्वीकार किया है।

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