- जनता के बीच भारी प्रशंसा और समर्थन मिला
सतीश लखेड़ा
![](https://devbhoomimedia.comwp-content/uploads/2017/05/satish-lakhera-300x295.jpg)
सर्वोच्च भारतीय सेवा के अफसरों से भारतीय राजनेता सीधे टकराव से बचते रहे हैं। राजनेताओं की इन्हीं मनोभावों को समझते हुए 70 सालों से भारत की नौकरशाही अत्यधिक हठी अव्यवहारिक और अहंकारी हुई है।जब-जब जनप्रतिनिधियों और राजनेताओं ने नौकरशाही को आईना दिखाने का प्रयास किया, उन्हें जनता के बीच भारी प्रशंसा और समर्थन मिला है और मशीनरी चुस्त हुई है। अंततःजिसका लाभ आम जनता को ही हुआ है।
मुख्यमंत्री रावत अल्पभाषी है किंतु उनके इस जोरदार कदम की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है और यह भी कहा जा रहा है कि इस कार्य को अक्खड़ त्रिवेंद्र सिंह रावत ही कर सकते थे। राज्य के अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों के त्रिवेंद्र सिंह रावत अफसरों से सीधे-सीधे आंख दिखाने, कारवाई करने और तेवर दिखाने में अव्वल निकले।
जहां रावत ने एनएच घोटाले में पीसीएस के बाद आईएएस अधिकारियों के निलंबन की संस्तुतियां दी, वहीं उन्होंने चतुर, सिफारिशबाज और लॉबिंग करने वाले अफसरों के बजाय ईमानदार, कर्मठ और व्यवहार कुशल अफसरों को आगे बढ़ाया। आशीष चौहान, मंगेश घिल्डियाल, नितिन भदौरिया, सविन बंसल, स्वाति भदौरिया, सोनिका, सदानंद दाते, जन्मेजय खंडूरी जैसे अधिकारियों पर विश्वास जताकर उन्हें प्रोत्साहित किया और जिम्मेदारी दी।
इसमें दो राय नहीं कि सिफारिश से तैनाती पाने वाले, अच्छे जनपद ,अच्छे विभाग की लॉबिंग करने वाले अधिकारियों की कमी नहीं है। अनेक अधिकारी तो चर्चाओं में रहने के लिए जनता की सेवा करने के बजाय अनेक टोटके अपनाने रहते हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अच्छे अधिकारियों को प्रोत्साहित करने की परंपरा डालकर ईमानदार अफसरों का मनोबल ऊंचा किया है जिसका परिणाम है कि अनेक अच्छे जिलाधिकारियों का लाभ जनता को मिल रहा है और यहां तक कि उनके स्थानांतरण स्थानांतरण पर जनता सड़कों पर उतरती है, जो एक अच्छा संदेश है।
निसंदेह मुख्यमंत्री की यह कोशिश ईमानदार अफसरों के लिये राहत और भ्रष्ट अफसरों के लिए आफत सिद्ध होगी।