14 करोड़ खर्च के बाद भी वॉल्वो नहीं चढ़ पाई मसूरी
देहरादून : दून-मसूरी रोड के करीब 28 किलोमीटर हिस्से पर वॉल्वो बसों की राह तो आसान नहीं हो पाई, मगर इस नाम पर लोनिवि अधिकारियों ने 14.57 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि जरूर खर्च कर डाली।
इससे लोनिवि को मार्ग पर हेयर क्लिप बैंड व अंधे मोड़ों को दुरुस्त करना था। अब इस काम को पूरा करने के लिए विभाग ने कुल 44.72 करोड़ रुपये की योजना बनाई है। भारत के महानियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट में इस पर सवाल उठाए गए हैं। इसके लिए अधिकारियों को जिम्मेदार भी ठहराया है।
कैग रिपोर्ट के अनुसार दून-मसूरी रोड के नौ हेयर क्लिप बैंड व कुछ अंधे मोड़ों को चार मीटर तक चौड़ा करने के लिए 10.32 करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया था। अभिलेखों की जांच में कैग की टीम ने पाया कि कार्य का इस्टीमेट बनाने से पहले लोनिवि को उत्तराखंड परिवहन निगम व क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अधिकारियों के साथ संयुक्त निरीक्षण करना था। जबकि अधिकारियों ने संयुक्त निरीक्षण के बिना ही कार्य का इस्टीमेट प्रस्तुत कर दिया।
इसके तहत ठेकेदार को 17 कार्य करने थे और उन्होंने महज आठ कार्य ही पूरे किए। गंभीर यह कि अधिकारियों ने ठेकेदार को अनुबंध की राशि से 36 लाख रुपये अधिक भुगतान कर काम को समाप्त बता दिया।
इस दरम्यान लोनिवि ने शासन को 37.90 करोड़ रुपये का नया इस्टीमेट बनाकर भेज दिया। हालांकि शासन ने इसे स्थगित रखते हुए शेष कार्यों को पूरा करने के लिए 4.85 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए। यह कार्य चार ठेकेदारों के माध्यम से कराया गया। इस दौरान लोनिवि ने उत्तराखंड परिवहन निगम अधिकारियों की मौजूदगी में वॉल्वो बसों का ट्रायल के रूप में संचालन कराया तो पता चला कि मार्ग अभी भी वॉल्वो बसों के लिए उपयुक्त नहीं है।
पता चला कि 34 और स्थलों पर चौड़ीकरण की जरूरत है। इस पर कैग के जवाब-तलब करने पर अधिकारियों ने बताया कि अब इस काम की लागत बढ़कर 44.72 करोड़ रुपये हो गई है। इसका इस्टीमेट तैयार कर लिया गया है और यह राशि मिल जाने के बाद मार्ग को वॉल्वो के संचालन लायक बना दिया जाएगा।
इस उत्तर को अमान्य करार देते हुए कैग ने कहा कि यदि समय पर उच्चाधिकारियों के निर्देशों का पालन कर लिया जाता तो उद्देश्य को न सिर्फ समय पर प्राप्त कर लिया जाता और लागत वृद्धि से भी बचा जा सकता था।
लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता राजेंद्र गोयल के मुताबिक यह सच है कि दून-मसूरी मार्ग में हेयर क्लिप बैंड व अंधे मोड़ों पर अभी बहुत काम बाकी है। पूर्व में जो खामियां बरती गईं, उन्हें दूर कराया जा रहा है। इसके चलते जो लागत बढ़ी है, उसके पीछे कई तकनीक पहलू भी हैं। यह कार्य विभागीय दरों से न सिर्फ 18 फीसद तक कम दरों पर कराया गया, बल्कि कार्य के दौरान इसमें नई जटिलताएं भी सामने आईं। इस समय भले ही वॉल्वो बसों का संचालन मार्ग में नहीं हो पा रहा हो, लेकिन अन्य वाहनों के लिए मार्ग काफी चौड़ा हो गया है।
काम नहीं आई कसरत
अगस्त 2016: कैग की आपत्ति ने बाद प्रकरण शासन में पहुंचा और अब तक यथास्थिति में है।
जून 2016: कैग की पूछताछ के बाद मार्ग को वॉल्वों के अनुरूप बनाने के लिए 44.72 करोड़ रुपये का पुनरीक्षित इस्टीमेट बताया गया।
अगस्त 2015: वॉल्वों बसों का ट्रायल के रूप में संचालन किया गया, मगर इसके बाद भी मार्ग को वॉल्वो बसों के अनुरूप नहीं पाया गया।
अप्रैल 2015: चार ठेकेदारों को काम दिया गया।
मार्च 2015: शासन ने अवशेष कार्यों को पूरा करने के लिए 4.85 करोड़ रुपये मंजूर किए।
फरवरी 2015: 17 अनुबंधित कार्यों में से आठ कार्य पूरा होने पर काम पूरा बताया गया, ठेकेदार को 10.78 करोड़ रुपये का भुगतान।
सितंबर: 2014: इस कार्य के लिए शासन को 37.90 करोड़ रुपये का नया इस्टीमेट भेजा गया।
मई 2013: काम के लिए 10.32 करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया।
अप्रैल 2013: कार्य की तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गई।
फरवरी 2013: दून-मसूरी मार्ग के हेयर क्लिप बैंड व अंधे मोड़ों के कार्य को 10.81 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति।