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पहाड़ी प्रदेश की राजधानी पहाड़ में ही बने तो होगा विकास

शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों को याद किया गया 

समूह-ग की भर्ती में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए दरवाजे खुले क्यों ?

देहरादून: शहीद राज्य आंदोलनकारियों के दोषियों को अब सजा न मिलने को लेकर उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड सरकार द्वारा की जा रही हीलाहवाली और दोषियों को सजा दिलाने की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों ने गांधी पार्क में धरना दिया। इस दौरान आंदोलनकारियों ने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही बननी चाहिए।

गांधी पार्क में एकत्र हुए विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों ने रविवार को मसूरी, खटीमा, मुजफ्फरनगर, श्रीयंत टापू की घटनाओं में शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों को याद किया। दोषियों को अब तक सजा नहीं दिए जाने पर रोष प्रकट किया। प्रदेश सरकार पर हमलावर होते हुए कहा कि समूह-ग की भर्ती में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए दरवाजे खोलने से प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय किया गया है।

गैरसैंण के मुद्दे पर भी राज्य आंदोलनकारी जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही बननी चाहिए। लेकिन अभी तक की सरकारों ने इस मामले को शून्य कर दिया है। कहा कि जब तक राज्य आंदोलनकारियों की मांग पूरी नहीं की जाती तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।

इस दौरान वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान, जगमोहन नेगी, प्रदीप कुकरेती, ओमी उनियाल, सुलोचना भट्ट, जबर सिंह पावेल, रामलाल खंडूरी, देवी गोदियाल, महेंद्र रावत आदि ने विचार रखे। धरने में मोहन खत्री, मोहन रावत, उर्मिला शर्मा, कुलदीप कुमार शर्मा, केशव उनियाल, कैलाश बिष्ट, विक्रम भंडारी, जीतपाल बड़थ्वाल, राजेश्वरी चमोली आदि शामिल रहे।

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