UTTARAKHAND

विकास और पर्यावरण हैं एक दूसरे के पूरक : संघ प्रमुख मोहन भागवत

पॉलीथिन के प्रयोग को रोकने के लिए हमें अपने व्यवहार में परिवर्तन की जरूरत : मोहन भागवत 

हमारी सृष्टि में पृथ्वी,जल,वायु,अग्नि,आकाश पंच महाभूत तत्व

पर्यावरण हमें प्रकृति से ही मिला है और जो भी वस्तु हमें बिना प्रयास के मिलती है हम उसकी करनी चाहिए कद्र

हमारे संवाददाता 
भारत की संस्कृति हजारों साल पुरानी है। विश्व के अनेक देशों में भारतीय ऋषि मुनियों की शौर्य गाथा तकनीकी,वैभव,व्यापार सभी क्षेत्रों में हमारा प्रभाव था। इसके बावजूद कभी कोई पर्यावरण की समस्या नहीं हुई, अपनी आवश्यकताओं के लिए हम दूसरों पर निर्भर होते चलते गए जिस कारण प्रकृति में समस्याएं बढ़ने लगी हैं।……
हरिद्वार : विकास पर्यावरण में हमेशा नीतियों का विरोध होता है। लेकिन भारत का दृष्टिकोण किसी को एक दूसरे से अलग न मानने वाला है। हमारा देश भारत विविधता में एकता और एकता में विविधता वाला देश है। हमारी सृष्टि में पृथ्वी,जल,वायु,अग्नि,आकाश पंच महाभूत तत्व है। परस्पर कोई भी एक दूसरे से अलग नहीं है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पर्यावरण गतिविधि द्वारा रविवार को दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार में आयोजित एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि विकास और पर्यावरण एक दूसरे के विरोधी नहीं बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं। भारत की संस्कृति हजारों साल पुरानी है। आज विश्व के अनेक देशों में भारतीय ऋषि मुनियों की शौर्य गाथाओं पर शोध चल रहा है। तकनीकी,वैभव,व्यापार सभी क्षेत्रों में हमारा प्रभाव था। इसके बावजूद कभी कोई पर्यावरण की समस्या नहीं हुई,लेकिन जब से हम अपनी आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर निर्भर होकर चलने लगे तभी से प्रकृति में समस्याएं बढ़ने लगी हैं। रसायनिक खेती को छोड़कर अब लोग जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। वैश्विक महामारी में लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हुए हैं।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पॉलीथिन के प्रयोग को रोकने के लिए हमें अपने व्यवहार में परिवर्तन की जरूरत है। आज लघुत्तम मार्ग से पॉलीथिन के मकड़ जाल में फंस गए हैं जबकि आज जरूरत इससे बाहर आने की है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि हमें मिलकर पर्यावरण युक्त पॉलीथिन मुक्त देश बनाना है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण हमें प्रकृति से ही मिला है और जो भी वस्तु हमें बिना प्रयास के मिलती है हम उसकी कद्र करनी चाहिए। इस मौके पर संघ की पर्यावरण गतिविधि द्वारा पर्यावरण पर एक पत्रिका का विमोचन किया।

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