Uttarakhand

क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का मसूरी स्थित आशियाना टूटेगा

स्विमिंग पूल व तालाब के मामले में कैंट प्रशासन को पुनः सुनवाई करने के आदेश

नैनीताल : जाने -माने क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के  मसूरी में लंढौरा कैंट स्थित डहलिया बैंक हाउस में कराया गया अवैध निर्माण तोड़ने के नैनीताल हाईकोर्ट ने मंगलवार को निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की संयुक्त खंड पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए डहलिया बैंक हाउस में निर्माण के ध्वस्तीकरण के कैंट बोर्ड के आदेश के खिलाफ कारोबारी संजय नारंग की याचिका को खारिज कर ध्वस्तीकरण के आदेश पारित किये हैं। वहीँ इस भवन में बने स्विमिंग पूल व तालाब के मामले में भी कैंट बोर्ड से याची को सुनवाई का मौका देने के निर्देश दिए हैं।

गौरतलब हो कि मसूरी निवासी संजय नारंग ने वर्ष 2008 में आरएल दुग्गल से यह संपत्ति खरीदी थी। यह संपत्ति कैंट बोर्ड के अधीन आती है। हालांकि इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली गई। इस कारण जमीन का दाखिल-खारिज नहीं हो सका था। नारंग ने लंढौरा कैंट बोर्ड से वर्ष 2009 में भवन में मरम्मत और अन्य सुधार की मंजूरी मांगी। बाद में मामले में सिविल वाद दायर हुआ, जिसमें नारंग हार गए। मामले में कैंट बोर्ड ने 2014 में संबंधित भूमि पर कराए गए नवनिर्माण को ध्वस्त कराने का आदेश दे दिया। 

यहाँ यह भी  कि ढहलिया बैंक हाउस को तोड़ने के कैंट बोर्ड के आदेशों के चलते जुलाई 2016 में सचिन तेंदुलकर उस वक्त विवादों में फंस गए थे, जब उन पर मामले में कैंट बोर्ड से राहत को तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर परिकर से सिफारिश लगाने का आरोप लगा था। हालांकि बाद में सचिन ने इस पर सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि इस प्रॉपर्टी से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने केवल एक बैठक में इस विवाद को देखते हुए रक्षा मंत्री से हल निकालने की गुजारिश की थी।

उल्लेखनीय है कि मसूरी के कारोबारी और सचिन तेंदुलकर के दोस्त संजय नारंग ने हाइकोर्ट में डहलिया बैंक हाउस मामले में विशेष अपील दायर की थी। याचिका में बताया गया था कि कैंट बोर्ड मसूरी ने उनके डहलिया बैंक हाउस परिसर में मरम्मत व अन्य निर्माण कार्य के ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है। याचिका में कहा गया था कि पुनर्निर्माण कार्य कैंट बोर्ड से मिली अनुमति के बाद किया गया था। याचिका में कहा गया था कि इसके बाद कैंट प्रशासन की ओर से इसके ध्वस्तीकरण का आदेश नियम के खिलाफ हैं।

याचिका में कहा गया था कि ध्वस्तीकरण के आदेश के पहले याची को नियमानुसार कोई नोटिस भी नहीं दिया गया। इससे पहले हाईकोर्ट की एकलपीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ नारंग ने स्पेशल अपील दायर की थी। मंगलवार को संयुक्त खंडपीठ ने भी सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया है। उच्च न्यायालय की संयुक्त खंडपीठ ने कैंट प्रशासन के अवैध निर्माण तोड़ने के आदेश को सही ठहराया है जबकि यहां बनाए गए स्विमिंग पूल व तालाब के मामले में कैंट प्रशासन को पुनः सुनवाई करने के आदेश दिए हैं।

 

devbhoomimedia

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