परिजनों ने लगाया अवैध हिरासत में पीटकर हत्या का आरोप, नारेबाजी
कोतवाल, चौकी इंचार्ज समेत चार पुलिस कर्मी निलंबित
मुकदमे की विवेचना करेगी नैनीताल पुलिस
नामजद पुलिस कर्मी हुए भूमिगत
काशीपुर। पुलिस हिरासत में किशोर की मौत के मामले में एक दारोगा, मुंशी, पांच अज्ञात पुलिस कर्मियों व दो अन्य लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। परिजन जहां पुलिस कर्मियों पर लडक़ी भगाने का जुर्म जबरन इकबाल कराने के लिए तीन दिनों से किशोर को बुरी तरह पीटने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं पुलिस का दावा है कि किशोर ने फांसी लगाकर आत्महत्या की है। मृतक के परिजनों ने शव ले जाने से पहले पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कुछ लोगों ने परिजनों को समझा बुझाकर शांत कराया। एसएसपी सेंथिल अबूदई कृष्णराज ने काशीपुर के कोतवाल, चौकी इंचार्ज समेत चार पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया है। मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शव का पंचनामा कराने के बाद पोस्टमार्टम कराया है।
गौरतलब है कि मंगलवार की रात को कटोराताल पुलिस चौकी परिसर में ग्राम बैलजुड़ी निवासी 16 वर्षीय मोहम्मद जियाउद्दीन पुत्र मोहम्मद यामीन की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। पुलिस कर्मियों ने दावा किया कि जिया उद्दीन ने फांसी लगाकर सुसाइड किया है। जिया उद्दीन तीन दिन से पुलिस की अवैध हिरासत में था। बताते हैं कि ग्राम काजीबाग निवासी हामिद अली की पुत्री भाग गई थी। हामिद ने जिया उद्दीन पर पुत्री को भगाने का आरोप लगाया था। मृतक के पिता मोहम्मद यामीन ने पुलिस को दी तहरीर में आरोप लगाया है कि कटोराताल चौकी इंचार्ज प्रवीण सिंह रावत, पुलिस कर्मी बलवंत सिंह ने 26 फरवरी को सुबह 11 बजे मोबाइल पर फोन करके चौकी बुलाया था।
आरोप था कि प्रवीण सिंह, बलवंत सिंह व पांच अन्य पुलिस कर्मियों ने जिया उद्दीन को बुरी तरह पीटा। आरोप है कि 27 फरवरी की रात को जिस समय पुलिस कर्मी जिया उद्दीन को पीट कर लडक़ी भगाने का जुर्म कबूल कराने की कोशिश कर रहे थे तो हामिल अली व उसका पुत्र भी मौजूद थे। वह कह रहे थे कि और मारो इसको तभी जुर्म कबूल करेगा। उनका कहना है कि पुलिस कर्मी ने कहा कि काशीपुर कोतवाल का आदेश है कि जब तक वह न कहें तब तक जिया उद्दीन को न छोड़ा जाए। तहरीर के मुताबिक 28 फरवरी की रात को यामीन कुछ लोगों के साथ कटोराताल खाना देने गए तो प्रवीण सिंह, बलवंत सिंह व पांच अन्य पुलिस कर्मी जिया उद्दीन को पीट रहे थे। उनके विरोध करने पर पुलिस ने उनके साथ भी पुलिसिया बर्ताव करने की चेतावनी दी। उस वक्त उनका पुत्र चीख रहा था। इसी दौरान चौकी इंचार्ज उनके पुत्र को गाड़ी में डाल कर कहीं ले जाने लगे तो उन्होंने पीछा किया। काशीपुर अस्पताल में उन्हें पुत्र की लाश पड़ी मिली। पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया है।
तहसीलदार संजय कुमार की मौजूदगी में शव का पंचनामा भरने के बाद डाक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम करने वालों में डा. राजीव मोहन, डा. आरके सुंदरियाल, डा. उपेंद्र राज, डा. पीके सिन्हा शामिल थे। पोस्टमार्टम के दौरान मृतक के चचेरे भाई जुल्फिकार अहमद को अंदर रहने की अनुमति दी गई थी। पूरे पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई गई। पोस्टमार्टम हाउस पर भारी भीड़ लगी थी। किसी अप्रिय घटना की आशंका पर मौके पर भारी पुलिस फोर्स तैनात था। पोस्टमार्टम के बाद आक्रोशित लोगों ने शव को वाहन में नहीं रखने दिया तथा पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उत्तेजित लोगों को जफर मुन्ना, बसपा नेता हसीन खान, अशरफ, मुशर्रफ हुसैन, कांग्रेस नेता आदेश चौहान, ब्लाक प्रमुख गुरमुख सिंह, अख्तर माहीवीर, अतुल पांडे, शम्शुद्दीन, इसरार खान, यूनिस चौधरी, मनोज जोशी, संदीप सहगल, अब्दुल गफ्फार व बैलजुड़ी की प्रधान के पति रईस अहमद ने समझा बुझा कर शांत किया।
घटना के बाद आरोपी चौकी इंचार्ज प्रवीण सिंह व नामजद बलवंत सिंह भूमिगत हो गए हैं। एसएसपी ने कोतवाल काशीपुर ओपी शर्मा, चौकी इंचार्ज प्रवीण सिंह, सिपाही बलवंत व वीरेंद्र को निलंबित कर दिया है। उन्होंने बताया कि डाक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। साथ ही उसकी वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है। डीआईजी अजय रौतेला ने बताया कि किशोर की मौत के मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इस मुकदमे की विवेचना नैनीताल जिले की पुलिस से कराई जाएगी।
छाबनी में तब्दील हुआ काशीपुर
काशीपुर। पुलिस हिरासत में मौत के मामले को गंभीरता से लेकर काशीपुर को छाबनी में तब्दील कर दिया गया है। पुलिस को आशंका थी कि कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। एसएसपी ने जिले भर की पुलिस फोर्स काशीपुर में लगा दी थी। अपर पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पिंचा, एएसपी काशीपुर डा. जगदीश प्रसाद व एसडीएम दयानंद सरस्वती, सीओ बाजपुर, सीओ काशीपुर कोतवाल नरेश चौहान समेत भारी मात्रा में पुलिस फोर्स स्थिति पर नजर बनाए रही।
मारा गया बेगुनाह, किशोरी हुई लखनऊ से बरामद
काशीपुर। काजीबाग की जिस किशोरी को भगाने का जिया उद्दीन पर आरोप था, वह किशोरी लखनऊ से बरामद कर ली गई है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि काजीबाग निवासी हामिद अली ने अपनी पुत्री को भगाने का आरोप जिया उद्दीन के सिर मढ़ा था। पुलिस तीन दिन से जिया उद्दीन को ही प्रताडि़त करती रही और किशोरी लखनऊ से बरामद हुई। बताते हैं कि सर्विलांस से उसकी लोकेशन लखनऊ ट्रेस होने पर पुलिस ने उसे बरामद कर लिया। किशोरी किसके साथ लखनऊ गई इस बारे में अभी कोई पूछताछ नहीं हो सकी है।
जिया उद्दीन की मौत की होगी मजिस्ट्रीयल जांच
रुद्रपुर। जिलाधिकारी चंद्रेश यादव ने बताया कि पुलिस कस्टडी में हुई जिया उद्दीन की मौत के मामले की मजिस्ट्रीयल जांच कराई जाएगी। जिलाधिकारी ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है। वह इस मामले में मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश कर रहे हैं।
फिर सवालों के दायरे में पुलिस की कार्यशैली
रुद्रपुर। काशीपुर कोतवाली की कटोराताल पुलिस चौकी में हुई 16 वर्षीय किशोर जिया उद्दीन की मौत ने एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है। यह बात फिर साबित हुई है कि पुलिस अपने दायरे व संविधान से बाहर जाकर कार्य करती है। सवाल यह उठ रहा है कि तीन दिनों तक जिया उद्दीन को अवैध हिरासत में क्यों रखा गया? दूसरा सवाल पुलिस के दावे पर है कि जहां जिया उद्दीन को रखा गया था वहां फांसी लगाने को रस्सी कहां से आ गई? जिस समय किशोर ने फांसी लगाई उस वक्त चौकी के पुलिस कर्मी कहां थे?
ऊधमसिंह नगर में पुलिस की अवैध हिरासत में जिया उद्दीन की मौत का पहला मामला नहीं है। इससे पहले किच्छा कोतवाली में जसविंदर सिंह जस्सा की मौत भी इसी तरह हुई थी। यही नहीं रुद्रपुर में रम्पुरा निवासी चूड़ामणि की मौत भी पुलिस की हिरासत में हुई थी। पुलिस की अवैध हिरासत में मौत के मामले चिंता का विषय तो हैं ही। साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाती हैं। सवाल यह उठ रहा है कि जब जिया उद्दीन के खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं थी तो पुलिस ने उसे तीन दिन से अवैध हिरासत में क्यों रखा था। वह भी पुलिस चौकी में। पुलिस दावा कर रही है कि 16 वर्षीय जिया उद्दीन ने रस्सी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सवाल यह भी उठ रहा है कि फांसी लगाने के लिए रस्सी कहां से आई? साथ ही किशोर ने फांसी क्यों लगाई? घटना के वक्त चौकी के पुलिस कर्मचारी कहां थे? सवाल और भी हैं जिनके उत्तर अफसरों के पास नहीं हैं। अफसर सिर्फ की गई कार्रवाई ही बयां कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि बार बार पुलिस हिरासत में मौत क्यों हो रही हैं?
काले की हिरासत में मौत के बाद भी हुआ था बवाल
काशीपुर। एक दशक पहले काशीपुर कोतवाली में एक ऊन व्यापारी काले की पुलिस की पिटाई से मौत हुई थी तो 36 घंटे तक यहां अराजकता का माहौल रहा था। थाने से पुलिस कर्मी भाग खड़े हुए थे। एसडीएम को बांध कर पीटा गया था साथ ही पुलिस के अभिलेखों में आग लगा दी गई। 36 घंटे तक शहर में अराजकता का माहौल रहा था। उसके बाद पुलिस व प्रशासन स्थिति पर नियंत्रण कर पाया था।