UTTARAKHAND
देश का पहला महिला उद्यमी आधारित स्टार्टअप उत्तराखंड में इंडस्ट्रियल हेम्प पर बना

भांग एक ट्रिलियन डॉलर फसल है जिससे 25000 से भी ज्यादा बनाते हैं उत्पाद
शिवालिक क्षेत्र की भांग विश्व में सर्वश्रेष्ठ
तीन प्रदेशों और तीन पीढ़ियों की महिलाओं ने मिलकर बनाया भांग पर पहला महिला आधारित स्टार्टअप
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
– शर्व हेम्प इंडस वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से उत्तराखंड में बनाया स्टार्टअप
– स्टार्टअप उत्तराखंड में भांग की खेती और इससे बनने वाले उत्पादों का प्रसंस्करण करेगा
– स्टार्टअप उत्तराखंड में हो रहे पलायन को रोकेगा और लोगों को रोज़गार एवं स्वरोज़गार के अवसर उत्पन्न कराएगा
– स्टार्टअप का उद्देश्य औद्योगिक भांग सेक्टर को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में पहचान दिलवाना
– उत्तराखंड की तर्ज पर अन्य राज्यों को भी भाँग की खेती पर नीति बनानी चाहिए
– भांग उद्योग की समस्याओं से प्रधानमंत्री सहित सभी सम्बंधित मंत्रियों और अधिकारीयों को करवाया गया है अवगत। जल्द समाधान होने की उम्मीद।
-स्टार्टअप ने मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को भी रोजगार सृजन हेतु पत्र लिखा है और आदिवासी, पिछड़े और गरीब इलाकों में भांग उत्पादन की अनुमति मांगी
-स्टार्टअप का कहना है कि 5 एकड़ जमीन और एक छोटे से प्रसंस्करण कारखाने से 50 परिवारों को लगभग 10,000 रु प्रति माह सीधी आय होगी व ग्रामीण अर्थव्यवस्था फिर से संवृद्ध होगी।
देहरादून : इंडस्ट्रियल हेम्प अर्थात औद्योगिक भांग का नाम आते ही सर्वप्रथम हमारे दिमाग में जो बातें घूमती हैं वे हैं नशा, गांजा, गैरकानूनी कृत्य आदि। लेकिन भांग की गांजे या नशे से तुलना करना गलत है। भांग एक ऐसा पौधा है जिसमें नशा नहीं होता है। भांग एक “ट्रिलियन डॉलर मिरेकल क्रॉप” है जिससे 25,000 से भी ज्यादा उत्पाद बनते हैं और 9 सेक्टर जिनमें कृषि, टेक्सटाइल, पर्सनल केयर, पेपर, कंस्ट्रक्शन सामग्री, फर्नीचर, ऑटोमोटिव, खाद्य और पेयजल एवं रीसाइक्लिंग शामिल हैं। एनडीपीएस एक्ट 1985 के तहत राज्य सरकारों को औद्योगिक भांग की खेती की अनुमति देने का अधिकार है। भाँग की इन्ही चमत्कारिक विशेषताओं को पहचानते हुए उत्तराखंड शासन अपने राज्य में औद्योगिक भाँग की खेती का लाइसेंस दे रही है।
भांग की उत्पत्ति भारत से ही हुई है। विश्व की सर्वश्रेष्ठ भांग शिवालिक क्षेत्र में पायी जाती है। भारत से भांग विश्व के कई अन्य क्षेत्रों जैसे मिडिल ईस्ट देशों, अफ्रीका, उत्तर और दक्षिण अमरीका तक पहुंची है। भांग का उपयोग हिंदुस्तान में ईसा पूर्व 1000 वर्ष से किया जा रहा है। अथर्व वेद में भांग का उल्लेख 5 पूजनीय पौधों में किया गया है। भांग को वैदिक साहित्य में विजया और इन्द्रासन के नाम से भी जाना गया है। भांग के डंठल को बुरी ताकतों को दूर रखने के लिए यज्ञ में डाला जाता है। भारतीय पौराणिक कथाओं में भी भांग का उल्लेख है। समुद्रमंथन के समय भगवान शिव ने जो हलाहल विष पिया था उसका प्रभाव कम करने के लिए उन्हें भांग पिलाई गयी थी।
भाँग की इन्ही विशेषताओं से आकर्षित होकर जबलपुर (मध्यप्रदेश) की 71 वर्षीय श्रीमति विजयलक्ष्मी अवस्थी
ने इस पर एक स्टार्टअप बनाने की पहल की। उनका साथ दिया मऊ (उत्तरप्रदेश) की 45 वर्षीय श्रीमति नीति मिश्रा और रायपुर (छत्तीसगढ़) की 33 वर्षीय श्रीमति श्रुति सिंघानिया ने। तीनों महिलाओं ने मिलकर इसी वर्ष शर्व हेम्प इंडस वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी की उत्तराखंड में स्थापना की और उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में 5 एकड़ जमीन पर औद्योगिक भांग की खेती का लाइसेंस प्राप्त किया। भाँग आधारित पूर्णतः महिला उद्यमियों द्वारा स्थापित इस अनोखे स्टार्टअप को अगस्त 2020 में भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के DPIIT विभाग द्वारा प्रमाणिकता का प्रमाणपत्र जारी कर दिया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत किसानों की आय बढ़ाना चाहते हैं, वे इसके लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं। उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर स्टार्टअप उत्तराखंड में रोजगार सृजन पर काम कर रहा है।