CHAMPAWAT

कुमाऊं में लगातार बार‌िश से रेड अलर्ट जारी,70 सड़कें बंद

कार पर चट्टान गिरने से पांच की मौत

हल्द्वानी : उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में लगातार दो द‌िनों से हो रही बार‌िश आफत बनकर बरसी। बार‌िश से जन-जीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है। इसके चलते एहत‌ियातन रेड अलर्ट भी जारी कर द‌िया गया है।
कुमाऊं मंडल में बुधवार रात से चल रहा बारिश का सिलसिला बृहस्पतिवार को भी जारी रहा। भूस्खलन के कारण पहाड़ों पर 70 से अधिक मार्ग बंद हो गए। धारचूला में मलबे में दबकर कार सवार पांच लोगों की मौत हो गई। मृतकों में तीन लोग एक ही परिवार के थे।

हादसे में दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। भारी बारिश के मद्देनजर पिथौरागढ़ में शुक्रवार को और चंपावत में शुक्रवार-शनिवार को दो दिन 12वीं तक के सभी स्कूल-कॉलेज बंद रखने के आदेश दिए गए हैं।

शारदा, सरयू-गोमती, गौला और कोसी नदियां उफान पर हैं। टनकपुर में शारदा का जलस्तर बढ़कर 132068 क्यूसेक होने पर रेड अलर्ट कर बैराज पर वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई है। नैनीताल में खतरे की जद में आए 50 से ज्यादा मकान खाली कराने के निर्देश दिए गए हैं।

बृहस्पतिवार सुबह ऐलाघाट से यात्रियों को लेकर धारचूला आ रही अल्टो कार पर घटखोला के पास भारी मलबा और पत्थर आ गिरे। हादसे में कार चालक धारचूला तहसील के जुम्मा गांव निवासी विनोद विश्वकर्मा (28), झुशाल सिंह उर्फ प्रताप सिंह (60), नेपाल के पीपलचौरी जिला दार्चुला निवासी हीरा देवी बम (36), उनके पुत्र ओमकार बम (16) और पुत्री प्रियंका बम (12) की मौत हो गई। घायल नेपाल के चौतारी निवासी माधवी और डंबरा का धारचूला में उपचार चल रहा है। जहां यह हादसा हुआ उसके ऊपर एक और सड़क काटी जा रही थी और उसका मलबा वहां डंप था। वही मलबा हादसे का सबब बना।

पिथौरागढ़-तवाघाट एनएच पर जौलजीबी, लखनपुर एवं बंदरलीमा में चट्टानें खिसकने और मलबा गिरने से यातायात नौ घंटे बंद रहा। तवाघाट से पांगला जाने वाली सड़क तीनतोला के पास बुरी तरह ध्वस्त हो गई है। हालांकि थल-मुनस्यारी, जौलजीबी-मुनस्यारी सड़क पर आवाजाही शुरू हो गई है। तेजम-शामा समेत आठ सड़कें अभी बंद हैं।

अल्मोड़ा जिले में आटी से डसीली, देघाट से चिंतोली, झिमार से भीताकोट और चिमटाखाल-भौनखाल मोटर मार्ग बारिश के कारण बंद हैं। कोसी में जलस्तर बढ़ने पर अलर्ट जारी करने के बाद बैराज के गेट खोल दिए गए हैं। बागेश्वर जिले में मूसलाधार बारिश के दौरान पेड़ गिरने से एक व्यक्ति घायल हो गया। दो मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। मलबा आने से कपकोट-पिंडारी, कपकोट-सामा-तेजम समेत दर्जन भर मोटर मार्गों पर मलबा आ गया, जिससे बृहस्पतिवार को दिनभर यातायात अवरुद्ध रहा।

टनकपुर में किरोड़ा नाला उफनाने से पूर्णागिरि मार्ग पर चार घंटे आवाजाही ठप रही। ठुलीगाड़ से आगे हनुमान चट्टी एवं लादीगाड़ में दरक रही पहाड़ी का मलबा गिरने से सड़क बंद हो गई है। उधर, चंपावत-टनकपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर धौन, बनलेख, स्वांला और अमोड़ी के समीप लगातार गिर रहे मलबे ने वाहनों के चक्के जाम कर दिए।

इन जगहों पर वाहनों की लंबी लाइनें लगी रहीं। यहां फंसे हुए यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि शाम को इसे खोल दिया गया। जिले में मंच-तामली समेत करीब 33 सड़कें बंद हैं। मंच-तामली सड़क बंद होने से सीमांत के गांव जिला मुख्यालय से कट गए हैं। मंच-तामली मोटर मार्ग पर काजवे में पानी के तेज बहाव की चपेट में आई कार बह गई, हालांकि चालक जान बचाने में सफल रहा।

नैनीताल में हरिनगर, सात नंबर और नारायणनगर क्षेत्र में 50 से भी अधिक मकान खतरे की जद में आ गए हैं। प्रशासन ने इन लोगों से अपने आवास खाली कर देने को कहा है। भीमताल में मंदिर मार्ग में झील से सटी दीवार का एक बड़ा हिस्सा गिरकर झील में समा गया है। नैनीताल-भवाली, पाडली और कैची के पास भवाली-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग कुछ देर तक बंद रहा। खैरना से अल्मोड़ा के बीच वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है।

देवीपुरा-सौड़ समेत नैनीताल जिले के डेढ़ दर्जन मार्ग बंद हैं। हल्द्वानी में गौला का जलस्तर 25 हजार क्यूसेक से पार होने के कारण दिन भर बैराज के गेट खोले रखे गए। कोसी, शिप्रा और कुजगढ़ नदी उफान पर बह रही। हल्द्वानी में शनिबाजार नाला उफान पर रहा। नाला चोक होने से दर्जनों घरों में गंदा पानी घुस गया। बारिश होने से गौला में सिल्ट आ गई, जिसकी वजह से पेयजल आपूर्ति पूरी तरह बाधित रही।

बारिश से सरयू, ठंडी, कल्याणी और बौर नदी का भी जलस्तर बढ़ गया है। रंपुरा और भूतबंगला क्षेत्र में बने मकानों में पानी भरने से गुस्साए लोगों ने 15 मिनट तक रुद्रपुर-किच्छा हाइवे जाम कर दिया। उधर, रुद्रपुर के गांव शांतिपुरी में एक पेड़ विद्युत लाइन को तोड़ता हुआ विद्यालय परिसर में गिर गया। इससे विद्यालय में करंट फैल गया। घटना के दौरान विद्यालय बंद था।

बरसात के मौसम में कुमाऊं में आपदा की संभावित घटनाओं से निपटने के लिए नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) के 35 जवानों की एक टुकड़ी अल्मोड़ा में तैनात कर दी गई है।

इनके साथ राहत-बचाव के उपकरण के अलावा डॉग स्क्वायड भी है। जरूरत पड़ने पर अल्मोड़ा से ही एनडीआरएफ के जवानों को कुमाऊं के अन्य जिलों में भेजा जाएगा।

अल्मोड़ा में एसडीआरएफ की 12 सदस्यीय प्रशिक्षित टीम भी तैनात है।

नैनीताल- 142 मिमी
ऊधमसिंह नगर – 100 मिमी
अल्मोड़ा- 93.2 मिमी
बागेश्वर – 10 मिमी
पिथौरागढ़- 23 मिमी
चंपावत- 56 मिमी

नदियों का जलस्तर
सरयू – 865.95 मीटर
गोमती – 862.80 मीटर
महाकाली 888.55 मीटर
गोरी 604.20 मीटर

नदी मे समाई कार, चालक को रस्सियों के सहारे निकला गया बाहर

चंपावत। चम्पावत के चौकी गांव के पास गंडकी नदी पार करते वक्त एक अल्टो कार तेज बहाव की चपेट में आकर बह गई। सूझबूझ का परिचय देते हुए चालक कार की छत पर चढ़ गया। इस बीच करीब पांच मिनट तक उसकी जान सांसत में पड़ी रही। शोर मचाने पर लोगों ने रस्सी के सहारे उसे नदी से बाहर खींच लिया। देखते ही देखते उसकी कार नदी के तेज उफान में बहकर आंखों से ओझल हो गई।

घटना से उसके परिवार में हडक़ंप मचा हुआ है। ज्याड़ा बरदोली निवासी आनंद शर्मा गुरुवार सुबह अल्टो से अपने तीन बच्चों को छोडऩे स्कूल गया हुआ था। उस वक्त गंडकी नदी का बहाव कुछ कम था। करीब आधे घंटे बाद आनंद कार से घर की ओर लौट रहा था। उसी दरमियान गंडकी पूरे वेग से बहने लगी। नदी का पानी स्क्रबर से ऊपर उफान मारने लगा था। आनंद पानी के वेग को दरकिनार कर आगे बढ़ता गया। नदी के बीच में उसकी कार अनियंत्रित होकर बहने लगी। तत्काल फाटक खोल वह कार की छत पर चढ़ गया। देखते ही देखते वहां लोगों का जमावड़ा लग गया।

मौके पर मौजूद प्रकाश और विनोद नाम के दो लोगों ने तत्काल रस्सी का प्रबंध कर उसे सकुशल बाहर निकाल लिया। कुछ ही देर बाद उसकी कार तेज उफान में गायब हो गई। सूचना मिलने पर एसडीएम सीमा विश्वकर्मा और पुलिस टीम भी मौके पर पहुंच गई थी। मौत की लहरों के बीच जिंदगी की जंग चम्पावत। उस भयावह नजारे को याद कर आनंद सिहर उठ रहा है।

बाहर निकलने के बाद उसने बताया कि वह सोच रहा था कि कार को आसानी से बाहर निकाल लेगा। मगर तेज बहाव के सामने उसकी कार तिनके की तरह बहने लगी। एक पल के लिए वह जिंदगी की उम्मीद ही खो बैठा था। छत पर पहुंचने के बाद तेज उफान के बीच डोलती कार को वह मजबूती से पकड़े रखा। नदी पार खड़े लोगों को देख उसे मौत के बीच जिंदगी की किरण नजर आने लगी। बस यही हौंसला उसे मौत की लहरों से बचा लाया।

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