उत्तराखंड में उपभोक्ता न्याय का हाल बदहाल
- नहीं होता उपभोक्ता आयोग में वर्ष के आधे दिनों से अधिक काम
देहरादून : एक तरफ देश में जागों ग्राहक जागो का नारा दिया जा रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ उत्तराखंड में उपभोक्ता न्याय का हाल बदहाल है। उपभोक्ता न्याय की सबसे बड़ी अदालत राज्य उपभोक्ता आयोग में वर्ष में आधे से अधिक दिन अपील व परिवादों की सुनवाई का काम नहीं हो रहा है। यह खुलासा राज्य उपभोक्ता आयोग के लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग से वर्ष में उन कार्य दिवसो जिनमें अपील व परिवादों की सुनवाई न हुई हो तथा लम्बित केसों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में उपभोक्ता राज्य आयोग के लोक सूचना अधिकारी/निबंधक अंजुश्री जुयाल द्वारा अपने पत्रांक 167 से 5 मार्च 2018 उपलब्ध करायी गयी सूचना से चौकाने वाले यह तथ्य सामने आये हैं।
श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2017 में 112 कार्य दिवसों में अपील व परिवाद की राज्य आयोग में सुनवाई नहीं हुई है जबकि वर्ष 2018 में फरवरी तक 25 कार्य दिवसों में अपील व परिवादों की सुनवाई का कार्य नहीं हुआ है। इससे पूर्व श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2016 में 94 कार्य दिवसों में अपील व परिवादों की सुनवाई का कार्य नहीं हुआ। यदि अन्य राजपत्रित अवकाशों तथा रविवार तथा माह के दूसरे शनिवार की छुट्टियों को जोड़ लिया जाये तो वर्ष में आधे से भी कम दिन अपीलों व परिवादों की सुनवाई हो रही है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को शीघ्र न्याय मिलना संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986, उपभोक्ता संरक्षण रेगुलेशन 2005 तथा उत्तराखंड उपभोक्ता संरक्षण नियमावली 2011 में अपील के निपटारे व साधारण उपभोक्ता परिवादों के निपटारे की समय अवधि 90 दिन है जबकि उपभोक्ता आयोग में 7 वर्ष से भी अधिक पुरानी 87 अपीलें व 10 परिवाद लम्बित हैं।
श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार 2016 में कुल 94 कार्य दिवसों में कार्य न होने की सूचना उपलब्ध करायी गयी हे जिसमें 82 कार्य दिवस बार एसोसिएशन के वकीलों के कार्य न करने के प्रस्ताव के कारण 1 दिन कोरम के अभाव अर्थात अध्यक्ष व दो सदस्यों में से किन्हीं दो की अनुपस्थिति के कारण तथा 11 कार्य दिवसों में अन्य कारणों से कार्य नहीं हुआ है।
वर्ष 2017 में 112 कुल कार्य दिवसों में कार्य न होने की सूचना उपलब्ध करायी गयी है। जिसमें 93 कार्य दिवसों में बार एसोसिएशन के वकीलों के कार्य न करने के प्रस्ताव के कारण 10 दिन कोरम के अभाव के कारण कार्य नहीं हुआ है।
वर्ष 2018 में फरवरी तक 25 कुल कार्य दिवसों में कार्य न होने की सूचना उपलब्ध करायी गयी है। जिसमें 94 कार्य दिवसों में बार एसोसिएशन के वकीलां के कार्य न करने से प्रस्ताव के कारण तथा 1 दिन अन्य कारणों से कार्य नहीं हुआ।
वर्ष 2016 तथा 2017 में जून माह में एक दिन भी कार्य नहीं हुआ है। जबकि वर्ष 2017 में जनवरी में 10 दिन, फरवरी में 18 दिन, मार्च में 7 दिन, अप्रैल में 3 दिन, मई में 4 दिन, जुलाई में 5 दिन, अगस्त में 3 दिन, सितम्बर में 7 दिन, अक्टूबर में 3 दिन, नवम्बर में 7 दिन तथा दिसम्बर में 15 दिन अपील व परिवादों की सुनवाई नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त 2018 में जनवरी में 9 दिन तथा फरवरी में 16 दिन कार्य दिवसों में अपील व परिवादों की सुनवाई नहीं हुई है।
श्री नदीम को बताया कि उपभोक्ता राज्य आयोग में एक करोड़ से अधिक के उपभोक्ता मुकदमें सीधे दायर किये जा सकते है तथा उत्तराखंड के सभी 13 जिलो के उपभोक्ता फोरमों की अपीलों के लिये यह एक मात्र न्यायालय है। इसलिये उधमसिंह नगर जिला फोरम सहित विभिन्न फोरमों द्वारा मामलों के शीघ्र निपटारें का लाभ उपभोक्ताओं को इसलिये नहीं मिल पा रहा है कि अपील में यहां आकर मामला सालो के लिये लटक जाता है। उपभोक्ता मामलों में विभिन्न अपीले व परिवाद 7-7 वर्षों से अधिक तक से लम्बित है।
श्री नदीम ने बताया कि उपभोक्ता फोरम व आयोगों में वकीलों के कार्य बहिष्कार सहित किसी भी अपर्याप्त आधार पर तारीखे देने पर रोक है। पर्याप्त आधार पर भी केवल एक ही तारीख दी जा सकती है।