उपभोक्ता फोरम के सदस्यों को उपसचिव के बराबर वेतन की अपेक्षा
- भारत सरकार ने राज्यों को भेजा मॉडल नियमों का ड्राफ्ट
- प्रदेश सरकार कर रही भारत सरकार के आदेशों के पालन में टाल मटोल
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्यों को राज्य सरकार के उपसचिव तथा राज्य उपभोक्ता आयोग के सदस्यों को राज्य सरकार के अपर सचिव के वेतन तथा भत्तों के बराबर परिश्रमिक देने की अपेक्षा भारत सरकार द्वारा की गयी है। इसके लिये भारत सरकार के केन्द्रीय खाद्य मंत्री ने पत्र दिनांक 24-07-2018 तथा उपसचिव ने पत्र दिनांक 10-10-2018 के साथ सिविल अपील सं0 2740/2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित नियमां का ड्राफ्ट भेज कर राज्य सरकारों से नियम बनाने की अपेक्षा की गयी है। लेकिन उत्तराखंड सरकार इसे लागू करने में टाल मटोल कर रही है।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उत्तराखंड के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के लोक सूचना अधिकारी से उपभोक्ता राज्य आयोग तथा उपभोक्ता फोरम के सदस्यों के वेतन भत्तों में परिवर्तन के सम्बन्ध में कार्यवाही की सूचना मांगी। इसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी/अनुभाग अधिकारी विजय कुमार नैथानी ने अपने पत्रांक 801 दिनांक 18 दिसम्बर 2018 से कार्यवाही सम्बन्धी टीपे व आज्ञाये सम्बन्धी 15 पृष्ठों की सत्यापित फोटो प्रतियां उपलब्ध करायी है। इससे यह प्रकाश में आया है।
श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार केन्द्रीय खाद्य मंत्री भारत सरकार के पत्र दिनांक 24-07-2018 एवं उपसचिव भारत सरकार के पत्र दिनांक 10-10-2018 द्वारा सिविल अपील सं0 2470/2017 में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुमोदित उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 विषयक मॉडल ड्राफ्ट प्रेषित करते हुये उक्त मॉडल नियमों के आधार पर राज्य स्तर पर नियम बनाये जाने की अपेक्षा की गयी है। इन मॉडल नियमों के आधार पर उत्तराखंड उपभोक्ता संरक्षण नियमावली 2011 में संशोधन किये जाने की पत्रावली गतिमान है।
भारत सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट से अनुमोदित मॉडल ड्राफ्ट में जिला उपभोक्ता अदालत का अध्यक्ष सेवारत जिला न्यायाधीश होने पर जिला न्यायाधीश के वेतन व भत्तों का हकदार होगा। सेवारत व सेवानिवृत्त जिला न्यायधीश होने पर पूर्णकालिक अध्यक्ष जिला न्यायधीश के न्यूनतम वेतन मान तथा भत्तों के बराबर परिश्रमिक प्राप्त करेगा।
जिला अदालत का पूर्ण कालिक सदस्य राज्य सरकार के उपसचिव के न्यूनतम वेतनमान और अन्य भत्तों के भुगतान के बराबर परिश्रमिक प्राप्त करेगा। इसके अतिरिक्त पूर्ण कालिक अध्यक्ष या सदस्यों के पदों पर नियुक्त किये गये सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी के वेतन का निर्धारण उस कर्मचारी के अंतिम वेतन में से पेंशन को घटाकर बने वेतन तथा भत्तों के आधार पर होगा।
अपेक्षित मॉडल नियमो के अनुसार अंशकालिक अध्यक्ष को बी-2 श्रेणी के शहरों में पांच हजार, सी श्रेणी के शहरों में चार हजार तथा अन्य स्थानों पर तीन हजार रूपये प्रति बैठक प्रतिदिन के आधार पर पारिश्रमिक मिलेगा।
अंशकालिक सदस्यों को बी-3 में चार हजार, सी श्रेणी के शहरों में तीन हजार पांच सौ और अन्य स्थानों पर दो हजार पांच सौ रूपये प्रतिदिन के आधार पर परिश्रमिक मिलेगा। अभी तक जिला फोरम के सदस्यों को मिल रहा मानदेय व भत्ते अत्यन्त असम्मान जनक है यहां तक कि वहां कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को भी उनसे अधिक परिश्रमिक मिलता है। इस सम्बन्ध में राज्य आयोग के अध्यक्ष, निबंधक तथा जिला फोरम उधमसिंह नगर के सदस्यों सबाहत हुसैन खान, नरेश कुमारी छाबड़ा सहित विभिन्न जिला फोरम व राज्य आयोग के सदस्यों ने भी सुधार के लिये प्रत्यावेदन दिये है। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता संस्था मौलाना अबुल कलाम आजाद अल्पसंख्यक कल्याण समिति (माकाक्स) के अध्यक्ष नदीम उद्दीन ने भी प्रत्यावेदन भेजा है जिस पर भी शासन में कार्यवाही गतिमान है।