UTTARAKHAND

विधानसभा सत्र में कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए उठाए भ्रष्टाचार के मुद्दे

विपक्ष का होमवर्क बेहद खराब और सुनी सुनाई बातों पर बिना तथ्यों के लगा रहा है आरोप:संसदीय कार्य मंत्री 

विपक्ष ने भोजनावकाश के बाद सदन से किया वाक आउट

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

माल्टा की टोकरी लेकर विधानसभा पहुंचे कांग्रेस विधायक

बुधवार को किसान दिवस के अवसर पर, पहाड़ के किसानों की समस्या उजागर करने के लिए कांग्रेस विधायक माल्टा की टोकरी ओर मंडुआ, झंगोरा की थेलियां लेकर विधानसभा पहुंचे। यहां विधायकों ने सरकार पर स्थानीय उपजों के प्रति उदासीनता बरतने का आरोप लगाया।  कांग्रेस विधायक मनोज रावत, काजी निजामुद्दीन, आदेश चौहान और ममता राकेश सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए जाते समय, विधानसभा के गेट पर जमा हुए।
मनोज रावत माल्टा की टोकरी लिए हुए थे। मनोज रावत ने कहा कि पहाड़ में इस बार माल्टा की अच्छी फसल हुई है। लेकिन सरकार मात्र सात रुपए का मूल्य दे रही है। उस पर भी खरीद केंद्रों की व्यवस्था नहीं की गई है। जिस कारण माल्टा उत्पादक किसान मायूस हैं। मनोज ने कहा कि कोदा, झंगोरा, राजमा, चौलाई उत्पादक किसानों की भी यही स्थिति है। जबकि सरकार के मंत्री खुले आम, पहाड़ी उपजों का मजाक उड़ा रहे हैं।
काजी निजामुद्दीन ने कहा कि सरकार ने गन्ना किसानों के भुगतान पर भी आधी अधूरी जानकारी दी है। हालांकि गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें माल्टा और दूसरे अनाज को अंदर नहीं ले जाने दिया।

देहरादून : शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन  विपक्ष ने भ्रष्टाचार के मुद्दों पर सरकार को घेरते हुए हंगामा किया। सदस्यों ने काफी देर तक नारेबाजी भी की। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि विपक्ष का होमवर्क बेहद खराब है और सुनी सुनाई बातों पर बिना तथ्यों के आरोप लगा रहा है। सरकार ने जवाब से संतुष्ट न होने पर विपक्ष ने भोजनावकाश के बाद सदन का वाक आउट कर दिया। 

प्रश्न काल शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश, उप नेता करन माहरा, कांग्रेस प्रांतीय अध्यक्ष प्रीतम सिंह आदि ने सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने कर्मकार कल्याण बोर्ड, एनएच 74 जांच, छात्रवृत्ति घोटाला, स्टिंग, लोकायुक्त के मुद्दे पर हंगामा करते हुए  नियम 310 में इस पर चर्चा कराने की मांग की। विपक्ष ने सीएम के औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार की कंपनी सोशल ग्रुप पर भी कथित अनियमितताओं के आरोप लगाए।  

हंगामे के बीच स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने साफ किया कि जिन मामलों में कोर्ट में सुनवाई चल रही है, उस पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती। हालांकि, सीएम के सलाहकार की कंपनी पर लगे आरोपों की नियम 58 में चर्चा कराई गई। भोजनावकाश के बाद भी विपक्ष ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हंगामा जारी रखा। बाद संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक के जवाब से असंतुष्ट होकर  सदन वॉकआउट कर दिया।

छात्रवृति घोटाले की सीबीआई जांच कब होगी

विपक्ष ने छात्रवृति घोटाले में अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई न होने पर भी सवाल उठाए। कहा कि करोड़ों रुपये का गबन करने वाले अधिकारियों और स्कूल संचालकों के खिलाफ भी कोई कारवाई अभी तक नहीं हुई। आरोप लगाया कि इसमें सत्तापक्ष के कई लोगों पर भी आंच आना तय है। बड़ी मछलियों को बचाने को छोटी मछलियों पर कार्रवाई का दिखावा किया गया। 

एनएच 74 में पहले कार्रवाई, बाद में क्यों दी क्लीन चिट

विपक्ष ने एनएच 74 घोटाले में सरकार पर लीपापोती का आरोप लगाया। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि पूरी जांच अधर में है। पहले दिखावे को आईएएस अफसरों को निलंबित किया गया, बाद में उन्हें ही क्लीन चिट देकर बहाल कर दिया गया। 

विधानसभा में पारित हुए छह विधेयक

शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन बुधवार को विधानसभा में छह विधेयक पारित किए गए। संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि बुधवार को सदन में चर्चा के बाद  उत्तराखंड लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण)( संशोधन )विधेयक 2020, उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश भू राजस्व अधिनियम 1901)( संशोधन) विधेयक 2020, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (संशोधन) विधेयक 2020, उत्तराखंड शहीद आश्रित अनुग्रह अनुदान विधेयक 2020 पारित किए गए।

इसके साथ ही विधानसभा ने राज्य विश्वविद्यालय विधेयक और हेमंवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2020 को भी पारित कर दिया है।  राज्य विश्वविद्यालय विधेयक और हेमंवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक को राजभवन ने आपत्तियों के बाद लौटा दिया था। लेकिन अब सरकार ने आपत्तियों का समाधान करते हुए विधेयक पारित कर दिए हैं। इसके बाद इन सभी विधायकों को राजभवन की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि हेमंवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक में कोई बदलाव नहीं किया गया है। राजभवन को कुलपति के लिए आयु सीमा 70 वर्ष किए जाने पर आपत्ति थी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने आयु सीमा 70 वर्ष की जिसके बाद राज्य की ओर से इस विधेयक में संशोधन लाया गया। 

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