CAPITAL

कानून-व्यवस्था को लेकर विधानसभा सदन में कांग्रेस ने किया हंगामा

विधानसभा सत्र का दूसरा दिन 

अपनों ने ही तीखे सवालों से घेरे मंत्री

विधायकों ने उठाए विभिन्न विभागों से सम्बंधित सवाल

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

दो से ज्यादा बच्चों वालों को इस बार की राहत

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार किस्मत आजमाने के इच्छुक उन लोगों को राहत मिलेगी, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। सरकार ने इस सिलसिले में पंचायती राज एक्ट में संशोधन विधेयक पेश किया है। इसके मुताबिक जिन लोगों की दो से अधिक संतान हैं और इनमें एक का जन्म इस प्रावधान के लागू होने की तिथि से 300 दिन के पश्चात हुआ है, वह चुनाव लड़ने के पात्र होंगे। जाहिर है कि इस प्रावधान के अधिनियम में शामिल होने पर इस मर्तबा संबंधित दावेदारों को राहत मिल जाएगी। अलबत्ता, अगले चुनाव में ऐसा नहीं हो पाएगा। यही नहीं, संशोधन विधेयक में पंचायत प्रतिनिधियों के लिए शैक्षिक योग्यता का प्रस्ताव भी किया गया है। दूसरी ओर, चुनाव जीतने के बाद यदि किसी पंचायत प्रतिनिधि की तीसरी संतान होती है तो उसके बारे में विधेयक में स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।

देहरादून । उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस ने कार्यवाही रोक चर्चा कराने की मांग कर बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर जमकर हंगामा किया। सदन की कार्यवाही शुरु होते ही कांग्रेस नियम 310 के तहत कानून-व्यवस्था पर चर्चा कराने मांग को लेकर अड़ गई। इसके बाद काफी देर तक हंगामा होता रहा और स्पीकर के नियम 58 में इस पर चर्चा की अनुमति दिए जाने के बाद ही प्रश्नकाल शुरु हो सका। 

पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरु होते ही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की हालत खराब है। प्रदेश में बच्चियों का बलात्कार हो रहा है और इस गंभीर मुद्दे पर प्रश्नकाल से पहले चर्चा की जानी चाहिए। प्रभारी संसदीय कार्य मंत्रंी मदन कौशिक ने कहा प्रश्नकाल के बाद 310 पर फैसला लिया जएगा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि इससे गंभीर विषय नहीं हो सकता। इस पर सदन का माहौल गरमा गया, विपक्ष इस मुद्दे पर नियम 310 के तहत चर्चा कराने की मांग पर अड़ गया। विपक्षी सदस्यों का कहना था कि सरकार जनता की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। स्पीकर ने नियम 58 में इस मामले पर चर्चा की बात कही तो आखिरकार सहमति बनी और प्रश्नकाल शुरु हो सका। 

सदस्यों ने अपने सवालों से सरकार को घेरा 

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल में विधायकों ने अपने सवालों से सरकार को घेरा। सदस्यों द्वारा समाज कल्याण और पर्यटन समेत विभिन्न विषयों से सम्बंधित सवाल उठाए। वृद्धा अवस्था पेंशन पति-पत्नी को न मिलने के सवाल पर समाज कल्याण मंत्री घिरे। कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने पूछा था सवाल कि पात्रता पूरी करने के बावजूद पति-पत्नी को पेंशन देने की बजाए पति की पेंशन क्यो बंद कर दी गई। मंत्री यशपाल आर्य ने जवाब दिया कि अब ये व्यस्था है। इस पर भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना और विनोद चमोली ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि कैबिनेट के निर्णय को विभाग कैसे बदल सकता है। 

सरकार ने दिए विधायकों के सवालों के जवाब 

कार्यकारी संसदीय कार्यकारी मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि 2016 में कांग्रेस कार्यकाल में ये व्यवस्था हुई थी। साथ ही मंत्री आर्य ने कहा कि इस विषय पर विचार किया जाएगया। निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार ने पूछा राज्य के तीर्थों में अवस्थापना सुविधाओं की कार्ययोजना का सवाल उठाया कि सरकार जम्मू कश्मीर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल वैष्णो देवी की तर्ज पर उत्तराखंड के यमुनोत्री, केदारनाथ, हेमकुंड में पैदल मार्ग और अवस्थापना सुविधाएं कब विकसित करेगी। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इस स्तर की अवस्थापना सुविधाएं आयुक्त गढ़वाल और जिला स्तर पर विकसित की जाती हैं। झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल ने पूछा कि क्या सरकार उत्तर प्रदेश की तरह उत्तराखंड में भी किसानों को सिंचाई अपासी माफ करने पर विचार कर रही है। सिंचाई मंत्री ने अपने जवाब में किसानों को सिंचाई अपासी माफ करने से इंकार किया। कहा कि नहरों, नलकूपों, लघुडाल नहरों से आपसी से हर साल 2.95 करोड़ प्राप्त होते हैं, जबकि हर साल व्यय 85 करोड़ रुपये है।

ट्रैकिंग की ड्रेस में आए विधायक, मार्शलों ने रोका, हंगामा 

उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन विधानसभा परिसर में जमकर हंगामा हुआ। हंगामा इसलिए हुआ क्योंकि कांग्रेस के कुछ विधयकों को मार्शलों ने सदन में जाने से रोक दिया। दरअसल केदारनाथ के विधायक मनोज रावत और पुरोला के विधायक ट्रैकिंग की ड्रेस पहनकर विधनसभा पहुंच गए थे जिसकी वजह से मार्शल ने उन्हें रोक दिया। इस पर सदन के अंदर जाने वाले गली में खूब हंगामा हुआ। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद बुग्यालों में पूरी तरह से नाइट स्टे पर प्रतिबंध है। स्थानीय ट्रैकिंग व्यवसाइयों को इससे दिक्कत हो रही है। वन विभाग को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करनी थी, जो नहीं हुई। विधायक सरकार की बेरुखी का विरोध करने के लिए ट्रैकिंग की ड्रेस में आए थे, जिसमें बैग और मैट भी शामिल थे। मार्शल ने कांग्रेस विधायकों मनोज रावत, राजकुमार और कलियर शरीफ के विधायक फुरकान अहमद को बैग समेत विधानसभा में जाने से रोक दिया। इस पर पहले तो वे धरने पर बैठ गए और फिर मार्शल के साथ धक्का मुक्की की। उसके बाद काफी देर तक हंगामा होता रहा।

  • दो से ज्यादा बच्चों वालों को फिलहाल मिली राहत

  • पंचायती राज एक्ट का पेश हुआ संशोधन विधेयक

केंद्र सरकार की मंशा त्रिस्तरीय पंचायतों को सशक्त करने की है। राज्य सरकार भी इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। पंचायतों के सशक्तीकरण समेत अन्य विषयों को देखते हुए ही 2016 के पंचायती राज एक्ट में संशोधन प्रस्ताव लाए गए हैं। इनके एक्ट में शामिल होने के बाद अब इसी के आधार पर पंचायत चुनाव संपन्न कराए जांएगे।’

-त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री

देहरादून: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार किस्मत आजमाने के इच्छुक उन लोगों को राहत मिलेगी, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। सरकार ने इस सिलसिले में पंचायती राज एक्ट में संशोधन विधेयक पेश किया है। इसके मुताबिक जिन लोगों की दो से अधिक संतान हैं और इनमें एक का जन्म इस प्रावधान के लागू होने की तिथि से 300 दिन के पश्चात हुआ है, वह चुनाव लड़ने के पात्र होंगे। जाहिर है कि इस प्रावधान के अधिनियम में शामिल होने पर इस मर्तबा संबंधित दावेदारों को राहत मिल जाएगी। अलबत्ता, अगले चुनाव में ऐसा नहीं हो पाएगा। यही नहीं, संशोधन विधेयक में पंचायत प्रतिनिधियों के लिए शैक्षिक योग्यता का प्रस्ताव भी किया गया है। दूसरी ओर, चुनाव जीतने के बाद यदि किसी पंचायत प्रतिनिधि की तीसरी संतान होती है तो उसके बारे में विधेयक में स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।

परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो से अधिक संतान वाले उम्मीदवार को पंचायत चुनाव के लिए अपात्र करने, त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रमुखों के पदों पर आरक्षण की व्यवस्था करने, एक साथ दो पद धारण करने को अपात्र करने, शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने के साथ ही 2016 के मूल अधिनियम की त्रुटियों को दूर करने के मद्देनजर सरकार ने संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया। त्रिस्तरीय पंचायत (ग्राम, क्षेत्र व जिला) के प्रमुख व सदस्य पदों के लिए शैक्षिक योग्यता भी तय की गई है। सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल व समकक्ष परीक्षा रखी गई है। सामान्य श्रेणी की महिला और अनुसूचित जाति-जनजाति के पुरुष प्रत्याशियों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता आठवीं पास होगी। अलबत्ता, अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला प्रत्याशियों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता पांचवी पास होगी।

विधेयक के मुताबिक पंचायत का कोई भी प्रतिनिधि एक साथ दो पद धारण नहीं कर सकेगा। यदि किसी का नाम उससे संबंधित क्षेत्र की मतदाता सूची से हटा दिया गया हो तो वह पंचायत प्रमुख अथवा सदस्य नहीं रह पाएगा। यदि किसी ने सरकारी धन का गबन किया हो, उसे विरुद्ध सरकारी धन की वसूली चल रही हो या उस पर शासकीय धन बकाया हो, वह चुनाव लड़ने के लिए अपात्र होगा।

पंचायत प्रमुख पदों पर आरक्षण: ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर आरक्षण का प्रावधान होगा। इन पदों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के लिए भी आरक्षित किया जा सकेगा।

कुछ और संशोधन कर सकती है सरकार: संशोधन विधेयक में किसी प्रतिनिधि के चुनाव जीतने के बाद तीसरी संतान होने पर क्या उसकी सदस्यता रद हो जाएगी, इस बारे में एक्ट में कुछ नहीं कहा गया है। इसके अलावा कुछ अन्य बिंदुओं को लेकर भी संशय है। सूत्रों के मुताबिक इन बिंदुओं के बारे में बुधवार को सदन में चर्चा के दौरान सरकार संशोधन कर सकती है।

Related Articles

Back to top button
Translate »