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गैरसैंण सत्र के दौरान भरारी देवी की शरण में गए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र

गैरसैंण : लोक मान्यता के अनुसार उत्तराखंड में चैत के महीने आछरी व वनदेवी की पूजा होती है वहीँ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने गैरसैंण के भराड़ीसैंण में बजट सत्र के दूसरे दिन भराड़ी देवी के दर्शन कर वहां विधि – विधान से पूजा अर्चना की।  इतना  उन्होंने मंदिर में पूजा अर्चना के बाद  प्राचीन मंदिर और पत्थरों की दीवारों के बीच रह रही भराड़ी देवी के वर्तमान मंदिर  के जीर्णोद्धार की घोषणा भी की। इतना ही नहीं उन्होंने मंदिर तक पहुंचने के मार्ग को भी दुरुस्त करने की घोषणा की।

स्थानीय लोगों के अनुसार भरारी देवी भरारीसैंण की आराध्य देवी हैं। सीएम ने लोकमान्यताओं के अनुसार भरारी देवी मंदिर के दर्शन किए। पूजा-अर्चना की उनके साथ कर्णप्रयाग विधायक सुरेंद्र सिह नेगी, शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत आदि शामिल थे। भरारीसैंण जहां पर विधान सभा भवन बना है, यह भरारी देवी के नाम से ही जाना जाता है। लोक मान्यताओं के अनुसार भरारी देवी वन देवी हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार जो बहने आछरी हैं। उन्हीं में से एक भरारी भी हैं। भरारी अत्यंत खूबसूरत और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देवी मानी जाती हैं। लोक मान्यताओं में जितनी खूबसूरत भरारी हैं नाम के अनुरूप भरारीसैंण भी उतना ही खूबसूरत हैं।

कभी यहां खूबसूरत बुग्याल हुआ करते थे। ग्रीष्म काल में आसपास के गांव के लोग यहां अपने पशुओं को चुगाने के लिए लाते थे। यहां के मखमली बुग्याली घास खा कर वे दुधारू पशु खूब स्वस्थ होते और दूध भी खूब देते थे। भरारी देवी का सम्मान करने के लिए न जाने लोगों ने कब से यहां छोटा मंदिर भरारी देवी का बना लिया, हालांकि यह भव्य तो नहीं पर लोगों की असीम आस्था का मंदिर आज भी जस के तस है। 

 

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