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COVID-19 : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत वायरोलाजी की पी – 4 लैब की स्थापना पर कर रहे हैं विचार

COVID-19 : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत वायरोलाजी की पी – 4 लैब की स्थापना पर कर रहे हैं विचार

पूर्व मुख्यमंत्री स्व. तिवारी चाहते थे उत्तराखंड में बने अत्याधुनिक Virology लैब

राजेन्द्र जोशी

All about P – 4 labs

Level 4

Agents requiring BSL 4 facilities and practices are extremely dangerous and pose a high risk of life-threatening disease. Examples are the Ebola virus, the Lassa virus, and any agent with unknown risks of pathogenicity and transmission. These facilities provide the maximum protection and containment. To the BSL 3 practices, we add requirements for complete clothing change before entry, a shower on exit and decontamination of all materials prior to leaving the facility.
The BSL 4 laboratory should contain a Class III biological safety cabinet but may use a Class I or II BSC in combination with a positive-pressure, air-supplied full-body suit. Usually, BSL 4 laboratories are in separate buildings or a totally isolated zone with dedicated supply and exhaust ventilation. Exhaust streams are filtered through high-efficiency particulate air (HEPA) filters, depending on the agents used.
We have touched on only the main issues and differences between BSL 1, 2, 3 and 4 laboratories. There are many other concerns and requirements addressed in the CDC manual, such as impervious, easy-to-clean surfaces; insect and rodent control; and total barrier sealing of all wall, floor and ceiling penetrations. Our goal was to introduce you to the different levels of biological safety practices and facility design considerations. Hopefully, you now have the knowledge to decide whether you should open that door or not.

देहरादून : उत्तराखंड सरकार के सामने कोरोना वायरस से निबटने की भले ही चुनौती आन खड़ी है लेकिन राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या इस वायरस की जांच को लेकर टेस्टिंग लैब-सेंटर की समस्या है क्योंकि वर्तमान में उत्तराखंड में केवल हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में ही यह लैब है वह भी पी-2 स्टार की है और इस वक़्त उस लैब पर भारी दबाव है । हल्द्वानी की यह लैब उत्तराखंड के तीसरे मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के शासन काल में बनी थी और वे चाहते थे कि उत्तराखंड में वायरोलाजी की अत्याधुनिक लैब बने। अब प्रदेश में अत्याधुनिक पी -4 लैब की स्थापना पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत विचार कर रहे हैं। 

बात वर्ष 2004 या 2005 की रही होगी और पूर्व मुख्यमंत्री तिवारी चीन के शंघाई के दौरे पर थे इस दौरान उनकी मुलाकात वहां वायरोलाजी की अत्याधुनिक लैब का जिम्मा संभल रही श्रीमती रीना घिल्डियाल से हुई जो स्व. तिवारी जी को बचपन से जानती थी क्योंकि उनके ससुर स्व. बृज नंदन प्रसाद घिल्डियाल पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय के एक मात्र ऐसे अंतर्राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक थे जिन्हें कृषि क्षेत्र में शोध के लिए उत्तरभारत का रफ़ी अहमद किदवई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है, उस दौरान जो शंघाई में विश्व की अत्याधुनिक वायरोलाजी लैब -पी -4 का जिम्मा संभाल रही थी, स्वर्गीय तिवारी ने उस दौरान उनसे पूछा था कि क्या हमारे उत्तराखंड में ऐसी लैब नहीं बन सकती तो उन्होंने कहा था अवश्य बन सकती है लेकिन इसके लिए काफी धन की आवश्यकता होगी , इस पर स्व. तिवारी ने तत्कालीन सचिव संजीव चोपड़ा से बात भी थी और उन्होंने इस लैब की स्थापना के लिए ऋषिकेश का भी चयन किया था, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी अन्यथा उत्तराखंड में भी अत्याधुनिक पी -4 लैब बन गयी होती।

अब एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत इस तरह की पी -4 लैब की स्थापना पर विचार कर रहे हैं । क्योंकि देश तीसरे चरण की ओर बढ़ रही कोरोना जैसी महामारी को रोकने के लिए टेस्टिंग लैब और किट के साथ ही अन्य जरूरी बंदोबस्त की कमी दूर करने पर सरकार दबाव में है और राज्य सरकार ने यदि पी – 4 लैब पर निर्णय ले लिया तो यह लैब उत्तरभारत की पहली वायरोलाजी की लैब होगी । हालांकि राज्य सरकार का फोकस तीसरे चरण की ओर बढ़ रही कोरोना महामारी को रोकने के लिए टेस्टिंग लैब और किट के साथ ही अन्य जरूरी बंदोबस्त की कमी दूर करने पर है। इसके लिए राज्य सरकार ने एसडीआरएफ फंड से नई लैब स्थापित करने के लिए धनराशि का बंदोबस्त भी कर दिया है। 

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