UTTARAKHAND

मुख्यमंत्री ने गढ़वाल कमिश्नर कैम्प आफिस में मारा छापा

सीएम ने कई अव्यस्थाएं सामने आने पर दिए कर्मचारियों का वेतन रोकने के दिए निर्देश

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मंगलवार को अचानक जब गढ़वाल कमिश्रर कैंप ऑफिस पहुंचे तो वहां बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री को पिछले काफी समय से कैंप कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा तमाम मामलों की फाइलों में अनावश्यक लेट-लतीफी किए जाने की शिकायत मिल रही थी। जो जांच के बाद सामने भी आयी हैं। निरीक्षण के दौरान कार्यालय में तैनात 11 कार्मिकों में से मौके पर केवल चार कार्मिक ही उपस्थित मिले। उपस्थिति पंजिका के निरीक्षण के बाद मुख्यमंत्री ने गढ़वाल कमिश्नर श्री रविनाथ रमन को निर्देश दिये कि जिन कार्मिकों के उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर नहीं है, उनका तत्काल वेतन रोका जाय। 

मुख्यमंत्री के इस अचानक निरीक्षण के दौरान उनके साथ मुख्य सचिव ओम प्रकाश भी थे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्यालय पहुँचते ही सबसे पहले उपस्थिति पंजिका को अपने कब्जे में लिया , इसके बाद आयुक्त कार्यालय में जब इसकी जांच की गई तो पंजिका में कई कार्मिकों के हस्ताक्षर के स्थान रिक्त पाए गए।

इतना ही नहीं मुख्यमंत्री और मुख्या सचिव ने जब मंडल मुख्यालय पौड़ी और कैंप कार्यालय देहरादून के बीच फाइलों की जानकारी चाही तो इसमें भी तमाम खामियां मिली हैं। पौड़ी से चलकर देहरादून कैंप कार्यालय पहुंची इन फाइलों के निस्तारण में अत्यधिक विलंब सामने आने पर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने आयुक्त कार्यालय के स्टाफ को जमकर फटकार लगाई और लापरवाही से काम कर रहे कुछ कर्मचारियों का वेतन रोकने के निर्देश भी मौके पर ही दे दिए गए। इतना ही नहीं पत्र प्राप्ति रजिस्टर मांगे जाने पर कार्यालय में उपस्थित कार्मिकों ने जानकारी दी कि पत्र प्राप्त होने के बाद अंकन के लिए पौड़ी स्थित कमिश्नर कार्यालय में जाता है। यह पूछे जाने पर कि किसके आदेश पर यह व्यवस्था की गई है। कार्यालय के कार्मिकों ने जानकारी दी कि 2019 में तत्कालीन वैयक्तिक सहायक द्वारा इसके लिए मौखिक आदेश दिये गये थे। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कमिश्नर गढ़वाल को निर्देश दिये कि यह कार्य के प्रति लापरवाही को दर्शाता है।

वहीं यह बात भी सामने आई है कि कमिश्नर का स्टाफ अपने हिसाब से कार्यालय चला रहा है और वह अपने मौखिक आदेश पर ही फाइलों को पौड़ी से देहरादून और देहरादून से पौड़ी भेजता और मांगता रहा है।  इस बात की जानकारी कैंप कार्यालय के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को दे देते हुए बताया कि मौखिक आदेश पर फाइलें पौड़ी भेजी जाती हैं। कुछ साल पहले कमिश्नर कार्यालय के पीएस ने इस तरह का आदेश दिया था। मामले को समझने के बाद मुख्य सचिव ने इस तरह के काम पर हैरानी जताते हुए उन्होंने जल्द इस व्यवस्था को बदलने के आयुक्त को निर्देश दिए।

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