- माइनर के साथ रेप पर होगा मृत्यु दंड
DEHRADUN : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को बदले जाने को लेकर सोशल मीडिया पर उड़ रही अफवाहों का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने करारा जवाब देते हुए कहा कि जब से त्रिवेंद्र रावत सीएम बनें हैं तभी से बदलने की चर्चाएं शुरू हो गई थी। यह सब हमें अपने उद्देश्य से डिस्टर्ब करने की कोशिश है, लेकिन न तो उन पर और न भाजपा पर ही ऐसी चीजों का कोई असर नहीं पड़ता।
एक सवाल के जबाव में सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कुछ ज्यादा ही परेशानी हो रही हैं इनमें से एक वे भी हैं जिन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मैं व्यक्तिगत तौर पर न्यायालय का भी धन्यवाद ज्ञापित करता है कि उन्होंने रिट का निस्तारण कर दिया है।
सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि ऐसी अन्य कई याचिकाएं भी लंबित हैं जो पूरी तरह राजनीतिक व डिस्टर्ब करने के लिए लगाई गई हैं। मैं अपने विधायकों से भी कहूंगा को वे डिस्टर्ब न हों और अपने काम को बेहतर ढंग से अंजाम देते रहे। जो नकारात्मक बात कर रहे हैं, उन्हें अपना काम करने दें।
गौरतलब हो कि सोशल मीडिया पर चल रहे इस तरह की अफवाहों के बाद भाजपा संगठन को भी आगे आना पड़ा था। पार्टी ने इसे कुछ लोगों का षड़यंत्र बताया जो सरकार और भाजपा की छवि को खराब करने की कोशिश में लगे हैं। पार्टी के प्रांतीय मीडिया प्रभारी डा. देवेंद्र भसीन ने कहा कि इस तरह के लोगों के नापाक मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
वहीँ उन्होंने कहा अल्पवयस्क बच्चियों से बलात्कार करने वालों के खिलाफ राज्य सरकार अगले विधानसभा सत्र के दौरान कानून लाने जा रही जिसके तहत अब राज्य मैं ऐसे अपराधियों को फांसी की सजा का प्रावधान किया जायेगा ताकि कोई भी दरिंदा कानून से बचकर निकल न पाए।
गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने काशीपुर में यह प्रावधान राज्य में लागू किए जाने की बात कही। उन्होंने महिलाओं विशेषकर बेटियों की सुरक्षा को चिंता का विषय बताया। यह भी कहा कि इस संबंध में विधानसभा सत्र में विधेयक पास किया जाएगा। इसमें 12 साल या उससे कम उम्र की बेटियों के साथ दुराचार करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया जाएगा। कानूनी प्रावधान के साथ-साथ समाज में नैतिक आंदोलन भी राज्य भर में चलाया जाएग।
गौरतलब हो कि वर्तमान में पॉक्सो एक्ट के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है, जबकि न्यूनतम सजा सात साल की जेल है। दिसंबर-2012 के निर्भया मामले के बाद कानूनों में संशोधन किए गए थे। इसमें बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया।
उल्लेखनीय है कि कठुआ गैंगरेप की घटना के बाद मोदी सरकार ने बीते अप्रैल माह में नाबालिग के साथ रेप में फांसी की सजा दिए जाने के लिए प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पॉक्सो) एक्ट में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके तहत 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा देने का प्रावधान है। इस आधार पर मध्य प्रदेश, पंजाब इस संशोधन को मंजूरी दे चुके हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में इसे लेकर कवायद चल रही है।वहीँ गुरुवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद अब सूबे में भी यह कानून मूर्तरूप ले लेगा।