एनएच घोटाले में अधिकारियों के बचाव में आयी केंद्र सरकार
नैनीताल : भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेन्स की बात करने वाली केंद्र सरकार ऊधमसिंह नगर में राष्ट्रीय राजमार्ग-74 के निर्माण में 363 करोड़ के मुआवजा घोटाले में बचाव में उतर आई है। प्राथमिकी से नेशनल हाईवे के तीन अधिकारियों के नाम निरस्त करने की मांग को लेकर केंद्र ने हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर किया। जिसे कोर्ट ने अपोषणीय मानते हुए खारिज कर दिया, साथ ही नए सिरे से याचिका दायर करने की छूट प्रदान कर दी।
कुमाऊं आयुक्त डी सैंथिल पांडियन की जांच रिपोर्ट में इस मामले में 363 करोड़ की अनियमितता का उल्लेख किया गया था। रिपोर्ट के आधार पर दस मार्च को एडीएम वित्त एवं राजस्व प्रताप शाह द्वारा आठ से दस गुना मुआवजा लेने वाले भू स्वामी, कृषि भूमि को अकृषि भूमि के लिए 143 की कार्रवाई करने वाले एसडीएम, उनके पेशकार, तहसीलदार, लेखपाल, राजस्व कानूनगो, चकबंदी अधिकारी, सहायक चकबंदी अधिकारी, चकबंदी कानूनगो, परियोजना निदेशक एनएचएआइ रुद्रपुर, नजीबाबाद तथा क्षेत्रीय अधिकारी एनएचएआइ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
राज्य सरकार ने इस मामले में एक रिटायर्ड समेत आधा दर्जन पीसीएस अफसरों को निलंबित कर दिया था। सरकार ने मामले की सीबीआइ जांच की संस्तुति केंद्र को कर दी। हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा राज्य सरकार को पत्र भेजकर सीबीआइ जांच से केंद्र के अफसरों के मनोबल पर असर पडऩे का उल्लेख किया था।
जिसके बाद राज्य में कांग्रेस भाजपा सरकार पर हमलावर है। इधर प्राथमिकी निरस्त करने की मांग को लेकर एनएचएआई के रिजनल अफसर पीसी आर्या, प्रोजेक्ट निदेशक नरेंद्र कुमार व अजय विश्नोई ने हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर प्राथमिकी निरस्त करने की मांग की है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकलपीठ में मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने एनएचएआइ अफसरों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने की दलील रखी।
उन्होंने कहा कि एचएचएआइ अफसरों की इसमें कोई भूमिका नहीं है। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता रमन साह ने कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्राथमिकी निरस्त करने का अधिकार दूसरी पीठ को है, लिहाजा याचिका अपोषषीय है। राज्य सरकार के अधिवक्ता की दलीलों से सहमत होते हुए अदालत ने प्रार्थनापत्र खारिज करते हुए एनएचएआइ अफसरों को नई याचिका दायर करने की छूट प्रदान कर दी। इधर सूत्रों के अनुसार एनएच अफसर मामले में नई याचिका दायर कर दी है। जिस पर सुनवाई हो सकती है।
सूबे की सरकार बीच के रास्ते की तलाश में
राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के चौड़ीकरण के लिए भू अधिग्रहण में हुए मुआवजा घोटाले में लगातार पड़ रहे दबाव के बीच सरकार अब बीच का रास्ता तलाशती नजर आ रही है। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) को लेकर सरकार एटॉर्नी जनरल व एडवोकेट जनरल से इस मामले में विधिक राय भी ले रही है। हालांकि, सरकार ने साफ किया है कि वह मामले की सीबीआइ जांच कराने के अपने निर्णय पर कायम है। इसके लिए केंद्र को जल्द ही तीसरा रिमाइंडर भेजा जाएगा।
राष्ट्रीय राजमार्ग 74 में घोटाले के मामले में भाजपा ने प्रदेश में सरकार बनाने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में सीबीआइ जांच कराने की संस्तुति की थी। इस दौरान सरकार ने तर्क यह दिया था कि कि मामले में केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी शामिल हैं, इसलिए मामले की सीबीआइ जांच कराई जा रही है। इसके लिए सरकार की ओर से केंद्र को पत्र लिखकर नेशनल हाइवे चौड़ीकरण मुआवजा घोटाले की जांच कराने का अनुरोध किया था।
जब इस मामले में एक माह तक सीबीआइ से कोई जवाब नहीं आया तो सरकार ने मुख्य सचिव के जरिए फिर से केंद्र को रिमाइंडर भिजवाया। बावजूद इसके केंद्र से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया। इस बीच राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों ने केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर इस मामले में अपना पक्ष रखा और खुद को निर्दोष बताते हुए एक ज्ञापन सौंपा।
साथ ही उत्तराखंड में चलने वाली परियोजनाओं को लेकर अधिकारियों के मनोबल पर असर पड़ने की बात कहते हुए दबाव बनाने का भी प्रयास किया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस ज्ञापन के साथ एक पत्र मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लिखा। पत्र में उन्होंने प्रदेश सरकार की ओर से मामले में एनएच के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने और मामले की जांच कराने पर अपनी चिंता जताई।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी जोड़ा कि इससे अधिकारियों के मनोबल पर असर पड़ेगा। इसके बाद मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से नई दिल्ली में मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने साफ किया था कि सरकार मामले की जांच सीबीआइ से कराने के अपने रुख पर कायम है। इस बीच यह बात सामने आई कि एनएचएआइ के चेयरमैन युद्धवीर सिंह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर इस मामले में विभागीय अधिकारियों की किसी भूमिका से इन्कार किया और ऊधमसिंह नगर में दर्ज एफआइआर से नेशनल हाइवे अथॉरिटी के अधिकारियों का नाम हटाने का अनुरोध किया।
हालांकि, सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मदन कौशिक ने कहा कि संभवत: यह वही पत्र है, जो एनएचएआइ ने केंद्रीय मंत्री को भेजा था। उन्होंने कहा कि सीबीआइ जांच से पीछे हटने का सवाल नहीं है। सरकार इस मामले में तीसरा रिमाइंडर केंद्र को भेज रही है। इस मामले में जो भी अधिकारी दोषी पाए जाएंगे सरकार उन पर कार्यवाही करेगी।