तिब्बत पर विजय का उत्सव है मंगसीर बग्वाळ
मेले में आए अतिथि रांसो तांदी नृत्य पर झूमते रहे
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
उत्तरकाशी : उत्तरकाशी में मंगसीर की बग्वाल धूमधाम से मनाई गई। स्थानीय लोगों ने पारंपरिक पोषाक पहन कर ढ़ोल, दमाऊ, रणसिंघा पर तांदी नृत्य किया। इस मौके पर उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री दिनेश धनै ने बग्वाल में भाग लिया। ग्रामीणों की मान्यता है कि उत्तराखंड के वीर माधो सिंह भंडारी इस दिन तिब्बत की लड़ाई जीतकर आए थे। उत्तरकाशी में मंगसीर की बग्वाल के दो दिवसीय उत्सव के दूसरे दिन दोपहर दो बजे कंडार देवता मंदिर में महिलाओं व पुरुषों ने रांसो नृत्य किया। इस नृत्य में विदेशी पर्यटक भी शामिल हुए।
इतिहासकार बताते हैं कि मंगसीर की बग्वाल गढ़वाली सेना की तिब्बत विजय का उत्सव है। इस बार यह उत्सव 27 व 28 नवंबर को मनाया जाएगा। उत्तरकाशी में इसके लिए खास तैयारियां की गई हैं। इस उत्सव को देखने के लिए प्रदेश भर के 150 स्कूली छात्र-छात्राओं के अलावा विदेशी पर्यटक भी आ रहे हैं। गंगोत्री तीर्थ क्षेत्र ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन शोध ग्रंथ के लेखक उमा रमण सेमवाल बताते हैं कि वर्ष 1627-28 के बीच गढ़वाल नरेश महिपत शाह के शासनकाल के दौरान तिब्बती लुटेरे गढ़वाल की सीमाओं के अंदर घुसकर लूटपाट करते थे। इस पर राजा ने माधो सिंह भंडारी व लोदी रिखोला के नेतृत्व में चमोली के पैनखंडा और उत्तरकाशी के टकनौर क्षेत्र से सेना भेजी थी। गढ़वाली सेना विजय पताका फहराते हुए दावा घाट (तिब्बत) तक पहुंच गई थी।
इस दौरान मंदिर प्रांगण में 12 वीं ग्रेडेनियर के जवानों ने सेना के बैंड की शानदार प्रस्तुति दी। जिसके बाद ढ़ोल, दमाऊ, रणङ्क्षसघा की धुन पर लोग नाचते गाते रामलीला मैदान पहुंचे। साथ ही वीर भड़ माधों सिंह भंडारी की झांकी भी निकाली गई।
रामलीला मैदान में पर्यटन मंत्री दिनेश धनै व शहरी विकास मंत्री प्रीतम सिंह पंवार ने कांडर देवता की डोली का स्वागत किया। स्वागत कार्यक्रम के बाद रांसो कार्यक्रम आयोजित किया गया। पर्यटन मंत्री दिनेश धनै, शहरी विकास मंत्री प्रीतम सिंह पंवार व विधायक विजयपाल सजवाण ने भी स्थानीय लोगों के साथ रांसो-तांदी नृत्य किया।
देर शाम तक मेले में आए अतिथि रांसो तांदी नृत्य में झूमते रहे। रासों के बाद 51 भैलो का विधिवत रूप से पूजन किया गया। दोनों अतिथियों मंगसीर की बग्वाल के भैलो कार्यक्रम का उद्घाटन किया। लोगों ने एक दूसरे को मंगसीर की बग्वाल की बधाई दी। इस मौके पर विदेशी पर्यटकों तथा प्रदेश भर से आए 150 छात्र-छात्राओं ने बग्वाल में प्रतिभाग किया। देर रात तक लोगों ने वाद्य यंत्रों की धुन पर अपने स्थानीय लोक नृत्य प्रस्तुत किए।
बग्वाल कार्यक्रम के अध्यक्ष अजय पुरी ने बताया कि बग्वाल के पहले दिन 27 नवंबर को गढ़ भोज, गढ़ बाजार लगाया गया।वहीँ स्कूली बच्चों के लिए मंगसीर की बग्वाल तथा गढ़वाल के वीर भड़ पर आधारित गढ़वाली बोली में भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। 28 नवंबर को 51 भैलो के साथ संयुक्त रूप से दीपावली मनाई गयी।