देहरादून : राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिये तमाम दावे किये जाते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. आपराधिक मुकदमें झेल रहे कई प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं तो करोड़पतियों का भी विधानसभा चुनाव के दंगल में बोलबाला है. उत्तराखंड के चुनाव में भी इस बार ये संख्या बढ़ गयी है. जहां तक आपराधिक मामलों वाले प्रत्याशियों की बात है तो यह संख्या 2012 के चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में करीब डबल हो गई है.
क्या आप जानते हैं उत्तराखंड के उन दस नेताओं के नाम जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. गंभीर आपराधिक मामले? क्या आपको ये मालूम है कि कौन है उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में सबसे अमीर प्रत्याशी? हम आपको बताते हैं. देवभूमि के चुनावी दंगल में 2012 में हुये चुनाव के मुकाबले इस बार ये संख्या दो गुना से ज्यादा बढ़ गयी है.
मौजूदा चुनाव में 54 उम्मीदवार ऐसे में जिनपर आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं. 2012 में ये आंकड़ा 28 था. एडीआर के ताजा आंकड़े इस बात को पुख्ता कर रहे हैं. आइये नजर डालते हैं दस ऐसे प्रत्याशियों पर जिनके नाम मुकदमों की संख्या के लिहाज से सबसे ऊपर हैं.
प्रत्याशी–पार्टी–दर्ज मामले
अरविंद पाण्डेय–भाजपा–12
सुभाष चौधरी–बसपा–08
सुमित–निर्दलीय–06
किशन भंडारी–निर्दलीय–04
समीर रतूड़ी–प्रजामंडल–04
रामसुख–निर्दलीय–04
सुधा पटवाल–निर्दलीय–03
दिनेशअग्रवाल–कांग्रेस–02
सूर्यकांत धस्माना–कांग्रेस–02
हरक सिंह रावत–भाजपा–02
अमीर उम्मीदवार
उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या भी अधिक है. 637 उम्मीदवारों में से दो सौ उम्मीदवार करोड़पति हैं. 78 उम्मीदवारो ने आयकर रिटर्न भी फाइल नहीं किया है.करोड़पति उम्मीदवारों में 18 महिला प्रत्याशियों ने भी करोड़ों की सम्पत्ति का ब्यौरा दिया है. उत्तराखंड की पांच सबसे अमीर महिला प्रत्याशियों में कांग्रेस छोड़ भाजपा में गईं रेखा आर्य का नाम टॉप पर है.
प्रत्याशी–पार्टी–सम्पत्ति
रेखा आर्य–भाजपा–12.70 करोड़ रू.
लक्ष्मी राणा–कांग्रेस–6.48 करोड़
गोदावरी थापली–कांग्रेस–5.87 करोड़
बृजरानी निर्दलीय–5.51 करोड़
मनीषा–सपा–4.80 करोड़
जाहिर है आंकड़े गवाह हैं कि राजनीति में न सिर्फ धनबल का बोलबाला है बल्कि गंभीर आपराधिक मुकदमे वाले प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं. 2012 के चुनाव में 5 ऐसे प्रत्याशी चुनाव जीते थे जिनपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. मौजूदा विधानसभा चुनाव में भी कई दागी मैदान में हैं.लगभग सभी राजनीतिक दलों में इनकी पैठ है. बहरहाल धनबल और आपराधिक मुकदमे वाले नेताओं की किस्मत का फैसला जनता के हाथ में है. जनता को ही तय करना है कि उसका जनप्रतिनिधि कैसा हो.