अपना वोट गाँव में ट्रांसफर कर किसी भी चुनाव में वोट देकर बन सकते हैं सीधे भागीदार
डॉ बिहारीलाल जलंधरी
उत्तराखण्ड में कई लोग पलायन को त्रासदी मानकर उसे रोकने बड़ी बड़ी बातें करते हैं किन्तु पुराणों में बढते हुए परिवार से स्थान परिवर्तन उस परिवार का विकास माना गया है। परन्तु अन्य राज्यों की बजाय उत्तराखण्ड से होने वाला समूल पलायन भविष्य की ओर यक्ष प्रश्न बनता जा रहा है।
वे अपने साथ घर की यादें, राशन कार्ड, अपनी नागरिकता, अपना वोट का अधिकार, अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, रीति-रिवाज, खान-पान, व्रत-त्यौहार के साथ साथ अपना देवता तक को भी ले जाते हैं। किन्तु वही देवता उन्हें कुछ पीढियो बाद अवश्य बुलाता है और इस तरह के परिवार देवता की खोज कर उसे गाँव जाकर उसी के थान में पूजते हैं। फिर उनका प्रत्येक वर्ष इस भूमि पर आने का सिलसिला बन जाता है।
इस तरह के परिवार अपने को यहाँ फिर से जोड़ सकते हैं बस उन्हें अपने मताधिकार को अपने गाँव स्थानांतरित कराना होगा। इससे उन्हें कई लाभ होंगे। जैसे अपने क्षेत्र में मनमुताबिक उम्मीदवार चुनना, बच्चों का भविष्य यहीं तलाशना, राज्य की घटती जनसंख्या को बढाने में सहयोग, अपनी पुरखों की जमीन घर की देख रेख साथ ही सरकार की योजनाऔ का लाभ उठा सकते हैं।
जिस तरह से हिमाचल या अन्य कई राज्यों के लोग अपना बोट देने गाँव आते हैं उसी तरह उत्तराखण्ड के प्रवासियों को अपना वोट गाँव में ट्रांसफर कर किसी भी चुनाव में वोट देकर सीधे भागीदार बन सकते हैं।
आने वाले वर्ष 2021 मे क्या आप सभी लोग अपने गाँव को यह सौगात देकर वहाँ अपनी उपस्थिति का आभास करा सकते हैं। यह संभव हो सकता है यदि आप आत्मचिन्तन करें। “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।”