COVID -19

कोविड-19ः असरदार वैक्सीन मिलने की स्थिति में साल के अंत तक करोड़ों ख़ुराकें तैयार होने की उम्मीद : WHO

यूएन एजेंसी की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कारगर वैक्सीन के व्यापक उत्पादन के लिए सभी देशों से पारस्परिक सहयोग का आह्वान 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
नयी दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उम्मीद जताई है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के ख़िलाफ़ असरदार वैक्सीन मिलने की स्थिति में इस साल के अन्त तक उसकी करोड़ों ख़ुराकें तैयार की जा सकेंगी। यूएन एजेंसी की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन  ने कारगर वैक्सीन के व्यापक स्तर पर उत्पादन के लिए सभी देशों से पारस्परिक सहयोग का आह्वान किया है।
कोरोना वायरस संक्रमण पर क़ाबू पाने के लिए फ़िलहाल अनेक देशों में वैक्सीन के परीक्षण चल रहे हैं और इनमें से तीन तो मानव परीक्षण के अपना अन्तिम चरण शुरू करने के क़रीब पहुँच गए हैं। 
इसके समानान्तर यूएन स्वास्थ्य एजेंसी अपनी एक योजना को आकार देने में जुटी है जिससे यह तय किया जा सकेगा कि वैक्सीन को मंज़ूरी मिलने के बाद प्राथमिकता के तौर पर पहली ख़ुराकें किन लोगों को दी जाएंगी। 
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिये पत्रकारों को इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अगर ये मानकर चला जाए कि ये परीक्षण सफल साबित होंगे तो फिर साल 2020 के अन्त तक एक या उससे ज़्यादा वैक्सीन की लगभग 20 करोड़ ख़ुराकें उपलब्ध हो सकेंगी और वर्ष 2021 में यह संख्या अरबों तक पहुंच जाएगी, लेकिन साथ ही उन्होंने आगाह किया कि वैक्सीन विकसित किया जाना एक जटिल प्रक्रिया है और इससे कई अनिश्चितताएँ भी जुड़ी हैं।
उनका मानना है कि वैक्सीन को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए देशों को विश्व में वैक्सीनों की सुलभता के लिए शुरू की गई पहल कोविड-19 वैक्सीन ग्लोबल एक्सेस फैसिलिटी (कोवैक्स) को समर्थन देने और उसमें संसाधन निवेश करने की ज़रूरत है, लेकिन हम ऐसा तभी कर सकते हैं जब दुनिया एक साथ आए, देश एक साथ आएं और इस प्रक्रिया पर सहमत हों।  
उन्होंने कहा कि हम एक फ़्रेमवर्क का प्रस्ताव रख रहे हैं जिसके ज़रिये यह निर्णय किया जा सकता है कि प्राथमिकता किसे मिलनी चाहिए। और जैसा मैंने कहा, आप उन जनसमूहों के बारे में सोच सकते हैं जिन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
आप उन लोगों के समूह के बारे में सोच सकते हैं जो अग्रिम मोर्चे पर हैं – ड्राइवर, एम्बुलेन्स कर्मचारी और अन्य स्वास्थ्यकर्मी…और पुलिस, किराने की दुकान पर काम करने वाले, सफ़ाई कर्मचारी भी। संक्रमण का शिकार होने की दृष्टि से ये सभी लोग ज़्यादा संवेदनशील हैं।
यूएन एजेंसी की मुख्य वैज्ञानिक ने कहा कि वायरस संक्रमण के जोखिम का सामना करने वाले लोगों में वृद्धजन और उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़ और मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से पीड़ित हैं।
इसके अलावा जेल, नर्सिंग होम, फ़ैक्ट्री और शहरी मलिन बस्तियों में रह रहे लोगों को भी वैक्सीन की ख़ुराक दी जाने में प्राथमिकता दी जानी होगी, ख़ासकर तब जब ऐसे स्थानों पर महामारी फैली हुई हो।

devbhoomimedia

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